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पुणे कार हादसा: जमानत की आलोचना के बाद आरोपी किशोर को निगरानी केंद्र भेजा गया
23-May-2024 1:41 PM
पुणे कार हादसा: जमानत की आलोचना के बाद आरोपी किशोर को निगरानी केंद्र भेजा गया

पुणे, 22 मई पुणे के कल्याणी नगर में तेज रफ्तार कार से दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर को कुचलने के आरोपी 17 वर्षीय किशोर को किशोर न्याय बोर्ड के आदेश पर निगरानी केंद्र भेजा गया है। निगरानी केंद्र के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में इस निगरानी केंद्र में30 से अधिक नाबालिग हैं।

कल्याणी नगर में रविवार तड़के पोर्श कार के नाबालिग चालक ने मोटरसाइकिल से जा रहे दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को कुचल दिया था। पुलिस ने दावा किया कि वह नशे की हालत में कार चला रहा था।

रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल (50) के बेटे को घटना के बाद किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया था जहां से कुछ ही घंटे बाद आरोपी को जमानत दे दी गई थी। इसके बाद पुलिस ने फिर से किशोर न्याय बोर्ड का रुख कर आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध किया।

दुर्घटना के कुछ घंटे बाद आरोपी को जमानत मिलने की काफी आलोचना हुई, जिसके बाद बोर्ड ने बुधवार को नाबालिग आरोपी को पांच जून तक के लिए निगरानी केंद्र भेज दिया।

निगरानी केंद्र के अधिकारी ने कहा, ''नाबालिग आरोपी को नेहरू उद्योग निगरानी केंद्र में भेज दिया गया, जहां अन्य किशोर भी हैं।''

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि निगरानी केंद्र में रहने के दौरान नाबालिग की मनोवैज्ञानिक स्थिति की भी समीक्षा की जाएगी।

किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई के दौरान नाबालिग की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता प्रशांत पाटिल के अनुसार, किसी किशोर को वयस्क आरोपी माना जाए या नहीं यह तय करने की प्रक्रिया में कम से कम दो महीने लग सकते हैं क्योंकि मनोचिकित्सकों और परामर्शदाताओं समेत अन्य लोगों से रिपोर्ट मांगी जाती है, जिसके बाद बोर्ड अपना निर्णय देता है।

पाटिल ने कहा कि हिरासत के दौरान नाबालिग को निगरानी केंद्र में रखा जाएगा और इस अवधि के लिए विशिष्ट मानक निर्धारित किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, ''बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के लिए एक मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक या परामर्शदाता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

पुलिस ने बताया कि बोर्ड ने नाबालिग को रविवार को दी गई जमानत को रद्द कर दिया है जबकि उसके अधिवक्ता ने दावा किया कि उसकी जमानत रद्द नहीं की गई है।

पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने कहा, ‘‘किशोर न्याय बोर्ड के आदेश के अनुसार नाबालिग को पांच जून तक के लिए निगरानी केंद्र भेज दिया गया है। उसके साथ वयस्क (आरोपी) के रूप में व्यवहार करने की अनुमति देने की हमारी याचिका पर अभी आदेश नहीं आया है।’’

अधिवक्ता प्रशांत पाटिल ने कहा कि रविवार को दी गई जमानत रद्द नहीं की गई है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह पहले के आदेश का संशोधन है...जमानत रद्द करने का मतलब है पहले के आदेश को रद्द करना और व्यक्ति को हिरासत में लेना। यहां हिरासत नहीं है। यह निगरानी केंद्र है।’’

किशोर न्याय बोर्ड ने रविवार के अपने आदेश में नाबालिग को सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने के लिए कहा था। उसके इस आदेश की काफी आलोचना हुई थी।

पुलिस ने नाबालिग के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 304 (गैर इरादतन हत्या), 304 (ए) (लापरवाही से मौत), 279 (लापरवाही से वाहन चलाने) और मोटर वाहन अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

इससे पहले बुधवार को एक सत्र अदालत ने नाबालिग आरोपी के पिता और होटल ब्लैक क्लब के दो कर्मचारियों नितेश शेवानी और जयेश गावकर को 24 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।

पुलिस ने उसके पिता और दो बार के मालिक और कर्मचारियों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 और 77 के तहत मामला दर्ज किया था।

प्राथमिकी के मुताबिक रियल एस्टेट डेवलपर ने यह जानते हुए भी कि उसके बेटे के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है उसे कार दे दी। जिससे उसकी जान खतरे में पड़ सकती थी। इसके अलावा उसका पिता यह भी जानता था कि वह शराब पीता है फिर भी उसे पार्टी करने की इजाजत दी।

गैर-लाभकारी संगठन ‘कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग’ के संस्थापक और कार्यकर्ता प्रिंस सिंघल ने बुधवार को एक बयान में कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर पुणे दुर्घटना मामले का संज्ञान लेने और अपराधी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देने का अनुरोध किया है।  (भाषा)

 

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