ताजा खबर
![मैं आरएसएस का सदस्य था : विदाई भाषण में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चितरंजन दास ने कहा मैं आरएसएस का सदस्य था : विदाई भाषण में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चितरंजन दास ने कहा](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1716225795ownload_(3).jpg)
कोलकाता, 20 मई। कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से सोमवार को सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास ने कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य थे।
उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों और बार के सदस्यों की उपस्थिति में अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति दास ने कहा कि यदि संगठन उन्हें किसी भी सहायता या किसी ऐसे काम के लिए बुलाता है जिसमें वह सक्षम हैं तो वह ‘संगठन में वापस जाने के लिए तैयार हैं’।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोगों को भले ही अच्छा न लगे, मुझे यहां स्वीकार करना होगा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सदस्य था और हूं।’’
न्यायमूर्ति दास स्थानांतरण पर उड़ीसा उच्च न्यायालय से कलकत्ता उच्च न्यायालय आए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘संगठन का मुझ पर बहुत एहसान है... मैं बचपन से लेकर युवावस्था तक वहां रहा हूं।’’
न्यायमूर्ति दास ने कहा, ‘‘मैंने साहसी, ईमानदार होना और दूसरों के प्रति समान दृष्टिकोण रखना तथा देशभक्ति की भावना तथा काम के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में सीखा है।’’
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने काम की वजह से करीब 37 साल तक संगठन से दूरी बनाकर रखी।
न्यायमूर्ति दास ने कहा, ‘‘मैंने कभी भी संगठन की सदस्यता का इस्तेमाल अपने करियर में उन्नति के लिए नहीं किया क्योंकि यह इसके सिद्धांतों के खिलाफ है।’’
उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी के साथ समान व्यवहार किया, चाहे वह कोई अमीर व्यक्ति हो, चाहे वह कम्युनिस्ट हो, या भाजपा, कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस से हो।
न्यायमूर्ति दास ने कहा, ‘‘मेरे सामने सभी समान हैं, मैं किसी के लिए या किसी राजनीतिक दर्शन या तंत्र के लिए कोई पूर्वाग्रह नहीं रखता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मैंने अपने जीवन में कुछ भी गलत नहीं किया है, इसलिए मुझमें यह कहने का साहस है कि मैं संगठन से जुड़ा हूं क्योंकि यह भी गलत नहीं है।’’ (भाषा)