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80 फीसदी दिव्यांग, राशन कार्ड है, मतदाता भी
विशेष रिपोर्ट : उत्तरा विदानी
महासमुंद, 16 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। जिले के भलेसर गांव में एक परिवार रहता है। इस परिवार के सदस्यों का राशन कार्ड है। मतदान भी करने जाते हैं लेकिन सर्वे सूची में नाम नहीं होने के कारण इस परिवार को प्रधानमंत्री आवास समेत कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
इस घर का एकमात्र कमाऊ युवक 80 फीसदी दिव्यांग है। सामने बरसात का मौसम है। कच्चे मकान के छप्पर में कवेलू कम छेद ज्यादा है। दीवारों में जगह जगह दरारें हैं, ऐसे में अपने मासूम बच्चों के साथ अनहोनी के डर से उक्त युवक ने यू-ट्यूब के जरिए प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से गुहार लगाई है। पंचायत से, जनपद से, जिला प्रशासन से गुहार लगा चुके शिव को मुख्यमंत्री से उम्मीद है कि किसी न किसी तरह से उनके रहने के लिए ठिकाना जरूर बनाएंगे।
वायरल यू ट्यूब वाली वीडियो की हकीकत जानने आज ‘छत्तीसगढ़’ शिव के घर पहुंचा। भलेसर गांव महासमुंद जिला मुख्यालय से लगा हुआ लगभग तीन किलोमीटर दूरी पर है। यहां पुराना पारा और नयापारा को मिलाकर लगभग दो हजार की आबादी है। गांव में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए अलग बस्ती है नयापारा। शिव का परिवार इसी नयापारा बस्ती में रहता है। इनकी पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। परिवार में माता-पिता और छोटे भाई-बहन हैं। भाई-बहनों की शादी हो चुकी है। शिव अपने परिवार का सबसे बड़ा बेटा है।
बारहवीं कक्षा तक पढ़ा शिव पक्के मकानों में रंग रोंगन का काम करता था। आठ साल पहले देर शाम महासमुंद से काम करके घर लौट रहा था कि रास्ते में ही सडक़ दुर्घटना में वह गंभीर रूप से घायल हो गया। काफी इलाज के बाद भी शिव के कमर से नीचे का हिस्सा बेजान ही रहा।
अंतत: शिव ने इसे ही अपनी किस्मत मान समाज कल्याण विभाग से मिले मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल के सहारे चौक चौराहों पर नगाड़ा, खिलौने आदि बेचने लगा। पत्नी किसी तरह शिव को जमीन से उठाकर ट्राइसाइकिल में बिठाती है और शिव बच्चों के रोटी की जुगाड़ में निकल जाता है।
शिव को एक ही चिंता है कि बारिश में उसका कच्चा मकान साथ नहीं देगा, ऐसे में परिवार का क्या होगा? ऐसा नहीं है कि गरीब, विकलांग और अनुसूचित जाति को मिलने वाली सरकरी योजनाओं की जानकारी शिव को नहीं है। वह पढ़ा लिखा है और इस हालत में वह दफ्तरों के चक्कर लगाता है। सभी जगह एक ही जवाब मिलता है कि सर्वे सूची में नाम नहीं है, इसलिए उसे प्रधानमंत्री आवास समेत किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला है।
शिव ने मुख्यमंत्री श्री साय से जो निवेदन किया है वह इस तरह है..
मुख्यमंत्री महोदय, मैं आपका वोटर हूं। आपके प्रदेश के महासमुंद जिले में भलेसर गांव है, वहीं रहता हूं तीन चार पीढियों से। सर्वे सूची में पता नहीं क्यों मेरे परिवार का नाम नहीं है? मैं इतना जानता हूं बहुत कोशिशों के बाद मैं जिंदा हूं और अचल होकर भी परिवार का पालन पोषण करता हूं। मेरे हालात अपने आप मेरी कहानी कहता है। मैं दर-दर भटकता हूं। मुझे विकलांग पेंशन तक नहीं मिलता। आपके अधिकारियों को और क्या सबूत दूं?
थक हारकर आपसे गुजारिश कर रहा हूं कि कम से कम मेरे परिवार के लिए आवास और मेरे लिए विकलांग पेंशन की व्यवस्था कर दीजिए, वरना मिट्टी का जर्जर मकान मेरे परिवार को कभी भी खत्म कर देगा। मेरी बात आप सुन सकते हैं तो कहना चाहूंगा कि सर्वे सूची में नाम नहीं होने से किसी को मृत समझ लेना अन्याय है। मेरे जिंदा होने का सबूत है कि मैं अपने परिवार के साथ मतदान करने जरूर जाता हूं।
शिवकुमार टाण्डेकर के पिता विजय टांडेकर बताते हैं कि शिव के रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण वह अचल है। इसके बाद से उसकी पत्नी, बच्चों और परिवार की हालत खराब है। जैसे तैसे जीवन यापन हो रहा है। अब कच्चा मकान भी जर्जर हालत में है। सर्वे सूची में नाम नहीं है, इसलिए आवास योजना और विकलांग पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं। प्रत्येक चुनाव में हम मतदान करते हैं।