विचार / लेख

केजरीवाल की गिरफ्तारी की अंतरराष्ट्रीय गूंज
10-Apr-2024 2:44 PM
केजरीवाल की गिरफ्तारी की अंतरराष्ट्रीय गूंज

-डॉ. आर.के. पालीवाल

अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अक्सर यह देखने में आता है कि एक देश की आंतरिक घटनाओं पर सामान्यत: दूसरे देश तब तक टिप्पणी या दखलंदाजी नहीं करते जब तक वहां की घटनाओं से उनके नागरिकों के हितों को कोई नुक्सान नहीं पहुंचता या कोई घटना या दुर्घटना बहुत महत्वपूर्ण नहीं होती। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर पहले जर्मनी और उसके बाद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है इसलिए उन कारणों को जानने की कोशिश की जानी चाहिए जिसके कारण इन दो महत्वपूर्ण देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ से केजरीवाल की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया हुई हैं। जिन देशों से हमारे मधुर सम्बन्ध नहीं होते उनके नेताओं द्वारा अक्सर हमारे अंदरूनी मामलों पर जब तब बयान दिया जाना स्वाभाविक है क्योंकि ऐसे देश ख़ुद को अपने विरोधी से बेहतर दिखाने की कोशिश करने के लिए ऐसा करते हैं। मसलन पाकिस्तान से भारत की आंतरिक घटनाओं के बारे में आवाज उठती रहती है लेकिन इन आवाजों को कभी गंभीरता से नहीं लिया जाता। इसके बरक्स अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर पहले जर्मनी और उसके बाद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रतिक्रिया काफी चौंकाने वाली है। जर्मनी और अमेरिका के राजदूत को बुलाकर सरकार ने इस मामले पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। । जर्मनी और अमेरिका न केवल अंतरार्रष्ट्रीय मंचों पर अपनी धाक रखते हैं अपितु उनसे हमारे व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध भी अच्छे हैं।

कुछ दिन पहले झारखण्ड के मुख्यमंत्री की भी गिरफ्तारी हुई थी। तब किसी देश से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई थी। दिल्ली तो झारखण्ड की तरह प्रदेश भी नहीं है फिर भी अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी और अमेरिका की प्रतिक्रिया आना केन्द्र सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी और अमेरिका जैसे समृद्ध और विकसित देशों की प्रतिक्रिया का एक प्रमुख कारण यह भी हो सकता है कि दिल्ली में सभी देशों के दूतावास हैं जो दिल्ली की सरकार और केन्द्र सरकार के टकराव की खबरों को पढ़ते देखते रहते हैं। उन्हें यह आभास हो सकता है कि राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण अरविंद केजरीवाल को केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली जांच एजेंसियों द्वारा प्रताडि़त किया जा सकता है। इस तरह के आरोप आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दल बार बार लगा भी रहे हैं। दूसरा कारण यह भी है कि अरविंद केजरीवाल के समर्थक काफी एन आर आई भी हैं जो पहले लोकपाल आंदोलन के दौरान और बाद में आम आदमी पार्टी के चुनाव अभियान में मदद करने भारत आए थे। जिस तरह प्रधानमन्त्री विदेशों में बसे अपने एन आर आई प्रशंसकों से आत्मीयता प्रदर्शित करते हैं वैसे ही अरविंद केजरीवाल की भी विदेशों में बसे भारतीयों से आत्मीयता है। तीसरे अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी उन्हें देश विदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर देने वाले नेता की तरह प्रोजेक्ट करते हैं। चौथे दिल्ली में स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नीतियों के कारण दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में आए सकारात्मक परिर्वतन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि मिली है । संभवत: इन सब कारणों की वजह से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने इन समृद्ध देशों का ध्यान खींचा है। भले ही आम भारतीय देश के आंतरिक मामलों में किसी भी देश का हस्तक्षेप पसंद नहीं करता और केन्द्र सरकार ने भी इस मामले पर अपना रोष जताया है लेकिन इन सब घटनाओं से अरविंद केजरीवाल का कद जरूर बढ़ा है। वैसे भी इंडिया गठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने और ममता बनर्जी के अकेले दम चुनाव लडने के निर्णय के बाद इंडिया गठबंधन में सबसे ज्यादा प्रभाव कांग्रेस के राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल का ही बचा है क्योंकि इन दोनों दलों की ही एक से ज्यादा राज्यों में सरकार है। केजरीवाल की गिरफ्तारी निश्चित रुप से लोकसभा चुनाव का एक बड़ा मुद्दा बन गई है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news