ताजा खबर
![झोलाछाप के इलाज से मलेरिया पीड़ित दो भाइयों की मौत झोलाछाप के इलाज से मलेरिया पीड़ित दो भाइयों की मौत](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1721279796MHO_office_Bilaspur.jpg)
गांवों में मरीज को ढूंढकर इलाज करने के सीएम के आदेश का असर नहीं
बिलासपुर, 18 जुलाई। कोटा क्षेत्र के टेंगनमाड़ा में दो भाइयों की मलेरिया की चपेट में आने से मौत हो गई। उनका इलाज 4 दिन तक झोलाछाप डॉक्टर कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने हाल ही में स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया था कि गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य विभाग मरीजों की खोजबीन करे और मरीजों की जांच कर उपचार करे। इसके बावजूद इस गांव में दो बच्चों की मौत के बाद टीम पहुंची है।
ज्ञात हो कि इस समय कोटा क्षेत्र के कई गांवों में डायरिया और मलेरिया का प्रकोप है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग को सूचना मिली कि टेंगनमाड़ा ग्राम में मलेरिया की चपेट में आने से 15 साल के इरफान और उसके भाई 12 साल के इमरान की मौत हो गई है। जानकारी मिली कि बुखार व ठंड की शिकायत पर इन दोनों का इलाज उनके माता-पिता झोलाछाप डॉक्टरों से करा रहे थे। उन्हें गंभीर हालत में कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था, जहां उनकी मौत हो गई।
मामले में जानकारी मिली है कि मृतक बच्चों के झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने से पहले टेंगनमाड़ा स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र भी गए थे, जहां स्टाफ ने उन्हें साधारण बुखार की दवा दी थी। ठीक नहीं होने उन्होंने झोलाछाप डॉक्टर को बुलाया था जिसने उसे एक सलाइन चढ़ाई और इंजेक्शन दिया। इसके बाद तबीयत ज्यादा खराब हो गई।
इसके बाद टेंगनमाड़ा में डॉक्टरों की टीम पहुंची और वहां 7 और मरीज मिले। इनका इलाज शुरू किया गया है। कोटा के महामाया पारा, लारीगांव, लखराम, नेवसा, कलमीटार आदि गांवों में भी मरीज मिले हैं जिनका उपचार चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मलेरिया और डायरिया के मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को गांवों में मरीजों की तलाश करने और उनका उपचार करने का निर्देश हाल ही में दिया था। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी कुछ दिन पहले बिलासपुर आए थे और उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर, दवा और स्टाफ की उपलब्धता के बारे में चर्चा की थी। मंत्री ने भी मरीजों के इलाज में लापरवाही नहीं बरतने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद जिले के कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर नहीं पहुंचते। न ही स्टाफ मरीजों की जानकारी जुटा रहे हैं।