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चीनी ऐप तो ठीक हैं, लेकिन पेटीएम? : गिरीश मालवीय
01-Jul-2020 8:03 PM
चीनी ऐप तो ठीक हैं, लेकिन पेटीएम? : गिरीश मालवीय

चाइनीज एप्स तो डिलीट हो जाएंगे लेकिन एक बार भारत की सबसे बड़ी चीनी कम्पनी के बारे में तो जान लीजिए! और वह है आपके फोन में मौजूद, आपकी दुकान में मौजूद पेटीएम।

चीनी कम्पनी अलीबाबा की होल्डिंग वाली पेटीएम देश की सबसे बड़ी ई पेमेंट कंपनी है, कुछ भोले-भाले लोग पेटीएम का मालिक विजय शेखर शर्मा को समझते है क्योंकि वही इस कंपनी के मुख्य प्रबंधक निदेशक भी हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि उनके पास कंपनी की कितनी हिस्सेदारी है? उनके पास कम्पनी की मात्र 15.7 फीसदी हिस्सेदारी ही है। (बकौल इकनॉमिक टाईम्स 2019)

पेटीएम की मुख्य कंपनी का नाम है वन 97 कम्युनिकेशन लिमिटेड. यह सिंगापुर की कम्पनी है अब यही से सारा कन्फ्यूजन शुरू होता है क्योंकि अलीबाबा ने भी अपना निवेश चीन की अपनी मूल कंपनी के जरिए नहीं किया है। बल्कि उसने पेटीएम में निवेश अपनी एक सहयोगी कंपनी, जो सिंगापुर में रजिस्टर्ड है, उसके जरिए किया है. पेटीएम में निवेश करने वाली कंपनी का नाम है ‘अलीबाबा सिंगापुर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड’

अलीबाबा ने 2015 में पेटीएम में 41 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की थी। दरअसल तभी अलीबाबा के जैक मा भारत मे आये थे और मोदी जी से भी मिले थे पेटीएम का असली उभार नोटबंदी के बाद से ही शुरू हुआ था, पेटीएम जो चीन के अलीबाबा की फंडिंग हासिल कर चुकी थी मोदी जी नोटबंदी के दूसरे दिन उसके पोस्टरबॉय बने हुए थे।

दरअसल पेटीएम के मॉडल को अलीबाबा कम्पनी के पेमेन्ट गेटवे अलीपे की ही तरह ही डेवलप किया गया था, 2018 में पेटीएम ई-कॉमर्स में अलीबाबा सिंगापुर की हिस्सेदारी कम होकर 36.31 फीसदी हो गई मायासोशि सोन की सॉफ्टबैंक ने भी अपनी हिस्सेदारी प्रत्यक्ष तौर पर कंपनी में 20 प्रतिशत कर ली थी लेकिन चीन में भी दोनों कंपनियों की एक दूसरे में हिस्सेदारी है इसलिए यह मामला उलझा हुआ है, पेटीएम के बाकी के शेयर एसएपी वेंचर्स, सिलिकॉन वैली बैंक, पेटीएम की मैनेजमेंट टीम और अन्य इनवेस्टर्स के पास हैं।

एसएआईएफ पार्टनर्स इंडिया की हिस्सेदारी 4.66 फीसदी है 2017 में अनिल अंबानी के पास जो एक प्रतिशत शेयर पेटीएम का था उसे भी अलीबाबा ने खरीद लिया था, एक बड़ा हिस्सा अलीबाबा की ऐंट फाइनेंशियल के पास भी है यानी अगर स्पष्ट रूप से देखा जाए तो 2020 में भी चीनी अलीबाबा ग्रुप और उसकी सहयोगी ऐंट फाइनेंशियल के पास वन 97 कम्युनिकेशंस के सबसे ज्यादा शेयर है। केवल दिखावे के लिए एक भारतीय को कम्पनी का मुख्य चेहरा बना रखा है।

अलीबाबा की टीम ही पेटीएम के ऑपरेशन के रिस्क कंट्रोल कैपेसिटी को डेवलप करती है। और जानकार लोग बताते हैं कि रिस्क कंट्रोल कैपेसिटी ही किसी भी ऑनलाइन कंपनी की बैक बोन यानी रीढ़ की हड्डी होती है।

पेटीएम कोई छोटी-मोटी कम्पनी नहीं है पिछले दिनों विजय शेखर शर्मा का एक साक्षात्कार प्रकाशित हुआ। इसमें उन्होंने दावा किया कि देश के ऑनलाइन भुगतान में अब भी पेटीएम की हिस्सेदारी 70 से 80 फीसदी हो गयी है, रेलवे की टिकट बेचने की जिम्मेदारी के लिए सिर्फ पेटीएम के पेमेंट गेटवे को ही अधिकृत किया है रेलवे के टिकट बिक्री में रोज करोड़ों नहीं अरबो का ट्रासिक्शन होता है इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी चीनी होल्डिंग वाली पेटीएम को क्यों दी गई सवाल तो खड़ा होता ही है?

कैसे चीनी कंपनियों से जुड़ी पेटीएम देश की सबसे बड़ी फिनटेक कम्पनी बन गयी सवाल तो खड़ा होता है और सवाल तो ये भी खड़ा होता है कि यह सब जानते बुझते हुए आज सरकार पेटीएम पर कैसे और किस प्रकार की कार्यवाही करेगी?

 

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