संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : किसी कारोबार और उसके नौकर की इतनी अकड़ बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए..
22-Aug-2024 4:49 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : किसी कारोबार और उसके नौकर की इतनी अकड़ बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए..

दुनिया भर में कॉफी-कैफे चलाने वाली एक कामयाब कंपनी स्टारबक्स के नए मुखिया के बारे में आई नई खबर पर्यावरण की फिक्र करने वाले लोगों को सदमे में डालने वाली है। इस कंपनी में उसकी काम की शर्तों में यह भी शामिल है कि वे कैलिफोर्निया के अपने घर से स्टारबक्स मुख्यालय, सिएटल आने-जाने के लिए निजी विमान का इस्तेमाल करेंगे, और हर दिन करीब 16 सौ किलोमीटर की उड़ान भरेंगे। एक व्यक्ति अपने घर और दफ्तर के बीच आवाजाही के लिए धरती के पर्यावरण को किस हद तक तबाह करने की बेशर्मी रखता है, यह देखने लायक है। निजी विमानों की उड़ान प्रति मुसाफिर इतना अधिक ईंधन खर्च करती हैं, और धरती पर कार्बन का बोझ बढ़ाती हैं कि पश्चिमी दुनिया की बहुत सी खेल टीमों को कहा जा रहा है कि वे विमान के बजाय ट्रेन से आएं-जाएं। ऐसे में एक कंपनी चाहे वह कितना ही मुनाफा क्यों न कमा रही हो, उसका एक अफसर अगर धरती की इतनी बेशर्म बर्बादी कर रहा है तो हमारे ख्याल से पर्यावरण की फिक्र रखने वाले लोगों को इस ब्रांड का ही बहिष्कार कर देना चाहिए। चूंकि यह गैरजिम्मेदार आदमी धरती की इतनी हेठी कर रहा है, इसलिए उसका नाम बता देना भी बेहतर होगा। ब्रायन निकोल नाम का यह आदमी हर साल करीब 948 करोड़ रूपए के बराबर तनख्वाह पाएगा, और इसके अलावा उसे करोड़ों का बोनस अलग से मिलेगा। इसके मेहनताने और कमाई का पूरा हिसाब करना हमारे सरीखे गणित के कमजोर व्यक्ति के लिए आसान नहीं है, लेकिन पहली नजर में ही यह दिख रहा है कि यह साल के हर दिन तीन करोड़ रूपए करीब तो कमाएगा ही।

इस खबर के कई पहलू हैं। एक पहलू तो यह है कि इतनी बड़ी और इतना मुनाफा कमाने वाली इस कंपनी में अब तक एक भारतवंशी लक्ष्मण नरसिम्हन सीईओ था, लेकिन काम से संतुष्ट न होने पर कंपनी ने उन्हें हटा दिया था। अब ब्रायन निकोल को कंपनी की तरफ से मिले नौकरी के प्रस्ताव में कहा गया है कि उन्हें कंपनी के मुख्यालय के शहर में आकर नहीं रखना पड़ेगा, बल्कि वे जहां रहते हैं, वहां से कंपनी के विशेष विमान में दफ्तर आना-जाना करते रहेंगे। यह हर दिन 16 सौ किलोमीटर का फेरा रहेगा। और कंपनी की यह नीति भी है कि उसके हर कर्मचारी को हफ्ते में कम से कम तीन दिन ऑफिस आना है, इसलिए यह नया सीईओ भी हफ्ते में तीन दिन तो पर्यावरण की ऐसी बर्बादी का हकदार रहेगा। ब्रायन निकोल पहले एक मैक्सिकन फास्ट फूड चेन को डूबने से बचाने, और उबारने की शोहरत रखता है, और उसने उस कंपनी के शेयर सात डॉलर से बढ़ाकर पचास डॉलर तक पहुंचा दिए थे।

पर्यावरण के हिसाब से देखें तो अमरीका के नागरिक, वहां की जीवनशैली, और वहां का सरकारी ढांचा, धरती को बर्बाद करने के लिए दुनिया में सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। जो लोग अमरीका गए नहीं है, उनको इस बात का अहसास नहीं हो सकता कि अमरीकी हर चीज बहुत बड़ी-बड़ी इस्तेमाल करने के शौकीन हैं। उनकी निजी कारें भयानक आकार की रहती हैं, उनके घर बहुत बड़े रहते हैं, उनके खाने-पीने के सामान बहुत बड़ी मात्रा के रहते हैं जिनमें बर्बादी तय रहती है, और तो और वे कोल्डड्रिंक भी इतनी बड़ी गिलासों में पीते हैं कि उन्हीं की सेहत बर्बाद होती है। हिन्दुस्तान जैसे देश से पहली बार अमरीका जाने वाले लोग अगर किसी रेस्त्रां में खाने-पीने का ऑर्डर करते हैं, तो एक खतरा यह रहता है कि वे जरूरत से बहुत अधिक बुला लेते हैं, और वह जूठा जाता है। प्रति अमरीकी ईंधन, खानपान, पैकिंग, बिजली, इन सबकी खपत इतनी अधिक है कि पर्यावरण की वहां की बर्बादी जलवायु परिवर्तन बनकर कहीं अफ्रीका को बर्बाद कर रही है, तो कहीं पाकिस्तान को बाढ़ में डुबा दे रही है। ऐसे में स्टारबक्स और उसका नया मुखिया कारोबार का एक बहुत ही हिंसक चेहरा पेश कर रहे हैं, और पूरी दुनिया को चाहिए कि इस हिंसा के खिलाफ इस ब्रांड का बहिष्कार करें।

हम इसमें यह भी देख रहे हैं कि अमरीका से निकले हुए खाने-पीने के सामानों के बहुत से ऐसे ब्रांड हैं जो अंधाधुंध पैकिंग इस्तेमाल करते हैं, और प्रति खानपान न खाने वाली चीजों की बर्बादी भी बहुत होती है। फिर आज दुनिया में जीवनशैली के लिए लोग संपन्नता आते ही अमरीकी तौर-तरीकों की तरफ देखने लगते हैं, इसलिए जहां-जहां अमरीकी ब्रांड जाते हैं, वे दूसरे लोकल ब्रांड को भी वैसे ही बर्बादी के तौर-तरीके अपनाने पर मजबूर करते हैं। खुद अमरीकी सरकार तो अपने देश की जीवनशैली के मुताबिक बर्बादी के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकती, लेकिन जो देश अभी तक अमरीकी पैमानों की बर्बादी नहीं करते हैं, उन्हें तो सोचना चाहिए कि वे अपने देश में पैकिंग और दूसरे सामानों की ऐसी बर्बादी को कैसे रोकें।

हम हिन्दुस्तान में टाटा कंपनी के मुखिया रतन टाटा को देखते हैं, जो कि हर बरस हजारों करोड़ रूपए तो समाजसेवा पर खर्च करते हैं, इसी तरह का खर्च नारायण मूर्ति या अजीम प्रेमजी जैसे कुछ दूसरे कारोबारी भी करते हैं। लेकिन इनका निजी जीवन सादगी से भरा रहता है, और अपने ऊपर ये कोई बड़ा खर्च नहीं करते। नारायण मूर्ति और अजीम प्रेमजी की तो ढेर सारी ऐसी तस्वीरें दिखती हैं जिनमें वे विमान में साधारण दर्जे की सीटों पर सफर करते हैं। वे भी चाहते तो सैकड़ों करोड़ की समाजसेवा और दान को घटाकर खुद के लिए विशेष विमान का इस्तेमाल कर सकते थे, लेकिन उनकी सामाजिक जिम्मेदारी और जवाबदेही उन्हें सादगीपसंद बनाए रखती हैं।

आज दुनिया में जागरूक लोगों के ऐसे समूह हैं जो कि बहिष्कार नाम के अहिंसक आंदोलन का इस्तेमाल करके किसी ब्रांड को अपनी हरकतों पर सोचने के लिए मजबूर कर सकते हैं। आज दुनिया को इजराइली कंपनियों का बहिष्कार करना चाहिए, और आज की दुनिया के सबसे बड़े जनसंहार में भागीदार अमरीका का भी बहिष्कार करना चाहिए। जिन चीजों में अमरीका का एकाधिकार है, वहां तो बहिष्कार आसान नहीं है, लेकिन खानपान के अमरीकी ब्रांड किसी की भी मजबूरी नहीं है, इसलिए इजराइल के साथ-साथ अमरीका का भी बहिष्कार दुनिया की जनता को करना चाहिए। पर्यावरण को इस बड़े पैमाने पर बर्बाद करने का काम जो कंपनियां कर रही हैं, उनसे भी आम जनता को हिसाब चुकता करना चाहिए। इस हिटलिस्ट में इस नए सीईओ के साथ स्टारबक्स सबसे ऊपर और सबसे आगे आ गई है, और इसे उनका अपना कारोबारी फैसला मानकर उसे छोड़ देना ठीक नहीं है। जो जनता के बीच कारोबार करके उन्हीं से कमाई करते हैं, उनकी सामाजिक जवाबदेही भी तय की जानी चाहिए। इस कंपनी को ऐसा तगड़ा झटका लगना चाहिए कि उसके पास अपने प्लेन को ऑफिस-कार की तरह रोज 16 सौ किलोमीटर चलाने के लिए पेट्रोल भी न रहे। यह एक अच्छा मामला है जिसमें दुनिया की जनता एक कारोबार की कमर तोडक़र उसकी अकड़ी हुई गर्दन को झुका सकती है।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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