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हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं हिंदुस्तान की संस्कृति है-चितरंजन कर
16-Sep-2024 1:35 PM
हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं हिंदुस्तान  की संस्कृति है-चितरंजन कर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 16 सितंबर।
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के हिंदी विभाग द्वारा 9 से 14 सितंबर तक हिंदी सप्ताह आयोजित की गई। जिसका समापन 14 सितंबर हिंदी दिवस को किया गया।
हिंदी दिवस समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. चितरंजन कर ने कहा कि हिंदी सिर्फ  भाषा ही नहीं हिंदुस्तान की संस्कृति है। हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि इसकी सहजता और वैज्ञानिकता के कारण इसका वैश्विक विस्तार तेजी से हो रहा है। मुख्य अतिथि डॉ. वीरेंद्र मोहन ने कहा कि हिंदी की उदारता यह है कि वह सर्व समावेशी है। दुनिया की अनेक भाषाओं के शब्द हिंदी में मिलकर उसी के रंग में रंग गई है। प्राचार्य डॉ. अंजना ठाकुर ने बताया कि हिंदी विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। हिंदी का इतिहास समृद्धि, वर्तमान सशक्त और भविष्य उत्कर्षगामी है। डॉ. शंकर मुनि राय ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। 

समारोह में डॉ. शंकर मुनि राय की व्यंग किताब दो मिनट का मौन का विमोचन किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. चितरंजन कर को डॉ. बल्देव प्रसाद स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। हिंदी भाषा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले महाविद्यालय स्टाफ के जीडी वैष्णव, दीपक परगनिहा, मंजूषा बाजपेयी, केदारनाथ साहू, मुकेश टेंबुरकर और आरती बोरकर को हिंदी सेवा सम्मान प्रदान किया गया। 

हिंदी सप्ताह के अंतर्गत सामान्य ज्ञानप्रश्नोत्तरी, काव्य पाठ, श्रुति  लेख, पोस्टर प्रतियोगिता, समाचार वाचन एवं उद्घोषणा प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किया गया। काव्य लेखन प्रतियोगिता के लिए डॉ. सोनल मिश्रा, बिंदु डनसेना और किरण जैन को पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रवीण कुमार साहू एवं आभार अभिव्यक्ति डॉ. बीएन जागृत ने किया।
 

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