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सऊदी अरब की नजर में चुभने वाला नया कांटा
30-Jun-2020 10:50 AM
सऊदी अरब की नजर में चुभने वाला नया कांटा

मारे गए पत्रकार खशोगी का दोस्त

ओमर अब्दुलअजीज सऊदी सरकार के आलोचक हैं और पत्रकार जमाल खशोगी के मित्र हैं जिनकी इस्तांबुल में सऊदी कंसुलेट में हत्या कर दी गई थी. लेकिन अब ओमर अब्दुलअजीज क्यों सऊदी अरब को चुभ रहे हैं, जानिए.

अब्दुल अजीज को अच्छी तरह पता है कि सऊदी अरब के आलोचकों को क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलाम बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते. 29 साल के अब्दुलअजीज कई साल से कनाडा में रह रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस की तरफ से बार बार कॉल आ रही हैं कि उन्हें सऊदी अरब से खतरा हो सकता है.

उन्होंने ब्रिटेन के अखबार गार्डियन को बताया, "कनाडा के अधिकारियों को जानकारी मिली है कि मुझे निशाना बनाया जा सकता है." उन्होंने इस बारे में ट्विटर पर भी वीडियो पोस्ट किया. इस वीडियो को एक 1.70 लाख बार देखा जा चुका है.

इस वीडियो में अब्दुलअजीज ने कहा, "मोहम्मद बिन सलमान और उनके लोग मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. वे मेरे खिलाफ कुछ करना चाहते हैं लेकिन पता नहीं कि वे हत्या करना चाहते हैं या अपहरण. लेकिन वे निश्चित तौर पर ऐसा कुछ करना चाहते हैं जो ठीक नहीं है."

विद्रोही आवाजें

ओमर अब्दुलअजीज को कई साल पहले कनाडा में राजनीतिक शरण दी गई. बर्लिन के जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के गीडो श्टाइनबर्ग इसे अच्छी बात बताते हैं. वह कहते हैं, "वह इतने अहम हैं कि सऊदी में सभी विद्रोही आवाजें, चाहे वे उदारवादी हों या फिर उदार इस्लामी, वे सब खामोश हो गई हैं. या तो उन्हें जेल में डाल दिया गया है या फिर अन्य तरीकों से उन्हें अपनी गतिविधियां रोक देने के लिए मजबूर कर दिया गया है." श्टाइनबर्ग कहते हैं कि अब्दुलअजीज एक विपक्षी और उदार आवाज समझे जाते हैं जिसका "कोई स्पष्ट राजनीति उद्देश्य" नहीं है.

अब्दुलअजीज कहते हैं कि पहली बार कनाडा की पुलिस ने उनसे संपर्क किया है. उनकी वकील आला महाजना ने गार्डियन अखबार को बताया कि पुलिस की चेतावनी "विश्वसनीय और ठोस" है.

खशोगी: एक 'खतरनाक' दोस्त

कवाकीबी फाउंडेशन के प्रमुख और लोकतंत्र कार्यकर्ता अयाद एल-बगदादी को उम्मीद थी कि अब्दुलअजीज को इस तरह के खतरे झेलने पड़ेंगे. वह कहते हैं, "हम जानते हैं कि मोहम्मद बिन सलमान कुछ समय से उन्हें निशाना बना रहे हैं."

एल-बगदादी क्राउन प्रिंस की सऊदी नीति के आलोचक हैं और फिलहाल नॉर्वे में रहते हैं. उन्हें भी 2019 में सऊदी अरब की तरफ से खतरे के बारे में आगाह किया गया था. हालांकि ओमर अब्दुल और एल-बगदादी कभी एक दूसरे से नहीं मिले हैं, लेकिन दोनों ही सऊदी क्राउन प्रिंस की नीतियों के आलोचक रहे हैं. ये दोनों ही सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी के दोस्त हैं जिनकी 2018 में इंस्ताबुल के सऊदी कंसुलेट में हत्या कर दी गई थी.

अब्दुलअजीज 2017/2018 में खशोगी के संपर्क में थे. उस वक्त खशोगी अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में कॉलम लिखते थे. श्टाइबर्ग मानते हैं कि अब्दुलअजीज को निशाना बनाने की एक यह भी वजह हो सकती है.

वह कहते हैं, "जब खशोगी वॉशिंगटन में थे, तब उन्होंने अब्दुलअजीज से संपर्क करने की कोशिश की थी. उन्होंने मिलकर काम करने की योजना बनाई थी. तभी से खशोगी सऊदी अरब को चुभने लगे. इसके बाद अब्दुलअजीज को भी खतरे के तौर पर देखा जाने लगा."

2018 में अब्दुल अजीज को पता चला कि उनका फोन हैक कर लिया गया है और उनकी जासूसी की जा रही है. संदिग्ध हैकिंग के बाद उनके कई रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया गया. ट्विटर पर अपने हालिया वीडियो में अब्दुलअजीज ने कहा, "एक आलोचक के तौर पर वे मुझे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. ओके. लेकिन इससे मेरे परिवार का क्या लेना देना है. मेरे माता पिता और भाई बहन को यात्रा करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है, उन्हें मुझसे संपर्क क्यों नहीं करने दिया जा रहा है?"

अब्दुलअजीज को लगता है कि उन्हें और खशोगी को उनकी साझा गतिविधियों के लिए निशाना बनाया गया. नवंबर 2019 में उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट में लिखे संपादकीय में यह बात कही.

ट्विटर बदल गया

अब्दुलअजीज के ट्विटर पर पांच लाख फोलोवर हैं. अपने लेख में उन्होंने लिखा कि सऊदी अरब संभवतः उन्हें तीन सबसे बड़े सऊदी ट्विटर इंफ्लुएंसरों में गिनता है. इनमें से अब्दुल अजीज कनाडा में हैं जबकि एक को जेल में डाल दिया गया है जबकि एक अन्य लापता है. अब्दुलअजीज कहते हैं कि 2017 में मोहम्मद बिन सलमान के क्राउन प्रिंस बनने के बाद से सऊदी अरब में ट्विटर बिल्कुल बदल गया.
इससे पहले लोगों को अपनी राय जाहिर करने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल करने की काफी हद तक आजादी थी. सऊदी मामलों के विशेषज्ञ श्टाइनबर्ग कहते हैं कि क्राउन प्रिंस जानते हैं कि जनमत तैयार करने में सोशल मीडिया की कितनी अहमियत है. पूर्व कानूनी और मीडिया सहालकार सऊद बिन अल कहतानी को सरकारी ट्रोल फौज तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई. अल कहतानी को ही खशोगी की हत्या का मुख्य कर्ताधर्ता समझा जाता है. लेकिन हत्या को अंजाम देने वालों में उनका नाम शामिल नहीं है. भारी दबाव में क्राउन प्रिंस ने माना कि खशोगी इंस्ताबुल के सऊदी दूतावास में मारे गए और इस सिलसिले में 11 लोगों पर मुकदमा भी चलाया गया.

क्राउन प्रिंस के करीबी अल कहतानी पर "पर्याप्त सबूतों के आभाव" में मुकदमा नहीं चलाया गया. मोहम्मद बिन सलमान अब भी इस बात से इनकार करते हैं कि यह हत्या उनके आदेश पर हुई, लेकिन अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र इस बारे में बहुत से ठोस सुरागों की तरफ इशारा करते हैं.

निडर अब्दुल अजीज

ओमर अब्दुलअजीज के मामले पर अभी तक सऊदी अरब की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है. गार्डियन के अनुसार कनाडा की सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे सऊदी अरब में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं और कनाडा हमेशा मानवाधिकारों के संरक्षण लिए प्रतिबद्ध है.

अब्दुलअजीज कहते हैं कि उन्हें कोई डर नहीं है और वह खुद को कनाडा में सुरक्षित महसूस करते हैं. एक वीडियो बयान में उन्होंने कहा, "मैं ठीक हूं."

रॉयल कैनेडियन माउंडेट पुलिस ने उनसे पूछा है कि वह इस खतरे के बारे में क्या सोचते हैं. उनका जवाब था, "मैं खुश हूं. मैं महसूस करता हूं कि मैं कुछ कर रहा हूं. अगर आप ऐसा कुछ नहीं करते हैं जिससे मोहम्मद बिन सलमान को परेशानी हो, तो आप अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं."

रिपोर्ट: डाया होडाली/एके     

(www.dw.com)

 

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