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नई दिल्ली, 3 अक्टूबर । इनकम टैक्स (आईटी) डिपार्टमेंट की ओर से कुछ गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) की जांच में सामने आया है कि उन्होंने कथित तौर पर विदेशी फंडिंग ली और साथ ही उन पर देश की कई बड़ी आर्थिक और विकास परियोजना को रोकने की गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। इनकम टैक्स की यह जांच 7 सितंबर, 2022 को ऑक्सफैम, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर), एनवॉयरोनिक्स ट्रस्ट, लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट और केयर इंडिया सॉल्यूशंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के ऑफिस की तलाशी के बाद शुरू की गई थी।
इस जांच में इन एनजीओ पर आरोप लगा है कि वे देश के लिए जरूरी आर्थिक और विकास की परियोजनाओं को रोकने की गतिविधियों में शामिल थे। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया कि बीते पांच वर्षों के दौरान पांच में चार एनजीओ को 75 प्रतिशत से अधिक फंडिंग विदेश से मिली है। रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले से अंतरराष्ट्रीय दान पर निर्भरता से भारत के भीतर उनके ऑपरेशनल एजेंडा प्रभावित होने का दावा किया गया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एनजीओ न केवल वित्तीय रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, बल्कि प्रमुख व्यक्तियों को भी साझा करते हैं, और उन्हें अपने मिशन में जोड़ते हैं।
जांच में वार्षिक रिटर्न में भी गड़बड़ी पाई गई है, जो इशारा करती है कि विदेशी फंड्स का गलत इस्तेमाल किया गया है। इन सभी कारणों के चलते इन एनजीओ के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस को रोक दिया गया था और दिल्ली हाई कोर्ट में इसे लेकर कानूनी लड़ाई भी चल रही है। ऑक्सफैम पर आरोप है कि अदाणी ग्रुप के साथ अन्य भारतीय कॉरपोरेट को टारगेट करने वाले अंतरराष्ट्रीय अभियान का समर्थन किया था। सीपीआर पर विदेशी दान के कुप्रबंधन का आरोप है, विभाग का दावा है कि यह कोयला खनन के खिलाफ हसदेव आंदोलन में शामिल है। आईटी रिपोर्ट के मुताबिक, एनवॉयरोनिक्स ट्रस्ट पर आरोप है कि उसने जेएडब्ल्यू के स्टील प्लांट समेत कई महत्वपूर्ण इंडस्ट्रीयल प्रोजेक्ट्स के खिलाफ लोकल प्रोजेक्ट को फंड किया है। - ( आईएएनएस)