विचार / लेख
-तारेकुज्जमां शिमुल
बांग्लादेश में छात्रों और आम लोगों की ओर से बड़े पैमाने पर हुए आंदोलन की वजह से शेख हसीना सरकार के पतन के बाद ज़्यादातर इलाकों में हमले के डर से अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता भूमिगत हो गए थे। अब डेढ़ महीने से भी ज़्यादा समय बीतने के बाद उनमें से कुछ लोग अपने इलाकों में लौटने लगे हैं। लेकिन उनको घर वापसी के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ रही है।
आरोप है कि पैसे नहीं देने वालों को उनके इलाके में घुसने नहीं दिया जा रहा है। पता चला है कि कुछ इलाकों में उनको हमले का भी शिकार होना पड़ रहा है।
बीबीसी बांग्ला ने अवामी लीग के कुछ ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं से बात की है जो हाल में पैसे देकर घर लौटे हैं या लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
उनमें से कोई भी सुरक्षा कारणों से अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहता। यहां तक कि उन लोगों ने इलाके के नाम का भी जि़क्र नहीं करने का अनुरोध किया।
लेकिन उन लोगों ने अपने अनुभव के बारे में बीबीसी को बताया है कि उनको अपने इलाके में लौटने के लिए किसे कितनी रकम देनी पड़ी है और अब वो किन हालात में दिन गुज़ार रहे हैं।
घर से निकलना मुश्किल
निचले स्तर के एक अवामी लीग नेता ने बीबीसी बांग्ला से कहा, ‘घर से निकल नहीं पा रहा हूं। पूरा दिन घर में ही बंद होकर गुजारना पड़ता है।’
घर लौटने वाले अवामी लीग के नेताओं ने दावा किया है कि हमलों से बचने के लिए उनको ख़ालिदा जिय़ा की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) समेत इलाके प्रभावशाली लोगों को पैसे देने पड़ रहे हैं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता खालिदा जिया देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं लेकिन शेख हसीना के दौर में वे जेल में थी। उन्हें सत्ता परिवर्तन के बाद जेल से छोड़ा गया है।
बीएनपी नेताओं ने इन आरोपों को निराधार बताया है। दूसरी ओर, निचले स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं के घर लौटने के बावजूद अवामी लीग के ज्यादातर केंद्रीय नेता अब तक छिप कर ही रह रहे हैं।
पता चला है कि उनमें से कई लोग देश से बाहर चले गए हैं और देश छोड़ कर जाने के प्रयास में कुछ लोग गिरफ्तार भी किए गए हैं।
ऐसे में नेतृत्व संकट से जूझ रही पार्टी के बारे में तरह-तरह की अफवाहें फैल रही हैं। यही वजह है कि कऱीब एक महीने की चुप्पी के बाद अब पार्टी को हाल में बयान जारी करते देखा गया है।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह बयान देश के भीतर से जारी किया गया है या बाहर से। अमित शाह की टिप्पणी पर बांग्लादेश के मीडिया में कैसी चर्चा, बाइडन-यूनुस मुलाकात पर क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ
‘एक लाख टका देकर लौटे’
बांग्लादेश में अवामी लीग सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता करीब डेढ़ महीने से अपने घरों से दूर छिपकर रह रहे हैं।
बीते पांच अगस्त के बाद उनके घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर जिस पैमाने पर हमले हो रहे थे, वैसा अब नजऱ नहीं आता। इसी वजह से अब ज़मीनी स्तर के नेता और कार्यकर्ता अपने परिवार के पास लौटना चाहते हैं।
लेकिन उनको यह डर भी सता रहा है कि अचानक लौटने की स्थिति में उनको हमले का शिकार होना पड़ सकता है। इसके लिए वो लौटने से पहले इलाके के प्रभावशाली लोगों से संपर्क कर रहे हैं।
अवामी लीग के वार्ड स्तर के एक नेता ने बीबीसी बांग्ला से कहा, ‘हमारे सामने इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। बीवी-बच्चों को छोड़ कर आखिर कितने दिनों तक छिपते रहेंगे?’
ज्यादातर इलाकों में बीएनपी का नियंत्रण होने के कारण अवामी लीग के भूमिगत नेता और कार्यकर्ता फिलहाल बीएनपी के नेताओं से संपर्क कर रहे हैं। अपने इलाके में लौने के लिए उनको मोटी रकम का भुगतान करना पड़ रहा है।
दक्षिणी बांग्लादेश के एक जिले के एक नेता ने बीबीसी बांग्ला को बताया, ‘वो तीन लाख मांग रहे थे। लेकिन काफी मान-मनौव्वल के बाद एक लाख पर मामला तय हुआ। वह रकम देने के बाद घर लौट सका हूं।’
पैसे किसने लिए?
नाम नहीं छापने की शर्त पर अवामी लीग के एक नेता का कहना था, ‘जिसने पैसे लिए वह बीएनपी का कोई बड़ा नेता नहीं बल्कि हमारी तरह ही वार्ड स्तर का नेता था। उन्होंने कुछ सप्ताह पहले उससे संपर्क किया था। बीएनपी का वह नेता उसी समय तैयार था। लेकिन उसने कुछ दिनों तक इंतजार करने की सलाह दी थी।’
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद भी इलाके में लौटने वाले अवामी लीग के नेता पैसे लेने वाले बीएनपी नेताओं के नाम बताने को तैयार नहीं हैं।
अवामी लीग के उस नेता ने बीबीसी बांग्ला से कहा, ‘नाम सामने आने पर हमारे लिए मुश्किल पैदा हो जाएगी। उसके बाद हमारे लिए अपने परिवार के साथ इस इलाके में रहना मुश्किल हो जाएगा।’
‘कितने लोगों को पैसे देंगे?’
अवामी लीग के वह नेता पैसे देकर भले घर लौट आए हों। कई ऐसे लोग हैं जो पैसे देने के बावजूद अब तक घर नहीं लौट पा रहे हैं।
ऐसे ही एक नेता ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि उन्होंने घर लौटने के लिए बीएनपी के दो नेताओं को अलग-अलग पैसे दिए हैं।
उनका कहना था, ‘पैसे देने के तीन सप्ताह बाद भी मैं घर नहीं लौट सका हूं। यह भी नहीं पता कि कब तक लौट सकूंगा।’
लेकिन पैसे देने के बावजूद घर नहीं लौट पाने की क्या वजह है?
अवामी लीग के उस नेता ने असंतोष जताते हुए बीबीसी बांग्ला से कहा, ‘कैसे लौटूं? मैंने दो लोगों को पैसे दिए हैं। इस बात का पता लगने के बाद कई लोग फोन पर पैसे मांग रहे हैं। मैं आखिर कितने लोगों को पैसे दूं?’
उनको लगता है कि बीएनपी के दो नेताओं को उन्होंने अब तक डेढ़ लाख की जो रकम दी है, उसका कोई फायदा नहीं होगा।
उस नेता ने बताया कि पहली बार बीएनपी के एक स्थानीय नेता ने पैसे लिए थे। लेकिन अब पैसे मांगने वाले लोग खुद के बीएनपी के विभिन्न संगठनों का सदस्य होने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना था, ‘कोई खुद को युवा दल का नेता बता रहा है तो कोई स्वयंसेवक दल का। उन्होंने धमकी दी है कि पैसे नहीं देने पर वो लोग मुझे इलाके में पांव नहीं रखने देंगे।’
‘घर बचाने के लिए 50 हजार’
बीते पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद अवामी लीग के हजारों नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर हमले किए गए थे। लेकिन आरोप है कि जो लोग उस समय बच गए थे अब उनके घरों पर भी हमले की धमकियां दी जा रही हैं।
ढाका के करीब ही मौजूद एक जिले के अवामी लीग नेता ने बीबीसी बांग्ला से कहा, ‘मैं तो डेढ़ महीने से घर से दूर रह रहा हूं। इस बीच, बीएनपी के लोगों ने घर जाकर मेरी पत्नी को एक सप्ताह के भीतर 50 हजार की रकम तैयार रखने की धमकी दी है।’
उन्होंने बताया, ‘चंदा मांगने वाले उन लोगों ने धमकी दी है कि तय समय के भीतर पैसे नहीं देने की स्थिति में घर में तोड़-फोड़ कर आग लगा दी जाएगी।’
वह नेता कहते हैं, ‘आमदनी तो पहले से ही ठप है। ऐसे में मुझे यह चिंता खाए जा रही है कि चंदे के लिए इतनी रकम का इंतजाम कहां से करूंगा।’
लेकिन चंदा मांगने वाले कौन हैं?
अवामी लीग के उस जिला स्तरीय नेता का कहना था, ‘वह मेरे इलाके के ही लोग हैं। अब तक वो राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। अब वो खुद को युवा दल का सदस्य बता रहे हैं।’
घर लौटने के बाद भी नजरबंदी की हालत
अवामी लीग के नेता और कार्यकर्ता पैसे देकर घर भले लौट गए हों, वो पहले की तरह सार्वजनिक रूप से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
डेढ़ महीने बाद घर लौटने वाले अवामी लीग के वार्ड स्तर के एक नेता ने बीबीसी बांग्ला को बताया, ‘जिनके जरिए इलाके में लौटा हूं, उन्होंने ही घर से बाहर निकलने को मना किया है। उनका कहना है कि इससे मैं मुश्किल में पड़ सकता हूं।’
ऐसी स्थिति में चालीस के पार वाले वह नेता अपने घर में ही नजऱबंद होकर दिन काट रहे हैं। हमले के डर से घर से बाहर नहीं निकलने के कारण वो अपनी दुकान भी नहीं खोल पा रहे हैं।
उनका कहना था, ‘बाजार में मेरी कपड़ों की एक दुकान है। लेकिन वह डेढ़ महीने से बंद है। पता नहीं, उसमें सब ठीक-ठाक है भी या नहीं।’
पता चला है कि इलाके में लौटने के बाद सार्वजनिक रूप से बाहर निकलने वाले कई लोगों पर हमले भी हुए हैं। खुलना के छात्र लीग के नेता शफीकुल इस्लाम मुन्ना भी उनमें से ही एक हैं।
उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि लंबे समय तक भूमिगत रहने के बाद हाल में घर लौटने पर उन पर हमला हुआ है।
उस रिश्तेदार ने बीबीसी बांग्ला को बताया, ‘तीन-चार लोगों ने उनको सडक़ पर दौड़ा लिया था। उनको नीचे गिरा कर धारदार हथियारों से गोदा गया। फिलहाल मुन्ना अस्पताल में भर्ती हैं।’
दूसरी ओर, लक्ष्मीपुर में नूर आलम नामक अवामी लीग के एक नेता की पीट-पीट कर हत्या करने का आरोप भी सामने आया है। यह घटना सदर उपजिला के चंद्रगंज यूनियन की है।
इसके अलावा बीते एक सप्ताह के दौरान बारीसाल और चुआडांगा में छात्र लीग के तीन नेता अलग-अलग हमलों में गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
इन घटनाओं में पुलिस भले अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी हो, हमले के शिकार लोगों के परिजनों ने इसके लिए बीएनपी और उससे जुड़े संगठनों के नेताओं-कार्यकर्ताओं को ही जिम्मेदार ठहराया है।
बीएनपी क्या कह रही है?
बीएनपी के शीर्ष नेताओं ने अवामी लीग के नेताओं-कार्यकर्ताओं से जबरन चंदा वसूली मामलों में अपनी पार्टी के शामिल होने के आरोपों का खंडन किया है।
बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य नजरुल इस्लाम खान बीबीसी बांग्ला से कहते हैं, ‘अवामी लीग ने बीते डेढ़ दशक तक सत्ता में रहने के दौरान जिस तरह बीएनपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हमले किए हैं उसके बाद मुझे नहीं लगता कि हमारे नेता या कार्यकर्ता ऐसी घटनाओं में शामिल होंगे।’
बीएनपी के एक अन्य नेता शमा ओबैद का कहना है कि बीएनपी की छवि खराब करने के लिए कुछ लोग चंदा उगाही के लिए उसके नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं।
वह कहते हैं, ‘इस मामले में शुरू से ही हमारी पार्टी का रुख़ बेहद कड़ा है। पार्टी की ओर से सबको स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि कोई भी ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं हो। इसके बावजूद देखने-सुनने में आ रहा है कि कुछ लोग बीएनपी के नाम का इस्तेमाल कर ऐसे गलत काम कर रहे हैं।’
उन्होंने आम लोगों को सलाह दी है कि अगर कोई बीएनपी के नाम का इस्तेमाल कर किसी से चंदा मांगता है तो संबंधित लोगों को उसके ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए।
पार्टी ने आम लोगों से कहा है कि अगर बीएनपी का कोई सदस्य चंदा उगाही समेत किसी अवैध गतिविधि में शामिल है तो सबूतों के साथ उसके ख़िलाफ़ शिकायत करें।
स्थायी समिति के सदस्य खान कहते हैं, ‘ऐसे तमाम मामलों में शिकार लोगों को सामने आकर नाम बताना होगा और अपने आरोप के समर्थन में ठोस सबूत पेश करना होगा। आरोप साबित होने पर संबंधित नेताओं-कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ सांगठनिक रूप से कार्रवाई की जाएगी।’
बीते पांच अगस्त को हसीना सरकार के पतन के बाद देश के विभिन्न इलाकों में बीएनपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ हमले, लूटपाट औऱ जबरन चंदा उगाही के आरोप लगते रहे हैं।
बीते डेढ़ महीनों के दौरान ऐसे कुछ मामलों में बीएनपी ने पटुआखाली, नेत्रकोना और खुलना समेत कई जि़लों में सौ से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को 'कारण बताओ' नोटिस जारी करने के अलावा उनको पदों से हटाया है और कुछ लोगों को पार्टी से भी निकाल दिया है। (www.bbc.com/hindi)