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‘केबीसी’ का दबदबा
स्कूल शिक्षा विभाग मेेें ‘केबीसी’ का दबदबा बरकरार है। सरकार चाहे कोई भी हो, ‘केबीसी’ की हैसियत में कमी नहीं आई है। ‘केबीसी’ यानी काबरा, बंजारा और चावरे। उप संचालक स्तर के अफसर कैलाश चंद काबरा, अशोक नारायण बंजारा, और आशुतोष चावरे के खिलाफ ढेरों शिकायतें हुई है। मगर वो विभागीय मंत्री के पसंदीदा बने रहे।
बताते हैं कि पिछली सरकार में शिक्षक प्रमोशन पोस्टिंग घोटाला हुआ था। इसमें कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई, लेकिन इन तीनों का बाल बांका नहीं हुआ। बंजारा भूपेश सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री रहे डॉ. प्रेमसाय सिंह के ओएसडी रहे, और उस समय भी ट्रांसफर में लेनदेन का आरोप लगा था। इसके बाद बंजारा को हटा दिया गया था। वे कई महीनों तक दफ्तर भी नहीं आते थे।
सरकार बदलने के बाद भी रूतबा कम नहीं हुआ है। स्कूल शिक्षा से जुड़े नीतिगत फैसलों में भी ‘केबीसी’ की राय अहम रहती है। निजी स्कूल संचालकों से ‘केबीसी’ की घनिष्ठता किसी से छिपी नहीं है। यही वजह है कि वो सरकार के लिए उपयोगी बने हुए हैं।
ओडिशा में छत्तीसगढि़हा
ओडिशा चुनाव में प्रदेश भाजपा के कई नेता अपना दम लगा रहे हैं। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन के बेटे पृथ्वीराज हरिचंदन ओडिशा की चिल्का सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां रायपुर उत्तर के विधायक पुरंदर मिश्रा तो मेहनत कर ही रहे हैं, और अब स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी वहां प्रचार में डटे हुए हैं। दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ सरकार के चीफ पायलट रहे कैप्टन डी.एस.मिश्रा भी जूनागढ़ सीट से चुनाव मैदान में हैं। डी.एस.मिश्रा ओडिशा सरकार में गृहमंत्री भी थे, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया था। वो तीसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। डी.एस.मिश्रा की छत्तीसगढ़ के कई भाजपा नेताओं से बेहतर संबंध है। यही वजह है कि यहां के नेता उनका हालचाल ले रहे हैं।
कुरुद की कथा ऐतिहासिक !
कुरूद में कथावाचक प्रदीप मिश्रा का शिव महापुराण सुनने के लिए लाखों की भीड़ जुटी। इतनी भीड़ पहले कभी कुरूद में नहीं आई थी। यहां व्यवस्था संभालने में जिला और पुलिस प्रशासन का पसीना छूट गया।
आयोजन समिति के संरक्षक पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर थे। अजय रोज एसपी से लेकर डीजीपी तक आधा दर्जन बार बात करते थे, और व्यवस्था न बिगड़े, इसको लेकर जरूरी हिदायत देते थे। शिव महापुराण के चलते अजय चंद्राकर बाकी नेताओं की तरह ओडिशा और झारखंड चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं गए। बुधवार को बिना किसी विघ्न के शिव महापुराण का समापन हुआ तो कई लोगों ने अजय चंद्राकर को धन्यवाद दिया।