संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : मुम्बई की होर्डिंग मौतों से बाकी शहर संभल जाएं..
14-May-2024 4:20 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : मुम्बई की होर्डिंग मौतों से बाकी शहर संभल जाएं..

मुम्बई में कल आई तेज आंधी से एक पेट्रोल पंप के करीब बड़ा सा होर्डिंग गिरा, और उसके नीचे दबकर 14 मौतें हो गईं, इनके अलावा करीब 60 लोग जख्मी हो गए हैं जिनमें से 43 अस्पताल में भर्ती हैं। अब यह सब हो जाने के बाद बड़े पैमाने पर बचाव चल रहा है क्योंकि इसके नीचे बड़ी संख्या में लोग और गाडिय़ां दब गए थे। मुख्यमंत्री रात में हादसा देखने मौके पर पहुंचे और कहा कि मुम्बई में जितने भी होर्डिंग हैं उसका स्पेशल स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जाएगा। इस हादसे के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का जुर्म भी दर्ज किया जा रहा है। किसी भी बड़े शहर में होर्डिंग अंधाधुंध कमाई का जरिया रहती है, और एक-एक होर्डिंग का दसियों लाख रूपए महीने का भाड़ा रहता है। स्थानीय म्युनिसिपल से लेकर सडक़ किनारे की जगहों की मालिक राज्य सरकार, और पुलिस जैसे कई विभाग होर्डिंग के कारोबार में दखल रखते हैं, और इनमें भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा रहता है। हम अपने ही शहर, राजधानी रायपुर में देखते हैं जहां हजारों होर्डिंग अवैध लगी हुई हैं, और हर कुछ बरस में म्युनिसिपल उनको नोटिस देने की बात करती है, लेकिन बाद में मामला रफा-दफा हो जाता है। 

देश और दुनिया में किसी एक जगह ऐसी ठोकर लगे जैसी दहलीज दूसरी जगहों पर भी है, तो बाकी लोगों को ठोकर लगने के पहले सावधान हो जाना चाहिए। अधिकतर शहरों में जब तूफान आता है तो होर्डिंग बिजली के तारों पर गिरते हैं। तेज आंधी-तूफान में बहुत से पेड़ भी बिजली के तारों पर गिरते हैं, खंभे गिर जाते हैं, तार टूट जाते हैं, और मानो इतनी तबाही काफी नहीं रहती, होर्डिंग उसमें और इजाफा कर देते हैं। होर्डिंग का फ्लैक्स फटकर तारों से लिपट जाता है, और कई तरह के खतरे खड़े करता है। लेकिन वैध और अवैध ऐसे होर्डिंग जिन खंभों पर लगे रहते हैं, जिन छतों पर उन्हें खड़ा किया जाता है, उनकी मजबूती का कोई ठिकाना नहीं रहता, और बहुत मामूली समझ वाले म्युनिसिपल-इंजीनियर इन्हें सर्टिफिकेट दे देते हैं। जबकि मौसम की मार हर बरस अधिक तेज होती जा रही है, अधिक बार होती जा रही है, और कितने आंधी-तूफान के हिसाब से ये होर्डिंग खड़े किए जाते हैं, वे बिजली के तारों से कितने दूर रखे जाते हैं, और उनके टूटकर गिरने या उडऩे से वे कितनी दूर तक खतरा खड़ा कर सकते हैं, इसका हिसाब शायद ही म्युनिसिपल के इंजीनियर लगाते होंगे। राज्य सरकारों को चाहिए कि मुम्बई के इस हादसे को देखते हुए अपने-अपने शहरों में इस कारोबार की हिफाजत की जांच कर लें। हमें तो पहली नजर में ही यह दिखता है कि अनगिनत होर्डिंग ऐसे हैं जो अगर गिरे तो बिजली के तारों में उलझेंगे, और किसी प्राकृतिक विपदा की हालत में मुसीबत को और कई गुना बढ़ा देंगे। 

होर्डिंग के पूरे धंधे को देखें, तो इसमें कुछ भी जनहित का, और जनसहूलियत का नहीं है। यह एक विशुद्ध कारोबार है जिसे सार्वजनिक जगह पर, जनसुरक्षा के पैमानों पर कोई रियायत देने की जरूरत नहीं है। लेकिन हालत यह है कि इस धंधे में लगे हुए हजारों अवैध होर्डिंग खुद सरकारें भाड़े पर लेती हैं, और इनसे अवैध होर्डिंग्स को भी एक किस्म की हिफाजत मिल जाती है। यह सिलसिला खत्म करना चाहिए, और हर म्युनिसिपल के अफसरों को, या निर्वाचित नेताओं को यह देखना चाहिए कि अपने इलाके में वे इस निहायत गैरजरूरी कारोबार से तबाही का खतरा कैसे घटा सकते हैं। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news