विचार / लेख
गोकुल सोनी
आपने अक्सर सडक़ों पर भिखारियों को भीख मांगते देखा होगा। उनकी फटेहाल गरीबी देखकर कई लोग उन्हें दया की भावना से भीख में पैसे दे देते हैं, लेकिन आप शायद ही जानते होंगे कि इनमें से कई भिखारी ऐसे होते हैं, जो किसी मेहनत करने वाले मजदूर और प्रायवेट नौकरी करने वालों से ज्यादा पैसे कमा लेते हैं। आप ये भी जानते होंगे की दुनिया का सबसे बड़ा भिखारी हमारे भारत में ही रहता है। बताते हैँ उसका नाम भरत है और वह मुंबई में रहता है। खैर, आज मैं आपको हमारे रायपुर में तीस हजार रुपये महीना कमाने वाला एक भिखारी की बात बताने जा रहा हूं।
रायपुर में मेरे एक मित्र की दुकान है जहां मैं हर रोज जाता हूं। एक युवा व्यक्ति जो शरीर से बिल्कुल स्वस्थ है, रोज शाम को उसकी दुकान पर आता है। बिना कुछ बोले वह दुकान की टेबल पर दस-दस रुपये के नोटों को डाल देता है। मित्र उसकी गिनती करता है और उसके बदले एक बड़ी नोट दे दिया करता है। ना ही पैसा देने वाला कुछ बोलता है और ना ही मेरा मित्र कुछ बोलता है। यह सिलसिला काफी दिनों से चल रहा है जिसे मैं देख भी रहा हूं। एक दिन मैंने मित्र से पूछा- ये कौन है और रुपया कहां से लाता है? मित्र ने जब उसके बारे में बताया तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। मित्र ने बताया कि यह एक भिखारी है।
दिनभर भीग मांगता है और शाम को सारा चिल्हर नोट यहां लाकर दे देता है। मैं उसके बदले में उसे एक बड़ा नोट दे देता हूं। मित्र ने आगे बताया कि वह रोज पांच से छै सौ रूपये लाता है जो उसके आधे दिन की कमाई होता है। दोपहर से पहले तक की कमाई वह किसी और को देकर उससे भी पाँच सौ रूपये लेता है। यानी एक दिन में वह एक हजार से ग्यारह सौ रुपये तक कमा लेता है। कुल मिलाकर भीख मांग कर वह महीने में तीस हजार रुपये से भी ज्यादा कमा लेता है।
आपको बता दूं बहुत पहले एक ऐसा ही भिखारी हुआ करता था जो बजरंग होटल के पास बैठ कर भीख मांगता था। एक अखबार का बड़ा नामी पत्रकार उस भिखारी से हर महिने पैसे उधार लिया करता था। वेतन मिलने पर पत्रकार महोदय उस भिखारी का उधारी चुका दिया करता था। अब ना तो वह भिखारी दिखाई देता है और ना ही पत्रकार। पत्रकार स्वर्ग सिधार चुके हैं।
जय स्तंभ चौक के पास एक भीख मांगने वाले को मैं देखा हूं। रात में वह रवि भवन के पीछे रोज सिगरेट पीता है। यहां पेन और खिलौने बेचने वाले परिवार के कुछ लोग इसी चौक पर भीख मांगते हैँ।