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शिकायतें और तबादले
नगरीय निकाय चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है। ये अलग बात है कि परिसीमन के खिलाफ कई याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इन सबके बीच भाजपा अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए वार्डों में लोगों से संपर्क बनाने के लिए अभियान भी चला रही है। यही नहीं, निकायों में पसंदीदा अफसरों को बिठाने के लिए स्थानीय भाजपा विधायक और संगठन के प्रमुख नेता प्रयासरत भी हैं।
बताते हैं कि दो-तीन निगम आयुक्त के खिलाफ शिकायत सीएम तक पहुंची है। शिकायत करने वाले नेताओं का कहना है कि इन अफसरों की कार्यप्रणाली से लोग खुश नहीं हैं। सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। निगम आयुक्तों के खिलाफ शिकायतों का परीक्षण चल रहा है। चर्चा है कि 15 अगस्त के बाद निकायों अफसरों के तबादले की सूची जारी हो सकती है। देखना है आगे क्या होता है।
जायसवाल !!
भाजपा ने रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने भाटापारा के पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा, और सरकार के मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को प्रभारी भी बनाया है। शिवरतन तो बृजमोहन अग्रवाल के बहुत करीबी माने जाते हैं। ऐसे में उनके प्रभारी बनने पर किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। अलबत्ता, जायसवाल के प्रभारी बनने पर पार्टी के अंदरखाने में कानाफूसी जरूर हो रही है।
जायसवाल मनेन्द्रगढ़ से विधायक हैं, और वो पहली बार सरकार में मंत्री बने हैं। श्याम बिहारी जायसवाल सरकार के अकेले मंत्री हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्र मनेन्द्रगढ़ से लोकसभा चुनाव में भाजपा पिछड़ गई। यही नहीं, विधानसभा में जायसवाल ‘अपनों’ से ही घिरे रहे। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के प्रकरणों को लेकर पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, और धरमलाल कौशिक ने जायसवाल के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी।
इतना ही नहीं, बैकुंठपुर के विधायक भैयालाल राजवाड़े, जिन्हें जायसवाल अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। वे भी स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों से नाखुश दिखे। अब जब जायसवाल को प्रभारी बनाया गया है, तो पार्टी के कई लोग सशंकित भी हैं। ऐसे में जायसवाल को सबको साथ लेकर चुनाव संचालन करना एक चुनौती भी रहेगी। देखना है आगे क्या होता है।
नशे में चूर राष्ट्र निर्माता
नये शिक्षा सत्र की शुरुआत होते ही स्कूलों से फिर शर्मसार करने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं। जशपुर जिले के फरसाबहार ब्लॉक के खबसकानी ग्राम में शराब के नशे में धुत प्रधान पाठक लुंगी-बनियान पहने स्कूल पहुंच गया। उसने जमकर हंगामा किया। स्कूल के ही एक सहायक शिक्षक ने इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।
इस साल जनवरी में जशपुर जिले के ही बगीचा ब्लॉक के बिमड़ा स्कूल में नशे में धुत एक टीचर और उसके भाई ने बच्चों को पिटाई कर दी।
पिछले साल दुलदुला ब्लॉक के कस्तूरा ग्राम में शराब पीकर पहुंचे स्कूल ने क्रिकेट की बैट से छात्र-छात्राओं को पीटा था।
फरसाबहार ब्लॉक के छिरोटोली ग्राम में पिछले साल स्कूल के सभी बच्चों ने अपने टीसी के लिए आवेदन लगा दिया। वजह थी कि यहां दो शिक्षक थे और दोनों शराब पीकर आते थे और बच्चों से गाली गलौच करते थे। हाथियों के विचरण के बावजूद ये बच्चे दो किलोमीटर दूर दूसरे स्कूल तक पैदल नापने के लिए तैयार थे। आखिर यहां उनकी जगह एक महिला शिक्षिका की पोस्टिंग कर बच्चों को रोका गया।
मगर कुछ महिला शिक्षकों की भी शिकायत आई। बगीचा विकासखंड के लोरो की प्रधान पाठक अक्सर शराब पीकर आती रही। यहां तक कि राष्ट्रीय पर्व पर झंडा फहराने के लिए भी। ग्राम सभा में उसकी पेशी हुई थी। एक अन्य शिक्षिका की तस्वीर कुर्सी पर लुढक़े हुए वायरल हुआ ही था। अकेले जशपुर जिले में पिछले शैक्षणिक सत्र में एक दर्जन से अधिक शराबी शिक्षक निलंबित किए गए थे।
जशपुर से खबरें अधिक जरूर आ रही हैं, लेकिन प्रदेश के अन्य जिलों में भी यही हो रहा है। बलौदाबाजार के गिंदोला स्थित हाईस्कूल का प्राचार्य इसी जून में शराब के नशे में पहुंचा और गेट के सामने लुढक़कर गिर गया था। वह वहीं चादर ओढक़र सो गया। इसका भी वीडियो वायरल हुआ था। मस्तूरी के मचहा में पिछले सत्र में एक टीचर तो स्टाफ रूम में शराब की बोतल खोलकर बैठ गया। वीडियो में वह कलेक्टर को चुनौती देते दिखा। पहले निलंबित किया गया फिर, कुछ दिन बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया।
केंद्र ने 2021 में तीसरी, पांचवीं, आठवीं और 10वीं के बच्चों के बीच सर्वे करवाया था। इसमें भाषा, गणित, अंग्रेजी और पर्यावरण में राज्य के अंक राष्ट्रीय औसत से कम थे और छत्तीसगढ़ का स्थान देश में 34वां था। रिपोर्ट में यह बात भी आई थी कि तीसरी तक के 40 प्रतिशत बच्चे पढऩा लिखना नहीं जानते।
इस बार पहली बार शालाओं में पीटीएम कराया गया। पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए एक मोबाइल ऐप तैयार किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत बालवाडिय़ों से ही दो-दो घंटे की पढ़ाई का कार्यक्रम बनाया गया है। लक्ष्य रखा गया है कि सन् 2027 तक शत-प्रतिशत बच्चे अपने क्लास के सिलेबस के मुताबिक पढऩा और लिखना जान सकें। मगर, स्कूलों में तो न्यूनतम शैक्षणिक वातावरण भी नहीं है। ब्लैक बोर्ड में बड़े-बड़े अक्षरों में चाणक्य की यह उक्ति लिखी होती है कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता है, पर ये राष्ट्र निर्माता न तो समर्पित हैं, न कुशल हैं, ऊपर से अपने आचरण से बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं।
ट्रेन तब घुसी थी खेत में
खेत में जा घुसी एक ट्रेन की तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें तंज कसा जा रहा है कि रेल मंत्री फिर इस हादसे का मुआयना करने पहुंचेंगे, और वहां रील बनाएंगे। ये पोस्ट कार्टूनिस्ट मंजुल और यू ट्यूबर-जर्नलिस्ट प्रज्ञा मिश्रा जैसे लाखों फॉलोअर्स वाले अकाउंट पर भी हैं। पोस्ट आभास देती है कि यह हाल की ही कोई घटना हो। तस्वीर सही है, देश की ही है मगर दो साल पुरानी है। यह साफ किसी ने नहीं किया है कि सितंबर 2022 में सोलापुर से पुणे जा रही सीमेंट लदी मालगाड़ी पटरी से उतरकर खेत में घुस गई थी- तब की फोटो है। तब भी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ही थे। सोशल मीडिया पर मौजूद किसी भी पुराने पोस्ट को नया बताना अब आम चलन में आ चुका है, जिसके शिकार सेलिब्रिटी भी हो रहे हैं। ([email protected])