विशेष रिपोर्ट

अंजान बीमारियों से ग्रसित बैगा और आदिवासी परिवारों की बालिकाएं
24-May-2024 8:42 PM
अंजान बीमारियों से ग्रसित बैगा और आदिवासी परिवारों की बालिकाएं

  मितानीनों ने भरसक प्रयास किया, परन्तु स्थिति होती जा रही है गंभीर  

विशेष रिपोर्ट : चंद्रकांत पारगीर

बैकुंठपुर (कोरिया),  24 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) जिले के भरतपुर तहसील में ‘छत्तीसगढ़’ ने बैगा और आदिवासी परिवारों की ऐसी तीन बालिकाओं को खोजा, जो जन्म से ही ऐसी बीमारी से ग्रसित है, जिनका इलाज संभव होने के बाद भी वो ठीक नहीं हो पाई है। 

बेहद गरीब परिवार होने के कारण परिजन उन्हें रायपुर जैसी बड़े शहरों में ले जाकर इलाज कराने में असमर्थ है। ऐसे में तीनों बालिकाएं बीमारियों को कष्ट सह रही है, परिवार वालों ने भी उन्हें भगवान भरोसे छोड़ रखा है।

दूरस्थ भरतपुर तहसील वैसे तो कई तरह के विकास से आज भी अछूता है, यहां स्वास्थ्य की स्थिति वर्षों से बदहाल है। यहां के ज्यादातर लोग अपना इलाज करवाने मध्यप्रदेश के शहडोल पर निर्भर हैं। गंभीर रूप से घायल होने के पर शहडोल के बाद लोगों को रीवा मेडिकल कॉलेज का रूख करना होता है। 

इस तहसील में बैगा जनजाति के लोगों के साथ गोंड आदिवासी समाज की बाहुल्यता है। ऐसे में ‘छत्तीसगढ़’ ने कई गांव के दौरे के बाद तीन ऐसी बालिकाओं को खोजा, जो गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं। जन्म से ही वो इसकी शिकार हंै, माता पिता की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उनका इलाज बड़े शहरों में नहीं हो पा रहा है। माता-पिता ने उन्हें उनके हाल पर घर में रखा हुआ है।

पीठ में घाव, पैर से मवाद
गोंड आदिवासी परिवार में 16 वर्ष पहले जन्मी ज्ञानवती के पीठ के नीचे छोटा घाव था, जो अब बढक़र काफी बड़ा हो गया है। ज्ञानवती के पिता बताते हंै कि एक साल पहले वो चल फिर सकती थी, परन्तु अब एक साल से उसका चलना फिरना बंद हो गया है, पीठ में घाव है और उसका मवाद उसके दाएं पैर से निकलता है, पहले पैर में सभी उंगलियां थी, परन्तु मवाद के निकलते रहने से दाएं पैर की उंगलियां भी गल गई हैं। 

परिवार भरतपुर तहसील के ग्राम पंचायत रामगढ़ के आश्रित ग्राम गिरवानी में रहता है। आदिवासी परिवार खेती-बाड़ी करके अपना गुजर-बसर कर रहा है। पहले पहल बालिका के इलाज के लिए भाग-दौड़ की गई, परन्तु अब उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया है, ज्ञानवती दिनभर बिस्तर में पड़ी रहती है।

चेहरे पर बड़ा सिस्ट
बैगा जनजाति के सुखराम बैगा की बेटी का जन्म डेढ़ वर्ष पूर्व हुआ था, उन्होंने प्यार से उसका नाम गणेशिया रखा, जन्म के समय उसके चेहरे पर छोटा सा सिस्ट था, परन्तु अब बढक़र वो एक किलो से ज्यादा हो गया है, उसकी आंख और नाक उसके समा गयी है। गणेशिया उसे लेकर चुपचाप इधर उधर लुढक़ती रहती है। 

बैगा परिवार भरतपुर तहसील के ग्राम पंचायत भगवानपुर में निवास करता है, उनका घर भगवानपुर के आवास पारा में है।  पिता सुखराम ने एक बार गणेशिया को डॉक्टर को दिखाया था, तब उन्होंने थोड़ा और वजन होने के बाद लाने को कहा था, परन्तु अब वो उसे ले जाकर इलाज करवाने में असमर्थ है, और गणेशिया के चेहरे का सिस्ट लगातार बढ़ते जा रहा है।
 

बढ़ रहा है सिर का आकार
भरतपुर तहसील के ग्राम पंचायत देवगढ़ के आश्रित ग्राम छपराटोला निवासी मुकेस बैगा की बेटी अंजली बैगा का सिर उपर की ओर से बड़ा और कठोर होता जा रहा है, ऐसा जन्म के बाद से हो रहा है। उनकी उम्र लगभग 2 वर्ष होने को है, पहले वो सुनती भी थी, परन्तु अब उसको सुनाई देना बंद कर दिया हैै। मुकेश की आर्थिक स्थित मजबूत नहीं है, जिसके कारण उसने एक-दो बार उसके इलाज की कोशिश की, परन्तु अब उसके इलाज के लिए प्रयास नहीं कर पा रहा है।

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