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नयी दिल्ली, 1 अक्टूबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन की संलिप्तता वाले धन शोधन के एक मामले में दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिन्होंने दावा किया था कि उनके खिलाफ दाखिल आरोपपत्र ‘‘अधूरा’’ है।
धन शोधन के इस मामले में जैन भी जेल में हैं।
उच्च न्यायालय ने आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन को ‘डिफॉल्ट’ जमानत देने से इनकार करने संबंधी अधीनस्थ अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि उसका आदेश तथ्यों के आधार पर नियमित जमानत का अनुरोध करने के उनके अधिकार पर रोक नहीं लगाता है।
यह मामला दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पर लगे आरोपों से संबंधित है, जिसमें कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के जरिए धन शोधन किये जाने का आरोप है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि वैभव जैन और अंकुश जैन आप नेता के कारोबारी सहयोगी थे और उन्होंने आपराधिक कृत्य में मदद की।
अदालत ने आरोपियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ दाखिल आरोप पत्र अधूरा था और कहा कि ‘‘मुख्य आरोप पत्र का समर्थन करने करने वाले पूरक साक्ष्य शिकायत (आरोप पत्र) को अधूरा नहीं बनाते।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इसलिए, अधीनस्थ अदालत ने सही निष्कर्ष निकाला है कि याचिकाकर्ताओं (वैभव और अंकुश जैन) के खिलाफ दाखिल शिकायत (आरोप पत्र) अपराध से जुड़े सभी आवश्यक तत्वों को समाहित करने के संदर्भ में पूर्ण थी।’’
न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने सोमवार को पारित और मंगलवार को उपलब्ध कराए गए आदेश में कहा, ‘‘आगे की कोई भी जांच, जो केवल पूरक प्रकृति की है और शिकायत को अधूरा नहीं बनाती है, वैधानिक अवधि के भीतर शिकायत दर्ज करने में कोई चूक नहीं है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘इसलिए, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167 (2) के तहत डिफॉल्ट जमानत अस्वीकार कर दी गई और दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया गया।’’
इस मामले में ईडी ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया था। अंकुश और वैभव को 30 जून 2022 को गिरफ्तार किया गया था। (भाषा)