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आदिवासी युवक का संघर्ष, 1992 में पहला इंग्लिश स्कूल खोला, बच्चों को दी उच्च स्तरीय शिक्षा
05-Sep-2024 8:39 AM
आदिवासी युवक का संघर्ष, 1992 में पहला इंग्लिश स्कूल खोला, बच्चों को दी उच्च स्तरीय शिक्षा

शिक्षक दिवस पर विशेष रिपोर्ट

-इमरान खान

भोपालपटनम, 5 सितंबर ('छत्तीसगढ़Ó संवाददाता )। एक अच्छे शिक्षक का जुनून किस मुकाम तक पहुंचता है, यह इस संघर्ष भरे जीवन में एक शिक्षक की कहानी से पता चलेगा। हम बात कर रहे हंै एक ऐसे शिक्षक कि जिन्होंने एक ऐसी सोच रखी और नक्सल प्रभावित जिले में बच्चों ने नाम रौशन कर दिया।

 भोपालपटनम के आदिवासी युवक उगेन्द्र वासम ने ब्लॉक में पहला इंग्लिश मीडियम स्कूल खोला और यहां के बच्चों की शिक्षा को मजबूत किया।

 उगेन्द्र वासम ने  बड़े भईया स्व. वासम रघुवय्या के सहयोग व उनके योगदान से भोपालपटनम जैसे पिछड़े क्षेत्र में पहला क्रिएटिव इंग्लिश मीडियम स्कूल की नींव रखी। उगेद्र वासम की पढ़ाई रायपुर में हुई। उच्च स्तरीय पढ़ाई करने के बाद उन्होंने  बड़े भैया के साथ आपस में विचार किया कि हमारे क्षेत्र में कोई मेडिकल फिल्ड में नहीं जाता है और जाता भी है तो उनकी पढ़ाई कमजोर रहती है क्यों न हम हमारे क्षेत्र में एक इंग्लिश स्कूल खोले, जिससे हमारे गांव के बच्चे मेडिकल फिल्ड में अपना नाम रौशन कर सके। इसी सोच से बड़े भाई वासम रघुवय्या ने उनके छोटे भाई उगेन्द्र के लिए किराए का मकान लेकर स्कूल खोला।

पहले साल बच्चों की दर्ज संख्या नर्सरी में 15 थी, उसके बाद धीरे-धीरे 120 तक पहुंच गई। नर्सरी से आठवीं तक क्लास के बच्चे इस स्कूल में पढ़ाई करते थे। उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में बड़ा संघर्ष करना पड़ा। बाहर से टीचर लाए थे, उनके वेतन का पैसा जेब से देना पड़ता था, उस संघर्ष भरे दिन में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। जैसे-तैसे कर्ज लेकर अपने स्कूल को चलाने और बच्चों के भविष्य संवारने का जुनून था, आज उनके पढ़ाए बच्चे बड़े-बड़े पोस्ट में हैं।

अपने इलाके का नाम रौशन करने का जुनून इस तरह था कि उन्होंने पूरी मेहनत लगन से बच्चों को पढ़ाया। उनके पढ़ाए हुए पांच एमबीबीएस, एक बीडीएस, एक वेटनरी डॉक्टर की पढ़ाई कर रही है और कई बच्चे इंजीनियर, शिक्षक, बाबू तक की सफर में है। उगेन्द्र नें अपना जीवन में बड़ा संघर्ष किया, उनको बाहर से कोई सहयोग नहीं मिला।

उन्होंने बताया कि उनकी शुरुआती फीस 400 रूपये प्रति बच्चे की थी। उसमें सिर्फ टीचरों का खर्च ले देकर निकलता था उसके आगे कमाई नहीं होती थी।

5 विषय में किया एमए, फिर खोला स्कूल
मध्यप्रदेश के शासन काल में उगेन्द्र वासम नें रायपुर मे रहकर राजनीति, समाजशास्त्र, अर्धशास्त्र, इतिहास, इंग्लिश में एमए की पढ़ाई की है। उन्होंने बताया कि आठवीं तक की पढ़ाई भोपालपटनम में की है, उसके बाद 9वीं क्लास से रायपुर में रहकर एमए तक पढ़े हैं। उन्होंने बताया कि उनके इस मुकाम तक पहुंचने में उनके बड़े भैया का पूरा सहयोग रहा है।

उनके पढ़ाए बच्चे बने डॉक्टर
बच्चो की शुरुआती पढ़ाई मजबूत हो तो आगे बढऩे में आसानी होती है। शिक्षक उगेन्द्र वासम और उनके साथी शिक्षकों ने बच्चों को पूरे लगन से तैयार किया। डॉ. राजशेखर वर्तमान में डॉक्टर बनकर डीमरापाल अस्पताल में सेवा दे रहे है, पी. स्वपनिल, प्रियंका मालिक, रोहन तलाण्डी, डॉक्टर बने हैं और आलम तितिक्षा एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए पास हुई है कोरम वर्षा पशु चिकित्सा की पढ़ाई कर रही है।

पति-पत्नी मिलकर 21 बच्चों को पढ़ाते हैं
उगेंद्र ने बताया कि अब गाँव में बहुत से इंलिश स्कूल और सरकारी स्कूल खुल गए हैं, धीरे धीरे बच्चें कम होने लगे है मैं और मेरी पत्नी मिलकर 21 बच्चों का स्कूल संचलान कर रहे हंै, गरीब बच्चों को मुफ्त में भी पढ़ाई करवा रहे हंै।

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