विचार / लेख

-कैटी केय
अमेरिका में पाँच नवंबर को राष्ट्रपति चुनावों के लिए वोटिंग होनी है। इन चुनावों में मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हैं, जबकि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार हैं।
बीबीसी ने जानने की कोशिश की है कि अमेरिका के दो प्रमुख दलों के उम्मीदवारों में एक का महिला होना और एक का पुरुष होना कितना बड़ा चुनावी मुद्दा है।
चुनावी सर्वेक्षण करने वालों के मुताबिक़ अगले महीने होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप को पुरुषों के बीच बहुत ज़्यादा बढ़त हासिल है, जबकि महिलाओं ने बताया है कि वे कमला हैरिस को ट्रंप के मुकाबले बड़े पैमाने पर पसंद करती हैं।
अमेरिका में यह राजनीतिक ‘जेंडर’ अंतर एक दशक के सामाजिक उथल-पुथल को दिखाता है और अमेरिकी चुनाव के नतीजों को तय करने में मदद कर सकता है।
कमला हैरिस अमेरिका में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने वाली पहली काली महिला हैं।
वो इस रेस के लिए जगह बनाने वाली वाली दूसरी महिला हैं। हालांकि कमला हैरिस अपनी पहचान के बारे में बात न करने की पूरी कोशिश करती हैं।
पिछले महीने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में हैरिस ने कहा था, ‘मैं इसलिए चुनाव लड़ रही हूं क्योंकि मैं मानती हूँ कि इस समय सभी अमेरिकियों के लिए राष्ट्रपति के तौर पर काम करने के लिए मैं सबसे उपयुक्त हूं, चाहे उनकी जाति या लिंग कुछ भी हो।’
अमरिका में लैंगिक भेद कितना बड़ा मुद्दा
इस मुद्दे को ख़त्म करने की उनकी सभी कोशिशों के बावजूद, ‘जेंडर’ यानी लैंगिक आधार इस बार के राष्ट्रपति चुनाव अभियान का निर्णायक मुद्दा बनता जा रहा है।
‘मैडम प्रेसिडेंट’ का संबोधन यानी एक महिला का राष्ट्रपति बनना अमेरिका के लिए एक नई बात होगी और यह मानना सही है कि जहां कई मतदाताओं को यह पसंद आएगा, वहीं कुछ को यह नयापन थोड़ा परेशान करने वाला लगेगा।
हैरिस का चुनाव प्रचार अभियान इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करेगा, लेकिन एक अधिकारी ने हाल ही में मेरे सामने स्वीकार किया कि उनका मानना है कि यहाँ एक ‘छिपा हुआ लिंगभेद’ है, जो कुछ लोगों को राष्ट्रपति पद के लिए किसी महिला को वोट देने से रोकेगा।
यह साल 2024 है और बहुत कम लोग इस तरह से बेवकूफ बनना चाहेंगे, जो पोलस्टर (चुनावी सर्वेक्षण करने वालों) को सीधे-सीधे बता दें कि उन्हें नहीं लगता कि कोई महिला अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय के लिए उपयुक्त है।
हालांकि अमेरिका में बहुत से लोग सोशल मीडिया पर महिला विरोधी मीम्स शेयर करने के लिए तैयार हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी के एक रणनीतिकार का कहना है कि यह एक कोड है, जब मतदाता पोलस्टर्स को बताते हैं कि ‘हैरिस तैयार’ नहीं हैं या वोटरों के पास सही विकल्प या उन्हें जो चाहिए वो नहीं है, तो उनका वास्तव में मतलब है कि समस्या यह है कि हैरिस एक महिला हैं।
अमेरिका में ‘ताकतवर महिला’ को कहाँ तक स्वीकर करते हैं लोग
ट्रंप के चुनाव प्रचार अभियान का कहना है कि जेंडर का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा है, ‘कमला कमजोर, बेईमान और खतरे की हद तक उदारवादी हैं और यही वजह है कि अमेरिकी लोग 5 नवंबर को उन्हें अस्वीकार कर देंगे।’
हालाँकि उनके चुनाव प्रचार अभियान के एक वरिष्ठ सलाहकार ब्रायन लैंज़ा ने मुझे संदेश भेजकर कहा है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि ट्रंप चुनाव जीतेंगे क्योंकि ‘पुरुषों’ का बड़ा अंतर हमें बढ़त दे रहा है।
पिछली बार जब कोई महिला राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रही थी तो उनका लिंग के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से एक मुद्दा था।
आठ साल पहले हिलेरी क्लिंटन ने खुद को अमेरिका के किसी प्रमुख पार्टी की पहली महिला उम्मीदवार बताया था। उनके प्रचार अभियान का नारा ‘मैं उनके साथ हूँ’ था। जो इसमें बढ़-चढक़र उनकी भूमिका की एक ख़ास याद है।
पेंसिल्वेनिया की कांग्रेस सदस्य (सांसद) मैडेलीन डीन को याद है कि उन्होंने मतदाताओं के साथ क्लिंटन की उम्मीदवारी पर चर्चा की थी।
मैंने डीन के साथ एक दोपहर बिताई, जब वह अपने जिले में प्रचार कर रही थीं और उन्होंने मुझे बताया कि साल 2016 में लोग उनसे कहते थे, ‘उनमें कुछ ख़ास बात है।’
डीन के मुताबिक़ उन्हें जल्द ही एहसास हो गया कि ‘यह 'उनके' बारे में था। ये वो बात थी कि हिलेरी एक महिला थीं।’
हालांकि डीन का मानना है कि आज यह भावना कमज़ोर हुई है। लेकिन वो स्वीकार करती हैं कि आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो ‘एक शक्तिशाली महिला के अस्तित्व पर सवाल खड़े करते हैं और उनके लिए यह बहुत दूर की बात है।’
हालाँकि साल 2016 के बाद से महिलाओं के लिए बहुत कुछ बदल गया है। साल 2017 में ‘मी ट’ आंदोलन ने काम करने वाली जगह पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाई है।
अमेरिका में महिलाएं कितनी आगे
‘मी टू’ ने पेशेवर के तौर पर महिलाओं के बारे में हमारी बातचीत के तरीके को बदल दिया है और इसने हैरिस जैसे उम्मीदवार के लिए नामांकन हासिल करना आसान बना दिया है।
लेकिन विविधता, समानता और समावेश के मुद्दों पर उठाए गए बड़े कदमों को कुछ लोगों ने एक कदम पीछे की ओर भी माना है।
खासतौर पर उन युवा पुरुषों के लिए जिन्हें लगा कि उन्हें पीछे छोड़ दिया गया है।
ये बदलाव रूढि़वादी अमेरिकियों के लिए बहुत दूर के भी थे जो पारंपरिक तौर पर महिला या पुरुष की अलग-अलग भूमिकाओं को पसंद करते हैं।
रविवार को जारी सीबीएस न्यूज के सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि इस दौड़ में लैंगिक अंतर पैदा हो गया है, जो सामाजिक भूमिकाओं के बारे में अमेरिका में व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
बीबीसी के अमेरिकी समाचार सहयोगी सीबीएस के मुताबिक़ जिन पुरुषों के यह कहने की संभावना ज़्यादा है कि अमेरिका में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की कोशिश बहुत ज़्यादा बढ़ गई है; उनके ट्रंप समर्थक होने की संभावना ज़्यादा है।
जबकि महिलाओं का यह कहना ज़्यादा सही है कि ये प्रयास पर्याप्त नहीं हैं और वे हैरिस का समर्थन करती हैं।
सीबीएस की रिपोर्ट के मुताबिक़ पुरुषों के बीच हैरिस को एक मजबूत नेता मानने की संभावना, महिलाओं की तुलना में कम है और ज़्यादातर पुरुषों का कहना है कि वो ट्रंप को एक मजबूत नेता मानते हैं।
इसलिए कुछ मतदाताओं के लिए यह चुनाव लैंगिक मानदंडों और हाल के बरसों की सामाजिक उथल-पुथल पर जनमत संग्रह बन गया है।
युवा पुरुषों के सामने बदलता समाज
यह बात ख़ास तौर पर उन मतदाताओं के लिए सही दिखती है, जिन तक कमला हैरिस को पहुँचने में मुश्किल हो रही है।
ऐसे युवा जो इस तरह की दुनिया में रहते हैं जो युवा पुरुषों के लिए तेजी से बदल रही है।
हार्वर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स में डायरेक्टर ऑफ पोलिंग जॉन डेला वोल्पे कहते हैं, ‘युवा पुरुषों को अक्सर ऐसा लगता है कि अगर वो सवाल पूछते हैं तो उन्हें महिला विरोधी, समलैंगिकों का विरोधी या नस्लवादी करार दिया जाता है।’
उनका कहना है, ‘खुद के न समझे जाने से निराश होकर, कई लोग डोनाल्ड ट्रंप या एलन मस्क की भाईचारे वाली संस्कृति में फंस जाते हैं। वो देखते हैं कि डेमोक्रेटिक पार्टी किसे प्राथमिकता देती है। जैसे; महिलाएँ, गर्भपात के अधिकार, एलजीटीबीक्यू संस्कृति और फिर अपने बारे में सवाल पूछते हैं कि वो इसमें कहाँ हैं।’
डेला वोल्पे युवा मतदाताओं के सर्वेक्षण में विशेषज्ञ हैं। उनका कहना है कि जिन युवा पुरुषों का वो जिक्र कर रहे हैं, वो किसी कट्टरपंथी दक्षिणपंथी, इनसेल गुट का हिस्सा नहीं हैं।
वो आपके या आपके पड़ोसी के बेटे हैं। वास्तव में वो कहते हैं कि कई लोग महिलाओं के लिए समानता का समर्थन करते हैं, लेकिन उन्हें यह भी लगता है कि उनकी अपनी चिंताओं को अनदेखा कर दिया जाता है।
डेला वोल्पे ने आंकड़ों की एक सूची पेश की है, जिसमें दिखाया गया है कि आजकल युवा पुरुष अपनी महिला समकक्षों की तुलना में किस तरह खराब हालात में हैं।
इसके मुताबिक उनके रिश्तों में पडऩे की संभावना कम है, उनके कॉलेज में दाखिला लेने की संभावना पहले की तुलना में कम है और उनकी आत्महत्या की दर महिला समकक्षों की तुलना में ज़्यादा है।
इस बीच युवा अमेरिकी महिलाएँ तेजी से आगे बढ़ रही हैं। उन्हें पुरुषों की तुलना में बेहतर शिक्षा हासिल है। वो सर्विस सेक्टर में काम करती हैं, जो तेजी से बढ़ रहा है और वे पुरुषों की तुलना में ज़्यादा पैसे कमा रही हैं।
‘गैलअप पोलिंग ग्रुप’ के मुताबिक डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से युवा महिलाएँ भी युवा पुरुषों की तुलना में काफी ज़्यादा उदार हो गई हैं।
यह सब अमेरिका में लैंगिक भेदभाव को और भी बढ़ा रहा है। ‘अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट’ के मुताबिक पिछले सात साल में ऐसे युवा पुरुषों की संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है जो कहते हैं कि अमेरिका लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में बहुत आगे निकल गया है।
ट्रंप का पुरुष वोटरों को साधने पर जोर
लोगों के असंतोष को सहज रूप से समझने की क्षमता की वजह से ट्रंप ने पुरुषों की इस निराशा का फायदा उठाया है और अपने प्रचार अभियान के अंतिम दौर में उन्होंने ‘मर्दानगी’ पर दोगुना जोर दिया है।
उन्होंने अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक चेतावनी को फिर से पोस्ट किया जिसमें दावा किया गया कि ‘मर्दानगी पर हमला हो रहा है।’
हाल ही में उन्होंने एक प्रसिद्ध गोल्फर के जननांग के बारे में मजाक किया था।
ट्रम्प ने लॉकर रूम की चर्चा को लॉकर रूम से बाहर निकाल दिया है और उनके दर्शकों को यह बहुत पसंद आया।
अपनी रैलियों में और प्रसारण के दौरान असंतुष्ट पुरुषों के प्रति डेमोक्रेट्स की प्रतिक्रिया कठोर प्रेम की खुराक जैसी दिखती है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फटकार भी लगाई कि कुछ पुरुष ‘महिला को राष्ट्रपति बनाने के विचार को पसंद नहीं कर रहे हैं और आप इसके लिए अन्य विकल्प और अन्य वजह लेकर आ रहे हैं।’
एक नए टीवी विज्ञापन में अभिनेता एड ओ‘नील थोड़े तीखे लेकिन अधिक सीधे थे। उनका कहना था, ‘एक पुरुष बनें और एक महिला को वोट दें।’
इस चुनाव प्रचार अभियान के अंतिम दिनों में जेंडर हर जगह है-अन्य किसी जगह नहीं।
डोनाल्ड ट्रम्प इस दौड़ में मर्दानगी को सबसे आगे और केंद्र में रखना चाहते हैं। कमला हैरिस शायद ही स्वीकार करती हैं कि वह एक महिला हैं जो राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के सर्वेक्षण में ट्रम्प पुरुष मतदाताओं के साथ 14 फीसदी आगे हैं, जबकि महिलाओं के बीच हैरिस 12 फीसदी वोट से आगे हैं।
अमेरिका में पुरुष और महिलाएं, लडक़े और लड़कियाँ शायद इस चुनाव के नतीजों को तय तक सकते हैं। (bbc.com/hindi)