विशेष रिपोर्ट
तस्वीर/‘छत्तीसगढ़’/अभिषेक यादव
पुलिस कैपों में प्रसूति और आपातकालीन चिकित्सा
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट- बड़ेसेट्टी कैंप से लौटकर प्रदीप मेश्राम
रायपुर, 8 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। बस्तर के अंदरूनी इलाकों में आमतौर पर खुलने वाले सुरक्षा कैंप अक्सर पुलिस-ग्रामीणों की नोंक-झोंक की वजह से सुर्खियां बंटोरते रहे है, लेकिन एक पहलू यह भी है कि पुलिस कैपों ने बीहड़ इलाकों में एक सुरक्षित माहौल तैयार कर दिया है। परिणामस्वरूप गांवों में पीडीएस, अस्पताल और स्कूल भवनें खड़ी होने लगी है।
सुकमा से लगभग 40 किमी दूर बड़ेसेट्टी में तकरीबन तीन साल पहले खुले कैंप नेे एक बड़े हिस्से से नक्सल प्रभाव को लगभग खत्म कर दिया है। फरवरी 2021 में इस कैंप का नक्सल दबाव में ग्रामीणों ने महीनों विरोध करते आंदोलन किया था। नक्सलियों की इस रणनीति का जवाब देने पुलिस ने ग्रामीणों से नजदीकियां बढ़ाकर कैंप खुलने के फायदे गिनाए।
देर से सही बड़ेसेट्टी में अब पीड़ीएस भवन बनकर तैयार हो गया है। वहीं अस्पताल भवन निर्माणाधीन है। पीडीएस भवन में सप्ताह के एक दिन निश्चित तारीख में दूर-दराज से ग्रामीण सरकारी राशन ले रहे हैं। फूलबगड़ी थाना के अधीन बड़ेसेट्टी में कैंप खुलने से महज तीन साल पहले शीर्ष नक्सल नेताओं और कमांडरों का प्रभाव रहा। कैंप खुलने के करीब छह माह के भीतर बड़ेसेट्टी क्षेत्र के 22 सौ की जनसंख्या को नक्सल आतंक से जहां निजात मिली। वहीं आपातकालीन चिकित्सकीय सुविधा भी आसानी से मिलनेे लगी।
कैंप के प्लाटून कंमाडर देवेन्द्र धीवर ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि कैंप खुलने से अब वनवासी खुद को महफूज मान रहे हैं। कैंप में दवाई से लेकर आपात चिकित्सकीय सुविधा भी प्रदान की जाती है। गर्भवती महिलाओं को गंभीर स्थिति में कैम्पों की सहायता से वाहन उपलब्ध कराकर हायर सेंटर भेजा जा रहा है।
बताते हैं कि ग्रामीणों का अब कैपों को लेकर नजरिया भी बदला है। भले ही ग्रामीण खुलकर कैपों के हिमायती नहीं है, लेकिन गांवों में बुनियादी जरूरतों की परेशानी दूर होने से परिवर्तन दिख रहे हैं। कैंप खोलने के बाद अंदरूनी इलाकों में दौड़ रहे आटो और सवारी गाडिय़ों से मीलों पैदल चलने की मजबूरी से भी ग्रामीणों को छुटकारा मिला है।
बड़ेसट्टी में पढ़ाई को लेकर भी एक उन्मुक्त माहौल बन गया है। बोलचाल से हिचकने वाले ग्रामीण भी अब जवानों से बतियाते दिख जाते हैं। कैंपों की सुरक्षा में तैनात जवान भी ग्रामीणों के बदले रूख के बीच गांवों की पारंपरिक धार्मिक आयोजनों में शरीक हो रहे हैं। बहरहाल कैपों से भीतरी गांवों की बदलती आबो हवा के बीच बड़सेट्टी जैसे कुछ नए कैंप खोलने का पुलिस का अभियान बदस्तूर जारी है।
सुरक्षा कैंप ग्रामीणों के लिए - आईजी
बस्तर में कैंपों को लेकर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि कैंप ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए है। साथ ही बुनियादी सुविधाओं के लिए कैंप प्रशासन के साथ सहायक की भूमिका में है। निश्चित तौर पर बस्तर में कैपों के खुलने से सुरक्षा के लिए एक बेहतर परिस्थिति बनती दिख रही है।