विचार / लेख

कब आएगा गांवों का अमृत काल!
20-May-2024 1:55 PM
कब आएगा गांवों का अमृत काल!

  डॉ. आर.के. पालीवाल

पिछले दो साल से लगातार आज़ादी के अमृत काल का जश्न मनाया जा रहा है लेकिन जो लोग गांवों से जुड़े हैं वे जानते हैं कि देश के अधिकांश गांवों में अभी भी ऐसा कुछ विकास नहीं दिखता जिससे कहा जा सके कि गांवों में भी अमृत काल का जश्न मन सकता है। आजकल लोकसभा चुनाव का शोर चरम पर है लेकिन उसमें ग्रामीण मुद्दे लगभग नदारद हैं। स्वस्थ शिक्षित और समृद्ध गांव अभियान के साप्ताहिक वेबिनार में इस रविवार को हम लोगों ने संविधान में ग्राम पंचायत के अधिकार और कार्यक्षेत्र पर विषद चर्चा की थी क्योंकि अधिकांश ग्राम वासियों को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम पंचायत को ग्राम विकास के क्या अधिकार हैं!सभी ग्राम वासियों और ग्राम विकास के कार्यों से जुड़े व्यक्तियों, संस्थाओं, ग्राम प्रधानों, पंचों और सरपंचों के लिए यह जानना ज़रुरी है कि 73 वें संविधान संशोधन के अनुसार ग्राम पंचायत के लिए निम्न 29 काम निर्धारित किए गए हैं-

1. कृषि विस्तार सहित कृषि विकास संबंधी कार्य। 2. भूमि सुधारो का कार्यान्वयन, भूमि समेकन और मृदा संरक्षण आदि। 3. लघु सिंचाई, जल प्रबंधन और वाटरशेड विकास। 4. पशुपालन, डेयरी और मुर्गी पालन। 5. मछली पालन। 6. सामाजिक वानिकी और कृषि वानिकी। 7. लघु वनोपज। 8. खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों सहित लघु उद्योग। 9. खादी  और कुटीर उद्योग। 10. ग्रामीण आवास। 11. पेय जल। 12. ईंधन और चारा। 13. सडक़ें, पुलिया, पुल, घाट, जलमार्ग और संचार के अन्य साधन। 14. बिजली के वितरण सहित ग्रामीण विद्युतीकरण। 15. गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत। 16. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम। 17. प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों सहित शिक्षा। 18. तकनीकी प्रशिक्षण और व्यावसायिक शिक्षा। 19. वयस्क और गैर-औपचारिक शिक्षा। 20. पुस्तकालय। 21. सांस्कृति गतिविधियां। 22. बाजार और मेले। 23. स्वास्थ्य और स्वच्छता, जिसमें अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और औषधालय शामिल हैं। 24. परिवार कल्याण। 25. महिला बाल विकास। 26. विकलांगों और मानसिक रूप से मंद लोगों के कल्याण सहित सामाजिक कल्याण। 27. कमजोर वर्गों का कल्याण, और विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का कल्याण। 28. सार्वजनिक वितरण प्रणाली।29. सामुदायिक संपत्ति का रखरखाव।

इतनी सारी जिम्मेदारियों के होते हुए आज़ादी से आज तक ग्राम पंचायतें ठीक से अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाई। इसीलिए अभी तक गांवों में अमृतलाल के दर्शन नहीं हुए। ग्राम प्रधानों और सरपंचों से हमारी बातचीत के दौरान यह निष्कर्ष निकला है कि पंचायतों की निम्न प्रमुख समस्या  हैं.1. योजनाओं का राजधानी दिल्ली या भोपाल में बनना जिनमें गांव के लोग शामिल नहीं किए जाते।2. सुविधाओं के नाम पर गांवों में पंचायत भवन आदि तो बने पर वे जीवंत नहीं हैं।3. जैविक और उन्नत खेती की बातें बहुत की जाती हैं लेकिन सरकार का कोई समर्थन नहीं मिलता।4. दूर के गांव में कोई अधिकारी नहीं आता। 5. अधिकांश योजनाओं की जानकारी ब्लॉक से नीचे नही आती। 6. ज्यादा जोर किसी अच्छे काम की असली नकली फोटो ऊपर दिखाने पर रहता है इसलिए अधिकारी खाना पूर्ति करते हैं दिमाग नहीं लगाते। 7. काफी सरपंच और पंच शिक्षित नहीं। वे सोचते हैं सरकार का पैसा है अधिकारी जैसा चाहे खर्च करे। 8. जनता में जागरूकता की कमी है।9. फ्री राशन मिलने के कारण काफी लोग मनरेगा में मजदूरी नहीं करना चाहते। गांव के लोग भी कंफर्ट जोन में चले गए इसलिए ज्यादातर काम जे सी बी से करना पंचायत की मजबूरी हो गई। यही भ्रष्टाचार की जड़ बन गया।10. संपन्न लोग ही सब योजनाओं का लाभ ले लेते हैं क्योंकि उनके राजनीतिक कनेक्शन हैं और वे डॉक्यूमेंट्स के मामले में समृद्ध हैं। 11.पंचायत सचिव पंचायत की बजाय सरकार की बात मानता है। इन्हीं सब कारणों से गांव विकसित नहीं हो रहे। गांवों में अमृतलाल लाने के लिए इन तमाम बाधाओं को दूर करना होगा तभी गांवों में अमृतलाल का प्रवेश संभव है।

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