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‘छत्तीसगढ़’ संवादाता
बिलासपुर, 7 अगस्त। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट में राज्य शासन ने स्वीकार किया है कि प्रदेश में लगभग 60 स्पंज आयरन और सीमेंट प्लांट्स निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे औद्योगिक प्रदूषण तेजी से फैल रहा है। इस प्रदूषण से न केवल प्लांट्स में काम करने वाले कर्मचारी, बल्कि आसपास के रहवासी भी गंभीर खतरे में हैं। डिवीजन बेंच ने इस मामले में महाधिवक्ता को जवाब पेश करने का आदेश दिया है और अगली सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तिथि रखी है।
जनहित याचिकाओं के तहत उठाए गए मुद्दों के दौरान, महाधिवक्ता ने स्वीकार किया कि कई जगहों पर प्लांट्स आवश्यक प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार की एक कार्य योजना तैयार की गई है, लेकिन इसे लागू करने में समय लगेगा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने महाधिवक्ता से इस मामले में विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने को कहा।
मालूम हो कि राज्य के विभिन्न औद्योगिक इकाइयों में प्रदूषण की समस्या पर चार अलग-अलग जनहित याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गई हैं। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी देश के अन्य राज्यों को इसी तरह के मामलों में निर्देशित किया था। हाई कोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट प्रतीक शर्मा और पीआर पाटनकर सहित 11 अधिवक्ताओं को न्याय मित्र नियुक्त किया है, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट पेश की है।
महाधिवक्ता ने डिवीजन बेंच के समक्ष स्वीकार किया कि कई उद्योगों में प्रदूषण के कारण श्रमिकों की स्थिति गंभीर है। कहा गया कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है, जिसे जल्द ही सभी उद्योगों में लागू किया जाएगा।