विचार / लेख
उमंग पोद्दार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शुक्रवार 10 मई को जेल से बाहर आ गए।
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने उन्हें 1 जून तक अंतरिम जमानत दी है, साथ ही उन्हें चुनाव प्रचार करने की भी इजाजत है। केजरीवाल को 2 जून को दोबारा सरेंडर करना होगा।
मतलब ये है कि लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग तक केजरीवाल जेल से बाहर रहेंगे।
विपक्ष ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनाव के दौरान समान अवसर पर हमला बताया था। हालांकि, कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस गिरफ्तारी से विपक्ष के पक्ष में लोगों की सहानुभूति बढ़ी है।
अब कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि केजरीवाल की रिहाई से विपक्ष को फ़ायदा मिलेगा।
खासकर, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में जहां आम आदमी पार्टी का मजबूत आधार है। इससे इंडिया गठबंधन भी मजबूत होगा।
अरविंद केजरीवाल के खान-पान पर भिड़े ईडी और ‘आप’, आतिशी ने कहा- ‘जेल में जान से मारने की साजिश रची जा रही है।’
कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि लोकसभा चुनाव पांच साल में होने वाली एक अहम लोकतांत्रिक घटना है।
कोर्ट को अंतरिम जमानत देने से पहले इस पहलू पर विचार करना था।
कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वो ‘समाज के लिए ख़तरा’ नहीं हैं।
इन सब बातों को ध्यान में रखकर कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ केजरीवाल को ज़मानत देने का आदेश सुनाया।
आदेश में कहा गया कि केजरीवाल, मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जाएंगे। वो किसी भी फ़ाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि किसी आदेश पर दिल्ली के उप राज्यपाल की मंजूरी हासिल करने के लिए उनके हस्ताक्षर की जरूरत न हो।
केजरीवाल अपने खिलाफ चल रहे मौजूदा केस के बारे में कोई बयान नहीं देंगे और केस से जुड़े गवाहों से बातचीत नहीं करेंगे। हालांकि, केजरीवाल अपनी सियासी गतिविधियां जारी रख सकते हैं।
दिल्ली-पंजाब में आम आदमी पार्टी
का बढ़ेगा मनोबल?
फि़लहाल, लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। तीन चरणों के लिए वोटिंग हो चुकी है, अभी चार चरण बाक़ी हैं।
आम आदमी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले दो राज्य दिल्ली और पंजाब में अभी मतदान होना है।
दिल्ली की 7 सीटों पर 25 मई को चुनाव है। यहां से आम आदमी पार्टी 4 सीटों पर और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दोनों ही पार्टियां इंडिया गठबंधन के तहत एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं।
पंजाब की सभी 13 सीटों पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ रही है। यहां 1 जून को मतदान है। इन दोनों राज्यों के अलावा आम आदमी पार्टी हरियाणा में भी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है। यहां दिल्ली के साथ ही 25 मई को चुनाव है।
पूरे देश की बात करें तो 543 में से 285 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है। इनमें से कई जगहों पर आम आदमी पार्टी का भी आधार था।
उदाहरण के लिए, गुजरात में पार्टी ने 2 उम्मीदवारों को उतारा था। 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को पांच सीटों पर जीत मिली थी और 13त्न वोट मिले थे।
क्या केजरीवाल की रिहाई से विपक्ष को मदद मिलेगी?
जानकारों का मानना है कि केजरीवाल की रिहाई से न सिर्फ उनकी पार्टी बल्कि पूरे इंडिया गठबंधन को फायदा मिलेगा।
इससे पहले जब आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी गई थी तो कई जानकारों का कहना था कि पार्टी कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार हुआ था।
राजनीतिक विश्लेषक और आम आदमी पार्टी के पूर्व सदस्य आशुतोष कहते हैं, ‘अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी का दिल्ली और पंजाब में बड़ा प्रभाव पड़ेगा। केजरीवाल का कम्युनिकेशन स्किल बेहतरीन है और जनता से उनका जुड़ाव है।’
आशुतोष कहते हैं, ‘वो पूरे भारत में जाने जाते हैं, इससे भी चीज़ें बदलेंगी। ये मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका है। वो सिर्फ कुछ राज्यों में कैंपेन ही नहीं करेंगे बल्कि इंडिया गठबंधन की तरफ से वो दूसरे राज्यों में भेजे जाएंगे। मौजूदा वक्त में मोदी और राहुल गांधी के बाद वो बड़े नेताओं में से एक माने जाते हैं।’
राजनीतिक विश्लेषक अदिति फडनीस मानती हैं कि ये बीजेपी के लिए ‘बड़ा झटका’ है, साथ ही इससे आम आदमी पार्टी का मनोबल काफी हद तक बढ़ेगा। वो कहती हैं, ‘अब वो बाहर आकर लोगों को समझा सकते हैं।’
फडनीस मानती हैं कि दिल्ली में इसका निश्चित तौर पर सकारात्मक असर होगा। हालांकि, दूसरे राज्यों के बारे में वो इतनी स्पष्ट नहीं हैं।
फडनीस बताती हैं, ‘पंजाब में उनकी मौजूदगी से बहुत ज़्यादा असर नहीं होगा। वहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच के गठबंधन में दिक्कतें हैं। दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ गंभीरता से चुनाव लड़ रही हैं।’
वो कहती हैं कि केजरीवाल के बाहर आने से इंडिया गठबंधन को मजबूती मिलेगी, भले ही ये कुछ समय के लिए ही क्यों न हो।
फडनीस कहती हैं, ‘चुनाव के पिछले चरण के बाद से ऐसा लग रहा है कि विपक्ष उतना बुरा प्रदर्शन नहीं कर रहा है, जितने की आशंका थी।’
बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और फिर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की विपक्ष के नेताओं ने पुरज़ोर निंदा की थी। अब केजरीवाल की रिहाई के बाद कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा कि इससे इंडिया गठबंधन मजबूत होगा।
क्या केजरीवाल दोबारा जेल जाएंगे?
कोर्ट ने 10 मई को कहा कि वो उनके मुख्य मामले की सुनवाई करेगा। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। ऐसे में अगर कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ़्तारी को अवैध पाया तो वो फिर जेल नहीं जाएंगे। हालांकि, अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें 2 जून को तिहाड़ जेल वापस जाना पड़ेगा।
कथित शराब घोटाले से जुड़े कुछ मामलों में सीबीआई और ईडी दोनों ने आरोपियों को गिरफ़्तार किया है। केजरीवाल के मामले में गिरफ्तारी ईडी ने की है।
दिल्ली के उपराज्यपाल ने एनआईए को चि_ी लिखकर केजरीवाल के खिलाफ जांच के लिए कहा है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी को प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ से फंडिंग मिली है, इस संगठन पर खालिस्तान के समर्थन का आरोप लगता है।
हालांकि, कानून के जानकार मानते हैं कि 1 जून तक केजरीवाल को किसी दूसरी सरकारी एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए जाने की संभावना नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज गोविंद माथुर का कहना है, ‘मुझे ऐसा नहीं लगता कि उन्हें किसी नए आधार पर गिरफ्तार किया जाना चाहिए। अगर किसी नए मामले में उनकी गिरफ़्तारी होती है तो ये सही नहीं होगा।’
‘अगर वो किसी दूसरे मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार करना चाहते थे, जबकि ये मामला कोर्ट में चल रहा था तो उन्हें कोर्ट को जानकारी देनी चाहिए था कि उन्हें केजरीवाल के हिरासत की जरूरत है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया है, इसका मतलब है कि इसकी अभी जरूरत नहीं है।’
सीनियर एडवोकेट नित्या रामकृष्णन कहती हैं, ‘ऐसी उम्मीद नहीं है कि कोई भी एजेंसी, कोर्ट के आदेश को टालने के लिए कुछ ऐसा करेगी। अगर वो ऐसा करते हैं तो उपाय भी होंगे।’ (bbc.com/hindi)