विचार / लेख
-ध्रुव गुप्त
दीवाली में देवी लक्ष्मी की हर तरफ चर्चा है लेकिन उनके वाहन उल्लुओं की बात कोई नहीं करता। यह शायद इसलिए कि उन्हें हमने मूर्खता का पर्याय मान रखा है। सच इसके विपरीत ही है। पक्षियों की यह प्रजाति दुनिया के कुछ सबसे अद्भुत और बुद्धिमान जीवों में एक है। रातों में बेहतर देखने वाला एकमात्र जीव जिसकी दृष्टि इतनी पैनी होती है कि वह वस्तु को 3-डी एंगल यानी उसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई तीनों में देख सकता है। वह अपने सिर को दोनों दिशाओं में 270 डिग्री तक घुमा सकने में सक्षम है। उल्लू हम इंसानों की श्रवण-सीमा से दस गुनी धीमी आवाज सुन सकता है। पृथ्वी के वातावरण में मौजूद कई-कई तरह के हानिकारक कीड़ों का शिकार करने के कारण उसे प्रकृति का सफाईकर्मी कहा जाता है। दुनिया के कई देशों में उल्लुओं को ज्ञान का प्रतीक कहा गया है। यूनान की पौराणिक कथाओं के अनुसार बुद्धि की देवी एथेन उल्लू का रूप धरकर पृथ्वी पर आती हैं और लोगों को बुद्धि का वरदान देती है। चीनी फेंगशुई में उल्लू सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक है। जापानियों की नजर में उल्लू मुसीबत में उनकी रक्षा करता है। हमारा ज्योतिषशास्त्र मानता है कि उल्लू की मुद्राओं, बोली और उड़ान भरने की स्थिति से भूत, भविष्य और वर्तमान की घटनाओं का पता लगाया जा सकता है।
तात्पर्य यह कि उल्लुओं का सम्मान करिए। धन की देवी लक्ष्मी और ज्ञान की देवी सरस्वती दोनों प्रसन्न होंगी। कोई आपको उल्लू कहे तो अपमानित नहीं,बल्कि सम्मानित महसूस करिए। उल्लुओं के बारे में इतना कुछ जान लेने के बाद मेरी हार्दिक इच्छा रहती है कि लोग मुझे उल्लू कहकर बुलाएं। और किसी ने तो अबतक नहीं कहा लेकिन मेरी घरवाली दिन में जितनी बार मुझे उल्लू कहती है उतनी बार में आत्मगौरव की भावना से भर जाता हूं।