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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : महिला को बच्चे पैदा करने की मशीन से भी अधिक समझना जरूरी
22-Jun-2024 4:34 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : महिला को बच्चे पैदा करने की मशीन से भी अधिक समझना जरूरी

कलकत्ता हाईकोर्ट : फोटो : सोशल मीडिया

बंगाल की एक खबर है कि एक पति ने अपना वंश आगे बढ़ाने की चाह में अपनी पत्नी के साथ दूसरे लोगों से जबर्दस्ती सेक्स करवाया। पत्नी रिपोर्ट लिखाने पुलिस में गई तो वहां एफआईआर से मना कर दिया गया। इसके बाद यह महिला कलकत्ता हाईकोर्ट गई तो वहां न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने पुलिस को जमकर फटकार लगाई है, और मामले पर रिपोर्ट मांगी है। यह मामला चूंकि पुलिस और अदालत तक पहुंच गया, इसलिए सामने आया है, वरना संतान की चाह में, और खासकर पुत्रमोह में आम हिन्दुस्तानी महिला पर जो जुल्म होता है, उसकी कोई सीमा नहीं है। कभी उसकी सौत लाने की बात होती है, तो कभी ससुराल के तमाम लोग उसकी मानसिक प्रताडऩा में जुट जाते हैं, उसे तरह-तरह के तांत्रिकों और बाबाओं की शरण में ले जाया जाता है कि वह किसी तरह से मां तो बने, और कई मामलों में ऐसी महिला अघोषित रूप से उन बाबाओं और तांत्रिकों की औलाद की ही मां बनने को मजबूर कर दी जाती है। फिर जिनके पास अधिक आर्थिक क्षमता है उनके लिए अब तरह-तरह की कृत्रिम गर्भाधान तकनीकें भी मौजूद हैं, लेकिन बंगाल का यह ताजा मामला कुछ अधिक ही शर्मनाक है कि पति ने पत्नी पर दूसरे मर्द ढील दिए ताकि वह किसी तरह गर्भवती तो हो जाए। 

भारत में, और खासकर हिन्दुओं में पुत्र का महत्व धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में इतना अधिक स्थापित किया गया है कि पुत्र का हाथ लगे बिना मुर्दा मां-बाप को मोक्ष नहीं मिलता, या शायद स्वर्ग में बड़ा बंगला आबंटित नहीं होता। हिन्दुओं की बहुत सारी व्रत कथाएं पुत्र की कामना के लिए ही बनी हैं, और तरह-तरह के उपवास भी। कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी पुत्र दिलवाने के लिए बनी हैं। हिन्दुओं में संपत्ति के बंटवारे के ताजा कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को छोड़ दें, तो अभी कुछ बरस पहले तक सारी संपत्ति बेटों में ही बांटने का कानून था, और लडक़ी के लिए यह मान लिया जाता था कि उसकी शादी में जो खर्च किया गया है, वही उसका हक था। इस तरह हिन्दू समाज की सारी सोच पुत्रकेन्द्रित है, और वंश आगे बढ़ाने की सोच भी पुत्र पर ही टिकी रहती है, क्योंकि पुत्री की शादी तो किसी दूसरे परिवार में होती है, और उसकी वजह से माता-पिता का वंश आगे बढ़े, ऐसा नहीं माना जाता है। कुल मिलाकर हिन्दुओं की सारी सोच बेटों पर केन्द्रित, बेटों तक सीमित रहती हैं, और संतान न होने पर जो लोग गोद लेते भी हैं, वे लोग आमतौर पर परिवार के ही किसी बच्चे को गोद लेते हैं ताकि घर की संपत्ति परिवार में ही रहे। 

इससे दिक्कत यह होती है कि समाज में जो बेसहारा बच्चे रह जाते हैं, जिनके मां-बाप किसी वजह से गुजर गए हों, या जिन्हें कहीं फेंक दिया गया रहा हो, उनके लिए एक संभावित घर कम हो जाता है क्योंकि ऐसे बच्चों के मुकाबले लोग परिवार के भीतर के बच्चे ही गोद ले लेते हैं। आज हालत यह है कि लोगों में अपने खुद के खून को लेकर, डीएनए को लेकर मोह इतना अधिक है कि वे बहुत महंगी कृत्रिम गर्भाधान, या सरोगेसी जैसी तकनीक का इस्तेमाल भी कर लेते हैं, लेकिन बच्चा वे अपना खुद का चाहते हैं। इसके पीछे की एक बड़ी वजह यह है कि लोगों के मन में सामाजिक सरोकार नहीं सरीखा रह गया है। बेसहारा बच्चों को अपनाने के बजाय लोग इस ताजा मामले में तो पत्नी के साथ दूसरे मर्दों से जबरिया सेक्स करवाने तक पहुंच गए हैं, ताकि बच्चा परिवार में ही पैदा हो सके। लोगों को याद होगा कि महाभारत की कहानी में पति से बच्चा न हो पाने पर पति-पत्नी की सहमति से किसी दूसरे व्यक्ति से गर्भधारण करने की एक सामाजिक प्रथा का जिक्र है, और महाभारत के कुछ चर्चित किरदार उसी तरह से पैदा हुए थे। इस प्रथा का जिक्र महाभारत की कथा, और सामाजिक प्रथाओं के इतिहास में बड़े खुलासे से किया गया है। इस प्रथा के साथ यह जोड़ा गया था कि पति के गुजर जाने पर वह महिला अगर संतान चाहती है, तो वह अपने पिता की आज्ञा से संतान प्राप्ति के लिए किसी दूसरे पुरूष से देहसंबंध कर सकती है, और महिला का पति यदि जिंदा भी हो, और बच्चा पैदा करने में असमर्थ हो, तो भी नियोग प्रथा से महिला बच्चा पा सकती है जो कि पति-पत्नी दोनों की संतान कहलाएगा, और नियोग करने वाला पुरूष कभी ऐसी संतान पर दावा नहीं करेगा। कुछ दूसरे धर्मों में भी ऐसी प्रथा का जिक्र है, और पति के भाईयों से गर्भधारण में मदद ली जा सकती है। चीन के एक पहाड़ी समुदाय के बारे में यह जानकारी किताबों में दर्ज है कि वे अपने समुदाय में रक्त-विविधता के लिए वहां से गुजरने वाले सैलानियों की मेहमाननवाजी करते हैं, और वे अपनी महिलाओं से सेक्स का मौका ऐसे मेहमान मर्दों को देते हैं, ताकि समुदाय में नया रक्त आ सके। 

लेकिन अपनी पत्नी को दूसरे मर्दों के साथ सेक्स पर मजबूर करना एक खतरनाक कानूनी और सामाजिक जुर्म है। इसमें महिला को बच्चे पैदा करने का पारिवारिक सामान ही मान लिया गया है, और यह तो भला हो कि हाईकोर्ट की महिला जज का जिसने पुलिस को इस मामले की जांच करके रिपोर्ट देने को कहा है। समाज को भी अपने बारे में सोचना चाहिए कि महिलाओं के इतने अधिक शोषण से कैसे बचा जा सकता है। कैसे महिला को बच्चे पैदा करने की मशीन से परे भी कुछ समझा जा सकता है। संतान मोह में महिला से उसका पति ही दूसरे मर्दों से जबरिया सेक्स करने को मजबूर करे, इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि वह औरों के लिए मिसाल भी रह सके। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)  

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