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स्वामी यशवीर सिंह को जानिए, जिनकी चेतावनी के बाद योगी सरकार ने नाम लिखवाने का लिया था फैसला
23-Jul-2024 4:02 PM
स्वामी यशवीर सिंह को जानिए, जिनकी चेतावनी के बाद  योगी सरकार ने नाम लिखवाने का लिया था फैसला

-  दिलनवाज पाशा
स्वामी यशवीर का कहना है कि वो अपने आंदोलन को देशभर में लेकर जाएंगे। मुजफ़्फ़ऱनगर से कऱीब 15 किलोमीटर दूर बघरा गाँव में आम के बाग़ों से घिरे ‘योग साधना यशवीर आश्रम’ के बाहर लगा लोहे का मज़बूत दरवाज़ा बंद है। गेट खटखटाने पर भीतर से पहचान की पुष्टि होने के बाद ही ये दरवाजा खुलता है। भीतर एक आम के पेड़ के नीचे स्वामी यशवीर प्लास्टिक की कुर्सी पर अकेले बैठे हैं। इस साधारण से दिखने वाले आश्रम में उनके अलावा सिर्फ उनके शिष्य ब्रह्मचारी स्वामी मृगेंद्र ही रहते हैं। पहले इस आश्रम में स्वामी यशवीर आसपास के लोगों को योग सिखाया करते थे और योग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से ही इस आश्रम की स्थापना हुई थी। स्वामी यशवीर ने भगवा वस्त्र पहने हैं जबकि उनके शिष्य ने सफेद वस्त्र। पीछे पूजा स्थल है और उसके ठीक बगल में यज्ञ स्थल, जहाँ सालाना यज्ञ होता है। स्वामी यशवीर ने कऱीब दो दशक पहले बघरा गांव में इस आश्रम की स्थापना की थी। 2015 में इस आश्रम में बने ‘महंत अवैद्यनाथ भवन’ का शिलान्यास उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। 

मुजफ़्फ़ऱनगर में प्रशासन के ढाबों, होटलों, चाय की दुकानों और खाद्य सामग्री बेचने वाली दुकानों के मालिकों को अपने नाम बड़े-बड़े अक्षरों में अंकित करने का आदेश देने के बाद से स्वामी यशवीर चर्चा में हैं। स्वामी यशवीर ने ही प्रशासन से ये क़दम उठाने की मांग की थी। उन्होंने अपनी मांग न माने जाने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी थी। उन्होंने धमकी दी थी कि अगर सरकार यह काम नहीं करवा पाएगी तो ख़ुद ऐसा करवाएंगे। हालांकि रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।
 

विवादों से पुराना नाता
ये पहली बार नहीं है, जब स्वामी यशवीर का नाम चर्चा में हैं। इससे पहले भी वो कई बार सुर्खियों में आ चुके हैं। लेकिन हर बार वो विवादों से ही चर्चाओं में आए। ब्रह्मचारी स्वामी मृगेंद्र स्वामी यशवीर के साथ किसी साये की तरह रहते हैं। स्वामी मृगेंद्र ही आश्रम पहुंच रहे मीडियाकर्मियों को यशवीर से मिलवाते हैं। भीतर किसी को दाखिल करने से पहले वो अपनी सतर्क निगाहों से पूरी जांच-पड़ताल करते हैं। हाल के सालों में स्वामी यशवीर ने मुसलमानों पर निशाना साधते हुए कई मुद्दों को उठाया है। उनके शिष्य का कहना है कि इसी वजह से स्वामी को खतरा भी रहता है। इस आश्रम की स्थापना से पहले के अपने जीवन के सवाल पर स्वामी यशवीर चुप्पी साध लेते हैं। मुजफ़्फ़ऱनगर के ही एक जाट परिवार में जन्मे स्वामी यशवीर दोबारा उनकी मूल पहचान के बारे में सवाल पूछने पर लंबी चुप्पी के बाद कहते हैं, ‘संतों से उनके निजी जीवन के बारे में प्रश्न नहीं किया जाता है। अभी हम हिंदू संत हैं, स्वामी यशवीर हैं, यही हमारी पहचान हैं।’ अपने जीवन के बारे में स्वामी यशवीर सिर्फ यही बताते हैं कि उन्होंने बचपन में ही अपना घर परिवार छोड़ दिया था और अब परिवार से उनका अधिक संपर्क नहीं हैं। मुजफ़्फ़ऱनगर के बघरा गांव में आश्रम की स्थापना करने से पहले वो हरियाणा में कई जगहों पर रहे और योग सीखा।

विवादित टिप्पणी से चर्चा में आए
मुजफ़्फ़रनगर से सटे शामली जिले के कांधला थाना इलाक़े की एक हिंदू युवती के एक मुसलमान युवक के साथ चले जाने के बाद आयोजित हिंदू पंचायत में यशवीर ने पैग़ंबर मोहम्मद पर मंच से विवादित टिप्पणी की थी। इस पंचायत में भारतीय जनता पार्टी के कई स्थानीय नेता भी शामिल हुए थे। कांधला थाने में स्वामी यशवीर पर धार्मिक भावनाएं भडक़ाने और समाज में द्वेष फैलाने के आरोपों के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ था। 28 दिसंबर 2015 को स्वामी यशवीर को गिरफ़्तार करके जेल भेजा गया था। उन पर आईपीसी की धारा 153, 153ए, 120बी और 295 के तहत मुक़दमा दर्ज हुआ था। इस मामले में स्वामी यशवीर कऱीब साढ़े सात महीने जेल में रहे थे। स्वामी यशवीर को 19 मार्च 2016 को ज़मानत मिल गई थी। तब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। प्रशासन ने उन्हें जेल से छूटने से रोकने के लिए उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) की धाराएं भी जोड़ दी थीं, जिस वजह से उन्हें जेल में ही रहना पड़ा। स्वामी यशवीर पर रासुका लगाए जाने का तब हिंदूवादी कार्यकर्ताओं और बीजेपी नेताओं ने विरोध किया था। अगस्त 2016 में जब प्रशासन ने रासुका हटाई तब उनकी जेल से रिहाई हो सकी। स्वामी यशवीर जब जेल से रिहा हुए तो हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने उनका ज़बर्दस्त स्वागत किया था। इस दौरान बीजेपी नेताओं ने भी उन्हें मालाएं पहनाई थीं।

घर वापसी का दावा
स्वामी यशवीर का दावा है कि वो अब तक एक हज़ार से अधिक मुसलमानों की ‘सनातन धर्म में घर वापसी’ करा चुके हैं। स्वामी यशवीर ने हिंदू धर्म छोडक़र मुसलमान बनने वाले लोगों के खिलाफ आंदोलन भी चलाया था। उनके शिष्य के मुताबिक़ इस दिशा में स्वामी यशवीर के प्रयास अब भी जारी हैं। स्वामी यशवीर ‘घर वापसी’ करने वाले लोगों के लिए आश्रम में शुद्धीकरण हवन भी करते हैं।स्वामी यशवीर का दावा है कि वो ऐसे हज़ारों लोगों के संपर्क में हैं जो घर वापसी करना चाहते हैं।

मुसलमान ढाबा मालिकों के खिलाफ आंदोलन
स्वामी यशवीर ने मुजफ़्फ़ऱनगर में हिंदू नामों से संचालित ढाबों और होटलों के मुसलमान मालिकों के खिलाफ साल 2023 में कांवड़ यात्रा से पहले आंदोलन शुरू किया था। स्वामी यशवीर दावा करते हैं, ‘हमें हिंदू देवी देवताओं के नाम पर मुसलमान मालिकों के ढाबों के बारे में जानकारियां मिल रही थीं। ऐसे ढाबों पर हिंदुओं को गुमराह किया जाता है। हमने ठाना कि ऐसे सभी ढाबों को बंद कराना है। मुजफ़्फ़ऱनगर में हम कामयाब हो गए हैं, अब हमें अपनी इस मुहिम को राज्य और देश में विस्तार देना है।’ यशवीर कहते हैं, वो चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुहिम का समर्थन करें और देश भर में दुकानों और होटलों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम लिखे जाएं।

राजनीतिक कनेक्शन
स्वामी यशवीर बातचीत में अपनी राजनीतिक पहुँच भी ज़ाहिर कर देते हैं। स्वामी यशवीर कहते हैं, ‘यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे भरोसा दिया है कि वो पूरे प्रदेश में नाम लिखने की इस मुहिम को लागू करेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से भी मेरी बात हुई है, वो भी हमारे साथ हैं।’ स्वामी यशवीर की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी छुपी हुई नहीं हैं। साल 2022 विधानसभा चुनावों में उन्होंने चरथावल विधानसभा सीट से टिकट लेने का भरसक प्रयास किया था। आगे चुनाव लडऩे की संभावनाओं पर स्वामी यशवीर कहते हैं कि अगर प्रभु की इच्छा होगी तो राजनीति में भी आएंगे। उनके शिष्य स्वामी मृगेंद्र भी यही कहते हैं कि यदि ईश्वर चाहेगा तो स्वामी राजनीति में नजऱ आएंगे। अब स्वामी के पीछे कई हिंदूवादी कार्यकर्ता हैं जो उनके कहने पर एकजुट हो जाते हैं।

स्वामी मीडिया के लगातार संपर्क में रहते हैं और अपने विवादित बयानों के वीडियो स्वयं ही पत्रकारों को भिजवाते हैं। फऱवरी 2023 में उन्होंने जमीअत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी और महमूद मदनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी के एक बयान को उन्होंने हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं भडक़ाने वाला बताते हुए देवबंद में बहस करने की चुनौती दे दी थी। हालांकि देवबंद दारुल उलूम की तरफ़ कूच कर रहे स्वामी यशवीर को मुजफ़्फ़ऱनगर के शिव चौक पर कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस ने ही रोक दिया था। पुलिस के रोकने पर स्वामी सडक़ पर ही धरने पर बैठ गए थे।

देश भर में अभियान चलाने का इरादा
नाम लिखवाने के लिए चलाई गई मुहिम को सही ठहराते हुए वो कहते हैं, ‘हम बस ये चाहते हैं कि मुसलमान हमारे देवी-देवताओं का नाम इस्तेमाल कर हिंदुओं को गुमराह ना करें।’ स्वामी यशवीर की इस मुहिम के बाद कई मुसलमानों को काम से हटाया गया है और कई मुसलमान ढाबा संचालकों को कारोबार बंद करना पड़ा है। अपने क़दम को सही ठहराते हुए वो कहते हैं, ‘हमें उनके रोजग़ार को नहीं बल्कि अपने धर्म की पवित्रता और शुद्धता को देखना है। हमारी ये मुहिम मुजफ़्फ़ऱनगर में ही नहीं रुकेगी बल्की इसे हमें देश भर में लेकर जाएंगे। देश में लाखों मुसलमान हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचा रहे हैं। हम हिंदू देवी देवताओं के नाम पर मुसलमानों के होटलों और ढाबों को बंद करवाकर ही रहेंगे।’ हालांकि वो ये भी कहते हैं कि वो किसी से मुसलमानों का बहिष्कार करने के लिए नहीं कह रहे हैं बल्कि वो सिफऱ् हिंदुओं में जागरूकता फैला रहे हैं। (bbc.com/hindi)
(इस रिपोर्ट में स्थानीय पत्रकार अमित सैनी ने सहयोग किया) 

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