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-संदीप साहू
पूरे 46 साल के बाद आज आख़िरकार पूरी के विश्व प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मन्दिर के रत्न भंडार में रखे गए बहुमूल्य रत्न अलंकारों की गिनती की प्रक्रिया शुरू हुई.
पूर्व निर्धारित शुभ मुहूर्त के अनुसार आज दोपहर ठीक एक बजकर 28 मिनिट पर एक 11 सदस्यीय टीम रत्न भंडार के अंदर गई.
इस टीम में अलंकारों की गिनती के लिए जस्टिस विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई कमिटी के दो सदस्य, जिला, मंदिर प्रशासन और सेवायतों के प्रतिनिधियों के अलावा राष्ट्रीय प्रत्नतात्विक सर्वेक्षण यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ए एस आई) के सदस्य थे.
शाम को बाहर आने के बाद श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक डॉ अरविंद पाढ़ी ने पत्रकारों को बताया कि आज केवल बाहरी रत्न भंडार में जमा आभूषणों को मंदिर के अंदर बने अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में स्थानांतरित किया गया और उसे सील कर चाबी जिला प्रशासन को हस्तांतरित कर दिया गया.
उन्होंने कहा, "हमने जिला ट्रेजरी में रखे गए चाबी से भीतर रत्न भंडार में लगे तीन तालों को खोलने की कोशिश की, लेकिन वे खुले नहीं. इसलिए राज्य सरकार द्वारा हमें दिए गए एस ओ पी के अनुसार हमने ताले तोड़े और अंदर प्रवेश किया."
"अंदर हमने कई संदूकें और अलमारियां देखे, लेकिन उन्हें खोला नहीं क्योंकि तब तक काफी देर हो चुकी थी और आज सारे आभूषणों को स्थानांतरण करना संभव नहीं था. कल महाप्रभु का "बाहुड़ा (वापसी) यात्रा" है, जिसे सफल रूप से संपन्न करने के लिए जिला और मंदिर प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसलिए हम राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद भीतर रत्न भंडार खोलने और वहां से सारे आभूषणों को अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में स्थानांतरण के लिए एक और दिन या करेंगे."
भीतरी रत्न भंडार से सारे आभूषणों को स्थानांतरित करने के बाद उसकी मरम्मत की जाएगी. ग़ौरतलब है की एएसआई ने 2018 में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि रत्न भंडार की स्थिति बहुत ही नाजुक है.
एएसआई का कहना था कि कई जगह पानी रिस रहा है और दीवारों पर छाले पड़ गए हैं, इसलिए उसकी मरम्मत की ज़रूरत है वर्ना रत्न भंडार ढह सकता है.
2018 में राज्य सरकार ने रत्न भंडार का जायज़ा लेने के लिए एक टीम बनाई थी, लेकिन कमिटी अंदर नहीं जा पाई थी क्योंकि जिस चाबी के साथ टीम अंदर गई थी उससे रत्न भंडार में लगे ताले खुले नहीं.
पाढ़ी ने बताया कि ए एस आई द्वारा भीतरी रत्न भंडार के बाद ही अस्थायी स्ट्रांग रूम में रखे गए आभूषणों को दोबारा अंदर लाया जाएगा और फिर उनकी गिनती होगी.
आख़िरी बार 1978 में रत्न भंडार की इन्वेंटरी बनाई गई थी. उस समय यह प्रक्रिया पूरे 70 दिन चली थी लेकिन फिर भी पूरी तरह से संपन्न नहीं हो पाई थी क्योंकि गिनती के लिए बाहर से बुलाए गए अलंकार विशेषज्ञ भी रत्न भंडार में रखे गए कई आभूषणों का सही आकलन नहीं कर पाए थे.
माना जाता है कि रत्न भंडार में हीरे, मोती, स्वर्ण और अन्य कई बहुमूल्य रत्न से बने बेशुमार आभूषण हैं जिनके मूल्य सैकड़ों करोड़ में है. (bbc.com/hindi)