विचार / लेख

गालवान: डोभाल की सफल पहल
07-Jul-2020 8:32 PM
गालवान: डोभाल की सफल पहल

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

गालवान घाटी से इस वक्त खुश-खबर आ रही है। हमारे टीवी चैनल पहले यह दावा कर रहे हैं कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीन पीछे हट रहा है। चीन अब घुटने टेक रहा है। अपनी हठधर्मी छोड़ रहा है लेकिन इस तरह के बहुत-से वाक्य बोलने के बाद वे दबी जुबान से यह भी कह रहे हैं कि दोनों देश यानी भारत भी उस रेखा से पीछे हट रहा है। वे यह भी बता रहे हैं कि हमारे सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच कल दो घंटे वीडियो-बातचीत हुई। इसी बातचीत के बाद दोनों देशों ने अपनी सेनाओं को पीछे हटाने का फैसला किया है लेकिन हमारे टीवी चैनलों के अति उत्साही एंकर साथ-साथ यह भी कह रहे हैं कि धोखेबाज-चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। एक अर्थ में हमारे ये टीवी एंकर चीन के बड़बोले अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ से टक्कर लेते दिखाई पड़ते हैं। यह अच्छा हुआ कि भारत सरकार हमारे इन एंकरों की बेलगाम और उकसाऊ बातों में बिल्कुल नहीं फंसी और उसने संयम से काम लिया।

यह अलग बात है कि टीवी चैनलों को देखनेवाले करोड़ों भारतीय नागरिक चिंताग्रस्त हो गए और उत्तेजित होकर उन्होंने चीनी माल का बहिष्कार भी शुरु कर दिया और चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग के पुतले फूंकने भी शुरु कर दिए लेकिन सरकार और भाजपा के किसी नेता ने इस तरह के कोई भी गैर-जिम्मेदाराना निर्देश नहीं दिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथसिंह और विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन का नाम लेकर एक भी शब्द उत्तेजक नहीं बोला। उन्होंने हमारी फौज के जवानों के बलिदान को पूरा सम्मान दिया, लद्दाख की अपनी यात्रा और भाषण से फौज के मनोबल में चार चांद लगा दिए और गलवान की मुठभेड़ को लेकर चीन पर जितना भी निराकार दबाव बनाना जरुरी था, बनाया। जैसे चीनी ‘एप्स’ पर तात्कालिक प्रतिबंध, चीन की अनेक भारतीय-प्रायोजनाओं पर रोक की धमकी और लद्दाख में विशेष फौजी जमाव आदि!

उधर चीन ने भी अपनी प्रतिक्रिया को संयत और सीमित रखा। इन बातों से दोनों सरकारों ने यही संदेश दिया कि गलवान घाटी में हुई मुठभेड़ तात्कालिक और आकस्मिक थी। वह दोनों सरकारों के सुनियोजित षडय़ंत्र का परिणाम नहीं थी। मैं 16 जून से यही कह रहा था और चाहता था कि दोनों देशों के शीर्ष नेता सीधे बात करें तो सारा मामला हल हो सकता है। अच्छा हुआ कि दोभाल ने पहल की।

परिणाम अच्छे हैं। डोभाल को अभी मंत्री का ओहदा तो मिला ही हुआ है। अब उनकी राजनीतिक हैसियत इस ओहदे से भी ऊपर हो जाएगी। अब उन्हें सीमा-विवाद के स्थायी हल की पहल भी करनी चाहिए। (nayaindia.com)

(नया इंडिया की अनुमति से)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news