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मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष नायक ने कहा -वैक्सिनेशन भी हो रहा राज्य में
रायपुर, 6 अगस्त। राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष गिरधारी नायक ने श्वान आतंक पर स्वतःस्फूर्त संज्ञान लिया है| बीते नवम्बर मे प्रकाशित एक खबरों का अध्ययन कर प्रदेश के सभी शासकीय जिला अस्पतालों से डॉग बाइट के प्रकरणों और उस पर किये जा रहे वेक्सिनेशन व ईलाज के संबंध में जानकारी तलब कि थी|
आंकड़ों के आधार पर परिलक्षित होता है कि वर्ष भर में एक लाख 19 हजार से अधिक आवारा/पालतू श्वान के काटने की घटनाएं प्रदेश में सामने आ रही हैं|
श्री नायक ने कहा कि
डॉग बाईट के कारण शारीरिक और आर्थिक क्षति से बचा जा सके, इसके लिए अर्थात नागरिकों को इस गंभीर विषय से जागरूक कराया जाना आवश्यक है, प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह प्रतीत होता है, कि श्वान काटने पर शत-प्रतिशत एंटी रेबीज के टीके तो लग रहे हैं, परन्तु डॉग बाईट एक गंभीर विषय है। प्रदेश से प्राप्त डॉग बाइटिंग के यह आंकड़े जनमानस की जागरूकता के लिए आवश्यक हैं| पशुओं के प्रति कुरता निवारण अधिनियम, 1960 जिसमें निरंतर संशोधन होते रहे हैं, कि धारा 11 की उपधारा 1 के तहत पशुओं के प्रति यदि किसी व्यक्ति द्वारा क्रूरता की जाती है तो उसके संबंध में दंड का प्रावधान है, साथ ही इसी धारा के उपधारा 11 (ख) में आवारा कुत्तों में दुर्दांत अथवा मानव जीवन के लिए खतरा होने की स्थिति में प्राणहर कक्षों में या अन्य ढंग से नष्ट किये जाने का भी उपबंध है| यह सामान्यत: पागल हो चुके श्वान पर लागू होता है|
सामान्यत: मानव जाति श्वान के प्रति पशु प्रेम को दर्शित करती है,और आज भी श्वान का पालन एक सामान्य बात है, परन्तु वर्तमान में सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य में 1,19,928 डॉग बाईट के प्रकरण एक वर्ष में पंजीबद्ध हुए हैं|जो कि श्वान काटने के द्वारा मानव जीवन के संकट की भयावह स्थिति को बतलाता है| डॉग बाईट से 6 इंजेक्शन एक व्यक्ति को लगाना होता है, इसमें डॉक्टर के अनुसार लगभग 7 लाख मानव दिवस की हानि और आर्थिक नुक्सान समाज को उठाना पड़ता है|