विचार / लेख

उफ्फ़फ़़ ये विज्ञापन
14-May-2024 1:43 PM
उफ्फ़फ़़ ये विज्ञापन

ध्रुव गुप्त

बहुत सारे टीवी विज्ञापनों में लड़कियों का जैसा कामुक और अपमानजनक इस्तेमाल हो रहा है वह शर्मनाक है। यहां कई उत्पादों को प्रोमोट करने वाली लड़कियों को एक स्वतंत्र, विचारवान अस्तित्व की तरह नहीं, सेक्स टॉयज की तरह पेश किया जा रहा है। कंडोम के कुछ विज्ञापनों में खास ब्रांड के कंडोम देखकर वे ऐसी कामोत्तेजक मुद्राएं दिखाती है कि देखने वालों को शर्म आ जाए। समझ नहीं आता कि ये विज्ञापन कंडोम के प्रति जनचेतना फैला रहे हैं या कामुकता। यही नहीं, विज्ञापनों में किसी ख़ास ब्रांड का सूट, जीन्स, बनियान और यहां तक कि अंडरवियर पहनने वाले लडक़ों के इर्दगिर्द ये लडकियां मक्खियों की तरह मंडराती दिखाई जाती हैं। किसी खास ब्रांड के परफ्यूम या डियो लगाने वाले मर्दों के पीछे तो वे अपना सर्वस्व न्योच्छावर करने को तैयार हो जाती हैं। किसी खास कंपनी की बाइक अगर आपके पास है तो लिफ्ट मांगकर सरेराह आपसे लिपटने-चिपटने वाली लड़कियों की भी यहां कमी नहीं है। यह भी कि अगर आपके घर का बाथरूम किसी खास कंपनी के उपकरणों से सुसज्जित है तो कोई अनजान लडक़ी भी आपके बाथरूम में प्रवेश कर आपको सेक्सी नृत्य करके दिखा सकती हैं। यहां पुरुष के अंतर्वस्त्र देख नाचने-गाने वाली लड़कियां भी हैं और उन्हें छूकर चरम सुख का अहसास करने वाली लड़कियां भी।

टेलीविजऩ पर आने वाले ऐसे विज्ञापनों को देखकर हैरत होती है कि क्या सचमुच हमारे देश की लडकियां इतनी ही खाली दिमाग, मूर्ख और कामातुर हैं ? अगर ऐसा नहीं तो स्त्रियों की अस्मिता और स्वाभिमान को ललकारने वाले ऐसे अश्लील, विकृत, अपमानजनक विज्ञापनों के खिलाफ कहीं से भी कोई आवाज़ क्यों नहीं उठती ?

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