विचार / लेख
मृत छह बंधक (क्लॉकवाइस बाएं से दाएं): एलेक्स लोबानोव, ईडेन यरूशाल्मी, अलमॉग सारुसी, मास्टर सार्जेंट ओरी डानिनो, हेर्श गोल्डबर्ग-पोलिन, कार्मेल गैट। HOSTAGES FAMILIES FORUM
इसराइल में अरसे से प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन होते रहे हैं लेकिन जब इसराइल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ़) ने बताया कि उसे शनिवार को दक्षिणी गाजा के रफाह में एक सुरंग में छह बंधकों के शव मिले हैंइसराइली सेना जब तक इन बंधकों तक पहुंच पाती उससे कुछ देर पहले ही इन्हें मार दिया गया था। इसके बाद नेतन्याहू सरकार के खिलाफ हज़ारों की तादाद में लोग सडक़ों पर उतर पड़े।
वहीं छह मृत बंधकों में से एक हेर्श गोल्डबर्ग पोलिन की अंतिम यात्रा यरुशलम में निकली है।
इस दौरान कई शोकाकुलों में से एक शायदना एब्रान्सन ने कहा, हमें माफ कर दो हेर्श हम तुम्हें समय पर नहीं निकाल सके।
सोमवार को इसराइल में सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए आम हड़ताल का आह्वान किया गया लेकिन देश के लेबर कोर्ट ने इसे ख़त्म करने का आदेश दिया।
तेल अवीव की अदालत ने कहा है कि आम हड़ताल अपने समय से पहले ही ख़त्म कर दी जानी चाहिए।
लेकिन आज सुबह से ही देश में ये हड़ताल जारी रही जिसकी वजह से इसराइल में व्यवसायों से लेकर स्कूल और ट्रांसपोर्ट तक ठप पड़ा हुआ है। रविवार को विरोध प्रदर्शन की शुरुआत शांतिपूर्ण तरीके से हुई। लेकिन बाद में भीड़ ने पुलिस बैरियर तोड़ दिए और तेल अवीव में प्रमुख हाईवे ब्लॉक कर दिए। प्रदर्शनकारियों ने टायरों में भी आग लगाई।
गज़़ा की एक सुंरग में छह बंधकों के शव मिलने के बाद रविवार से ही हज़ारों लोग सडक़ों पर उतर आए थे। फि़लहाल 97 ऐसे लोग गाजा में हैं जिनके बारे में कोई सूचना नहीं है।
सोमवार की हड़ताल कितनी व्यापक?
इसराइल के लेबर कोर्ट द्वारा हड़ताल रोकने के आदेश से पहले ही कार्यकर्ताओं ने देश के कई हिस्सों में हड़ताल से जुड़े प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है।
देश के कई मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक अवरुद्ध हुआ है। तेल अवीव के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी कुछ फ़्लाइट रद्द हुईं और कई देर से उड़ीं। कई अस्पतालों में सेवाएं बाधित रहीं और बैंक भी बंद रहे।
लेबर कोर्ट के हड़ताल बंद करने के आदेश से पहले तेल अवीव की सडक़ों पर हज़ारों लोगों ने उग्र प्रदर्शन किया है। इस हड़ताल को इसराइल की सबसे ताक़तवर ट्रेड यूनियन - हिस्ताद्रुत ने बुलाया था।
गाजा में बंधक बनाए गए लोगों के परिजनों के संगठन ने आज रात प्रधानमंत्री नेतन्याहू के घर के अलावा कई जगहों पर प्रदर्शन करने का एलान किया है।
प्रदर्शनकारी तेल अवीव, यरूशलम और अन्य कई शहरों में इसराइली झंडा अपने हाथों में लेकर निकले।
इनका कहना है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उनकी सरकार बंधकों की रिहाई के लिए हमास के साथ समझौता करने के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठा पाई है।
इनकी मांग है कि नेतन्याहू की सरकार को बंधकों की रिहाई के लिए हमास के साथ समझौता करना चाहिए ताकि हमास की कैद में शेष बंधकों की रिहाई सुनिश्चित हो सके।
इसराइल की ट्रेड यूनियन ने सोमवार को देशव्यापी हड़ताल की जिसे बाद में लेबर कोर्ट ने ख़त्म करने का आदेश दिया। इसराइल के सबसे बड़े ट्रेड यूनियन के नेता का कहना है कि उनके देश को डील के बजाय शवों के थैले मिल रही हैं।
हड़ताल का असर
सोमवार को आम हड़ताल बुलाने वाली हिस्ताद्रुत ट्रेड यूनियन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के महानिदेशक पीटर लर्नर ने बीबीसी से कहा कि हड़ताल के कारण पहले से ही कई सेवाओं में रुकावट आई है।
उन्होंने कहा, हम बेन गुरियन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सूटकेसों का अंबार देख रहे हैं। कुछ बंदरगाह अपनी गतिविधियों को कम कर रहे हैं। कुछ नगरपालिकाओं में हम उम्मीद करते हैं कि निजी क्षेत्र में आज व्यवसाय नहीं खुलेंगे।
अदालत के हड़ताल ख़त्म करने के आदेश से पहले बेन गुरियन हवाई अड्डे पर कुछ उड़ानें स्थगित हुई हैं।
ग्रीस जा रहे ज़मी मोल्दोवन ने कहा, हमें पता चला कि ग्रीस के लिए हमारी उड़ान स्थगित कर दी गई है। मैं इस हड़ताल का समर्थन करता हूँ क्योंकि वास्तव में इसराइल के सभी लोग चाहते हैं कि हमारे दोस्त और भाई गज़ा से आज़ाद हों और लौटें।
हवाई उड़ानों पर तो असर पड़ा ही है, काम धंधे और स्कूल पर भी हड़ताल का असर है। हाइफा में रामबाम अस्पताल में सर्जरी विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर येहुदा उल्मन ने कहा कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया।
प्रोफ़ेसर येहुदा उल्मन ने बताया, हम हड़ताल पर हैं। यह उन डॉक्टरों के लिए बहुत कठिन शब्द है जो रोगियों के जीवन और कल्याण की देखभाल करने के लिए यहां हैं। लेकिन हम और पूरा देश अब बहुत ही कठिन स्थिति में हैं, बंधकों की वजह से। और कल शायद यह सबसे कठिन दिन था क्योंकि हमने उन छह बंधकों के बारे में सुना जो ग्यारह महीने तक पीड़ा सहने के बाद मारे गए। हम अलग नहीं रह सकते और इसलिए हमने हड़ताल की।
पिछले साल सात अक्टूबर को इसराइल पर हमास ने हमला किया था और इसके बाद सैकड़ों की संख्या में लोगों को बंधक बनाकर गज़़ा ले जाया गया था।
बंधकों की रिहाई को लेकर सरकार पर दबाव
इसराइली बंधकों के परिवारों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए हड़ताल में हिस्सा लिया। शेरोन लिफ्शित्ज़ लंदन में एक फि़ल्म निर्माता और शिक्षाविद हैं।
हमास ने 7 अक्टूबर को जिन लोगों को बंधक बनाया था उनमें उनके माता-पिता भी थे। उनकी माँ तो नवंबर के युद्ध विराम के दौरान रिहा हो गईं, लेकिन उनके 83 साल के पिता अभी भी लापता हैं।
माना जाता है कि उन्हें गज़़ा में बंदी बनाकर रखा गया है। उनका कहना है कि जब तक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो जाते, बंधकों की जान जोखिम में है।
शेरोन कहते हैं, ये बंधक एक हफ़्ते से भी कम समय पहले तक जिंदा थे। वे इसलिए मारे गए क्योंकि समझौते पर हस्ताक्षर करने में देरी हो रही है। इसराइल सरकार और हमास इस समझौते तक पहुँचने के रास्ते में और भी अड़चनें डाल रहे हैं।
मुझे और यहाँ रहने वाले समझदार नागरिकों को उम्मीद है कि इन मौतों के कारण पूरी दुनिया में हंगामा मचेगा, जिससे इसराइल और हमास की सरकारें इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होंगी और इस भयानक घटना का अंत होगा।
शेरोन का कहना है कि गज़़ा में अपने सैन्य अभियान के ज़रिए हमास को हराने की इसराइली सरकार की प्रतिज्ञा काम नहीं आएगी।
शेरोन की तरह ही जोनाथन डेकेल-चेन के पिता अभी भी बंधक हैं। उन्होंने दोहराया कि वह युद्धविराम और बंधकों के लिए एक समझौता चाहते हैं।
जोनाथन डेकेल-चेन कहते हैं, प्रधानमंत्री नेतन्याहू और याह्या सिनवार दोनों की जो सोच है वो साफ़तौर पर ज़मीनी हकीकत नहीं बयान करते हैं। उन्हें खुद के राजनीतिक या वैचारिक एजेंडे को अलग रखना होगा और लोगों की भलाई के लिए युद्ध विराम और बंधक समझौते पर पहुंचने के लिए तेजी से काम करना होगा। जब तक वे दोनों यह तय नहीं कर लेते कि उनका अपना राजनीतिक भविष्य या वैचारिक मसीहावाद उनके अपने लोगों की सुरक्षा से कम महत्वपूर्ण है।
समझौते में देरी क्यों?
बंधकों की रिहाई पर समझौता ना हो पाने के लिए इसराइल के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतन्याहू ने हमास नेताओं को दोषी ठहराते हुए कहा है कि हत्याओं से पता चलता है कि वे कोई समझौता नहीं चाहते थे।
नेतन्याहू का कहना है कि दिसंबर से हमास वास्तविक वार्ता करने से मना कर रहा है। तीन महीने पहले, 27 मई को, इसराइल ने अमेरिका के पूरे समर्थन के साथ बंधक रिहाई समझौते पर सहमति जताई थी। हमास ने इस दावे से इंकार किया है।
नेतन्याहू का कहना है, अमेरिका के 16 अगस्त को मसौदे की रूपरेखा को अपडेट करने के बाद भी हम सहमत हुए और हमास ने फिर से इंकार कर दिया। इस समय भी, जब इसराइल एक समझौते पर पहुंचने के लिए मध्यस्थों के साथ गहन वार्ता कर रहा है, हमास का किसी भी प्रस्ताव को खारिज करना जारी है। इससे भी बदतर बात ये है कि जारी वार्ता के दौरान उसने हमारे छह बंधकों की हत्या कर दी। जो बंधकों की हत्या करता है वह समझौता नहीं चाहता है।
ताज़ा घटनाक्रम के बाद नेतन्याहू ने कहा इसराइल हमास के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा।
लेकिन नेतन्याहू सिर्फ आम लोगों के ही निशाने पर नहीं हैं, उन्हें विपक्ष के हमलों का भी सामना करना पड़ा है।
विपक्ष के नेता याएर लैपिड ने नेतन्याहू पर बंधकों को न बचाने का फैसला करने का आरोप लगाया है।
लैपिड ने कहा है, वे जि़ंदा थे। नेतन्याहू और मौत की कैबिनेट ने उन्हें ना बचाने का फैसला किया। अभी भी जीवित बंधक हैं, अभी भी कोई समझौता हो सकता है। नेतन्याहू राजनीतिक वजहों से ऐसा नहीं करना चाहते। उन्हें हमारे बच्चों की जि़ंदगी बचाने के बजाय बेन-ग्विर के साथ गठबंधन को बचाना पसंद है। इन हत्याओं का दोष उनके सिर माथे रहेगा। (bbc.com/hindi)