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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरक्षण पर अमेरिका में दिए बयान पर बसपा प्रमुख मायावती ने निशाना साधा है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "केंद्र में लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और ना ही देश में जातीय जनगणना कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है."
"इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी."
मायावती ने कहा, "अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी के इस नाटक से भी सतर्क रहें, जिसमें उन्होंने विदेश में कहा है कि भारत जब बेहतर स्थिति में होगा तो एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण ख़त्म कर देंगे. इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को ख़त्म करने के षड्यंत्र में लगी है."
उन्होंने कहा, "इन वर्गों के लोग कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें क्योंकि यह पार्टी केंद्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण ज़रूर खत्म कर देगी. ये लोग संविधान और आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से ज़रूर सजग रहें."
उन्होंने कहा, "जबकि सच्चाई में कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण-विरोधी सोच की रही है. केंद्र में रही इनकी सरकार में जब इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया गया, तब इस पार्टी से इनको इंसाफ़ ना मिलने की वजह से ही बाबा साहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. लोग सावधान रहें."
मायावती ने आरक्षण को ज़रूरी बताते हुए कहा, "कुल मिलाकर, जब तक देश में जातिवाद जड़ से खत्म नहीं हो जाता है, तब तक भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद भी इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक हालत बेहतर होने वाली नहीं है."
"इसलिए जातिवाद के मूल नष्ट होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था जारी रहना जरूरी."
राहुल गांधी ने क्या कहा?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को अमेरिका के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में आरक्षण को लेकर बयान दिया है.
उन्होंने कहा था, "अगर आप दलित, आदिवासी और ओबीसी को देखें तो वे 73 प्रतिशत हैं. जबकि 70 में मात्र एक आदिवासी, तीन दलित, तीन ओबीसी और एक अल्पसंख्यक हैं. भारत के 90 प्रतिशत लोगों को सरकार में मात्र 10 प्रतिशत जगह दी गई है."
"अगर आप वित्तीय आंकड़े देखें तो आदिवासियों को 100 रुपये में मात्र 10 पैसे, दलित को पांच रुपये और ओबीसी को भी इतने ही मिलते हैं. तो मुद्दे की बात यह है कि इन लोगों की सहभागिता नहीं हैं."
राहुल गांधी ने कहा, "समस्या यह है कि 90 प्रतिशत लोगों को हिस्सा ही नहीं मिल रहा है. भारत के बड़े व्यापारियों की सूची देखें तो शीर्ष 200 व्यापारियों में मात्र एक ओबीसी है, जबकि ये भारत की आबादी का पचास प्रतिशत हैं. हम सिस्टम को नहीं समझ रहे हैं, यही समस्या है."
उन्होंने कहा, "अब ये सिर्फ एकमात्र तरीका नहीं है, इसके अलावा भी दूसरे तरीके हैं. लेकिन जब भारत एक निष्पक्ष देश होगा तब हम आरक्षण को ख़त्म करने का सोचेंगे. और भारत निष्पक्ष देश नहीं है."
"इससे समस्या भी खड़ी होती है. क्योंकि सवर्ण जाति से आने वाले बहुत से लोग सवाल उठाते हैं कि हमने क्या गलत किया, हमें क्यों सज़ा दी जा रही है. इसीलिए आप इन सब चीज़ों की आपूर्ति को बढ़ाने के बारे में सोचते हैं. आप सत्ता के विकेंद्रीकरण के बारे में सोचते हैं. आप अपने देश की शासन प्रणाली में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को शामिल करने के बारे में सोचते हैं." (bbc.com/hindi)