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तिरुपति (आंध्र प्रदेश), 1 अक्टूबर। आंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारका तिरुमाला राव ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने तिरुपति के लड्डू में पशु वसा के कथित मिलावट मामले की जांच अस्थायी रूप से रोक दी है, क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।
राव ने कहा कि पिछले दो दिनों में एसआईटी ने खरीद और नमूनाकरण प्रक्रियाओं की जांच की है तथा यह समझने की कोशिश की है कि लड्डुओं में मिलावट कैसे संभव है।
डीजीपी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सबसे पहले उन्हें (एसआईटी को) प्रक्रिया को समझना होगा, उसका अध्ययन करना होगा और सारी जानकारी लेनी होगी, लेकिन इस बीच उच्चतम न्यायालय से एक आदेश आ गया और उसके अनुरूप हमने इसे (जांच को) रोक दिया है।’’
उन्होंने कहा कि जब मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है तो इस पर अधिक बात करना उचित नहीं है।
उच्चतम न्यायालय में तीन अक्टूबर को मामले पर अगली सुनवाई होगी।
शीर्ष अदालत कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें तिरुपति के लड्डू बनाने में पशु वसा के इस्तेमाल के आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच का अनुरोध वाली याचिकाएं भी शामिल हैं।
न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह निर्णय लेने में सहायता करने को कहा कि क्या राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए।
इस बीच, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने तिरुपति के लड्डू में कथित मिलावट के मामले में भगवान वेंकटेश्वर को प्रसन्न करने के लिए अपनी 11 दिवसीय ‘प्रायश्चित दीक्षा’ के तहत मंगलवार को तिरुमला की तीन दिवसीय यात्रा शुरू की।
कल्याण ने तिरुमला के लिए रवाना होते समय संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सिर्फ एक प्रसाद मुद्दे (लड्डू में मिलावट) का मामला नहीं है। हो सकता है कि यह बात सामने आई हो। प्रायश्चित दीक्षा सनातन धर्म की रक्षा को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है। यह बहुत जरूरी है। यही आज के समय की मांग है।’’ (भाषा)