विशेष रिपोर्ट
बृजमोहन के तीखे तेवर
कंपनी पर एफआईआर होगी-जायसवाल
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट
रायपुर, 1 सितंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। यह एक ऐसा मामला है जिसमें डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लाखों फूंकने के बाद भी गंभीर मरीजों को बेड तक ऑक्सीजन सुविधा मुहैया नहीं कराई जा सक रही है। हुआ यूं कि ऑक्सीजन टैंक तो बनकर तैयार है, लेकिन पिछले तीन साल से कंपनी ने आगे का काम रोक दिया है। अब सांसद बृजमोहन अग्रवाल की नाराजगी के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने पूरे मामले को संज्ञान में लिया है। जायसवाल ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर की चेतावनी दी है।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि गंभीर मरीजों की सुविधा के लिए पाइपलाइन बिछाकर ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की योजना थी। मगर कंपनी ने आगे काम बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि विभागीय अफसरों को कहा गया है कि कंपनी को बुलाकर अधूरे काम को पूरा करा समय सीमा के भीतर ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध कराई जाए। अन्यथा कंपनी के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी।
बताया गया कि पिछली सरकार में डीकेएस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिए कुछ नई योजनाएं शुरू की गई थी। इसमें गंभीर मरीजों के लिए बेड तक पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाने का भी योजना थी। स्वास्थ्य विभाग ने सीजीएमसी के जरिए टेंडर बुलाया था, और हैदराबाद की कंपनी को काम भी दिया था। कंपनी ने वहां ऑक्सीजन टेंक भी बना दिया है, लेकिन आगे का काम रोक दिया है। यह काम पिछले तीन साल से अधूरा पड़ा है। कंपनी को करीब 59 लाख का भुगतान भी हो चुका है।
अस्पताल में बेड तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचने का काम पूरा नहीं हो पाने के मामले पर पिछले दिनों रायपुर मेडिकल कॉलेज स्वशासी परिषद की बैठक में काफी चर्चा हुई। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने इस पूरे मामले पर तीखे तेवर दिखाए, और आधे अधूरे काम करने पर कंपनी के खिलाफ एफआईआर करने के लिए कहा। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी मौजूद थे। उन्होंने भी इस पूरे मामले पर नाराजगी जताई, और विभागीय अफसरों से सवाल-जवाब किए।
सीजीएमसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने यह कहकर आगे का काम करने से मना कर दिया है कि पाइप लाइन बिछाने का काम टेंडर की शर्तों में नहीं था। उन्होंने बकाया राशि के साथ-साथ पाइप लाइन बिछाने के लिए अतिरिक्त राशि देने की मांग की है। स्वास्थ्य मंत्री के सख्त रूख के बाद टेंडर की शर्तों का परीक्षण किया जा रहा है, और पाइप लाइन बिछाने का काम जल्द से जल्द काम शुरू करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछली सरकार में भी तत्कालीन सचिव ने कंपनी पर दबाव भी बनाया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। यह भी चर्चा है कि डीकेएस प्रबंधन से जुड़े कुछ लोग कंपनी के पक्ष में रहे हैं। यही वजह है कि काम के लिए दबाव नहीं बन पाया है। बहरहाल, आने वाले दिनों में मामला तूल पकड़ सकता है।