विचार / लेख

धर्म, राजनीति और यौन शोषण
06-May-2024 1:44 PM
धर्म, राजनीति और यौन शोषण

 एस.के.

तहमीना दुर्रानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात, लेकिन पाकिस्तान में  विवादित लेखिका के रूप में जाना जाता है, क्योंकि धर्म की आड़ में पीर फकीरों द्वारा जिन औरतों का शारीरिक और मानसिक शोषण होता रहा है, उसी पर उन्होंने लिखने की हिम्मत की थी। उनकी एक पुस्तक ‘माय फ्यूडल लॉर्ड’ ने पाकिस्तान की पितृसत्तात्मक समाज की जड़ें हिलाकर रख दी थी।

अब बात करते है अपने मुल्क की...हमारे यहां भी हर मंदिर, मस्जिद और आश्रम निष्पाप रहे यह ज़रूरी नहीं। यहां भी बड़े बड़े नाम है... राम रहीम, आसाराम... वगैरा-वगैरा, जिनके बारे में जान कर ये पता चलता है कि धर्म की आड़ में औरतों और बच्चों को किस तरह इस्तेमाल किया जाता हैं! अभी-अभी एक खबर आई कि उज्जैन के एक आश्रम में 19 बच्चों के साथ आचार्य और सेवादार मिलकर यौन शौषण करते रहे। पुलिस ने आचार्य को पकड़ लिया परंतु सेवादार फिलहाल फरार है।

इससे पहले कि लोग कहने लगे कि लोगों को सिर्फ हमें बदनाम करने में मजा आता है, तो मैं कह दूं कि बिहार के सहरसा में एक मस्जिद के मौलाना को तेरह साल की एक लडक़ी का यौन शौषण करने के आरोप में पुलिस ने पकड़ा था। तो कहने का ये मतलब है कि पीर-फकीर हो साधु हो, या फिर कोई राजनेता हो..., सिर्फ ये सोच कर खामोश रहना कि ये हमारा अपना है... पूरे समाज को ही जर्जर कर देगा। और किसी घटना को सिफऱ् ये सोच कर उछालना कि वह हमारे धर्म से नहीं , उनके धर्म से है या फिर हमारी पार्टी से नहीं, विपक्षी पार्टी से है....ये बात भी समाज को जर्जर ही  करेगा।

धर्म और राजनीति के आड़ में शायद सब से अधिक यौन शौषण होता है। अखबारों में छपी खबरों से ये भी पता लगता है कि ईसाई धर्म में कैथोलिक चर्चों में भी  यौन शौषण की लगातार खबरें आती रहती  हैं। लेकिन कैथोलिक समूह का कहना है कि प्रोटेस्टेंट समूह जान बूझकर उनके बारे में बदनामी फैलाते हैं। डेरा सच्चा सौदा के नाम से जो कुछ भी हुआ है, उससे भी धर्म ही बदनाम हुआ है। अब धर्म को कुछ देर के लिए भूल कर हम आते हैं राजनीति पर। मणिपुर की गंदी राजनीति की बलि चढ़ी  दो कुकी महिलाओं को तो अब  हम भूल ही चुके हैं, जिनका 1000 सामाजिक दरिंदों द्वारा बुरी तरह यौन शौषण किया गया था, और वह सब हुआ था पुलिस की मदद से। कितनों ने प्रतिवाद किया और कितनों ने आवाज उठाई? अखबार, मीडिया, राजनैतिक पार्टियां...क्या किसी को सच में अफसोस था ? या सभी अपनी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए थे?

इस समय पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा का कुनबा भी यौन शौषण के मामले में घिरा हुआ है। बेटा एचडी रेवन्ना के साथ साथ पोता प्रज्वल रेवन्ना दोनों सेक्स स्केंडल में फंसे हैं। घटिया से घटिया वीडियो सामने आ रहे हैं। अखबारों से खबर मिली कि प्रज्वल रेवन्ना विदेश जा चुके है । लेकिन इतनी आसानी से कोई आरोपी कैसे विदेश चले जाते है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवानों ने जब बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शौषण के कई आरोप लगाए थे तब भी कुछ नहीं किया गया। क्योंकि आरोपी प्रमुख राजनैतिक पार्टी से जुड़े होने के साथ-साथ भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पद पर भी थे। तो धर्म और राजनीति की नब्ज़ पकडऩे वाले रसूखदार लोग कीचड़ से सने हुए  हो तो भी खुशबूदार ही माने जायेंगे। और थोड़े बहुत जो पकड़े जाते हैं वो वही लोग होते हैं जिनकी कोई पहुंच नहीं होती है। इसे सामाजिक दोहरापन भी कहा जा सकता है। हम जब बलात्कारियों को हार पहना कर स्वागत कर सकते है तो फिर इस तरह हार पहन कर गौरव अनुभव करने का मौका पाने बहुत से लोग लालायित भी होंगे।

निर्भया के समय अखबार, मीडिया और आम जनता जिस तरह सक्रिय हुए थे, आज क्यों नहीं होते हैं? ये ज्वलंत सवाल है और शायद आगे पूरे देश में ही इस एक सवाल से आग लग जाए.... या शायद नहीं! हम तो मूकदर्शक है। खामोशी अपना कर अपना रास्ता नापते रहेंगे,  जब तक ये आग खुद के दरवाज़े तक न पहुंचे। बाकी हम ये सोचते हुए समय तो काट ही सकते कि हमारा धर्म उसके धर्म से बेहतर क्यों है और हमारी पार्टी उनकी पार्टी से सफेद क्यों है !

जाते जाते याद आ रही है कि महाश्वेता देवी जी की एक लघु कथा है ...नाम ‘द्रौपदी’। एक आदिवासी औरत को पुलिस ने किस तरह यौन शौषण किया था, उसी को लेकर ये कहानी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस लघु कथा को पढ़ाया जाता था। अचानक इसे वहां के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया। बहुतों ने प्रतिवाद करके कहा कि ये प्रक्रिया अलोकतांत्रिक है। बच्चों को द्रौपदी पढक़र, आदिवासी समाज की औरतों पर जो जुल्म ढाया जाता है, उसके बारे में पता चलता है। लेकिन यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। अब ये भी बड़ा सवाल है कि आदिवासी चरित्र ‘द्रौपदी’ से किसको नुकसान होने की संभावना है! पता नहीं अगर महाश्वेता देवी जी आज जिंदा होती तो उनके सामने क्या सफाई पेश की जाती!

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news