विचार / लेख
![मतदान प्रतिशत से चौके नहीं मतदान प्रतिशत से चौके नहीं](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1715173968SC_0010.Ajpg.jpg)
-शैलेन्द्र शुक्ल
जिस संसदीय क्षेत्र में जितने अधिक मतदाता थे उसमें प्रतिशत उतना ही कम दिखाई पड़ रहा है।अपने आस पास के लोगों से पूछें बात करें तो मालूम होगा की 90 प्रतिशत से अधिक लोगों ने जो कल यहाँ उपस्थित थे, मतदान किया है। इसका सीधा मतलब है कि मतदाता सूची में लाखों ऐसे नाम जुड़े हैं जो उस क्षेत्र में निवास ही नहीं करते, कारण:-
वर्षों पूर्व अपना घर कहीं और बदल लिया है
किसी दूसरे गाँव या शहर में चले गए हैं
लड़कियाँ विवाह कर किसी दूसरे स्थान पर जा चुकी हैं
लडक़े पढ़ाई के लिए या नौकरी करने के लिए किसी अन्य स्थानों में जा चुके हैं।
-पिछली बार जब भी मतदाता सूची को अपडेट करने का सर्वे हुआ होगा उसके बाद से हर संसदीय क्षेत्र में न जाने कितने हज़ार या लाख लोग ब्रह्मलीन हो चुके हैं।
मैंने जिस मतदान केंद्र में मतदान किया वहाँ की सूची में शाम को 5 बजे जांच करने पर पाया कि उस मतदान केंद्र को कवर करने वाले क्षेत्र में बमुश्किल 5 प्रतिशत ऐसे लोग जो निवास रत हैं, किन्हीं कारणों से वोट डालने से वंचित रह गए अर्थात लगभग 95 प्रतिशत लोगों ने वोट डाल दिया तो मतदान प्रतिशत 95 प्रतिशत दर्ज होना था, किन्तु दर्ज हुआ 67 प्रतिशत इसका मतलब है सूची में दर्ज लगभग 20-25 प्रतिशत लोग अब इस क्षेत्र में निवासरत ही नहीं है। सबसे अच्छा उदाहरण तो मेरे निवास परिसर का है जिसमें मतदान के लिए कुल 11 पर्ची आई थीं जिसमें से केवल चार लोगों ने मतदान दिया क्योंकि शेष सात लोग वर्षों पूर्व अन्यंत्र चले गए हैं। विधानसभा के समय मैंने फ़ोन पर उनसे संपर्क किया था तो उन्होने बताया था कि उनके नाम अब उनके वर्तमान में निवासरत क्षेत्र की मतदाता सूची में जुड़ गए हैं किन्तु यह सही है कि रायपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की सूची से अभी हटे नहीं है। इसका सीधा अर्थ है कि मतदान का जो प्रतिशत दर्शाया जा रहा है वह भ्रामक है।
अब अगले चुनाव के लिए 4-5 साल का समय है। उसके पूर्व सही सर्वे कर वास्तविक मतदाता सूची बन जाना चाहिए। कुछ दिनों पूर्व ही एक ख़बर छपी थी कि हैदराबाद में फर्जी मतदाता सूची की शिकायत होने पर जब जाँच की गई तो पाया गया कि लगभग छह लाख वोटर ऐसे दर्ज है जो उस संसदीय क्षेत्र में निवास ही नहीं करते। वोटिंग प्रतिशत के आंकड़े देखकर मीडिया अनुमान लगाता है कि मतदाताओं की चुनाव में रुचि नहीं है जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। प्रमाण चाहिए तो आप जितने लोगों से जुड़े हैं उनसे फोन पर संपर्क कर पूछ ले, निश्चित थी 90-95 प्रतिशत लोगों का जवाब होगा कि उन्होंने वोट दिया है। वोट न देने वालों में अधिकांश किन्हीं कारणों से मजबूर होंगे, जैसे बीमार होना, जरूरी कार्य से किसी दूसरे शहर चले जाना, या पूर्व नियोजित कार्यक्रम अनुसार किसी अन्य कार्य में अन्यत्र स्थान में रहना आदि।
जिनकी चुनाव में ड्यूटी लगती है उनके वोट डालने की व्यवस्था समुचित नहीं है। कितना ही आसान हो जाता यदि वे जहाँ जिस बूथ में ड्यूटी कर रहे हैं वहीं उन्हें उनके परिचय पत्र व मतदाता सूची क्रमांक देखकर वोट देने की सुविधा हो जाती? अभी तो यदि उनके प्रतिशत पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि वो बामुश्किल 25-30 प्रतिशत है। निर्वाचन आयोग चाहे तो इन आंकड़ों में अप्रत्याशित सुधार ला सकता है।
(पूर्व अध्यक्ष, सीएसईबी)