विचार / लेख

टिकटौकिया राष्ट्रवाद
07-Jul-2020 8:33 PM
टिकटौकिया राष्ट्रवाद

-शिशिर सोनी

भारत चीन सीमा पर तनाव है, और तनाव की कोई सीमा नहीं है। बीस वीर जवानों की शहादत का बदला एप्स अनइस्टॉल कर लिया जा रहा है। हमारा राष्ट्रवाद भी गजब है- एक हीरो रहा सनी देओल तो इसीलिए चुनाव जीत गया क्यों कि उसने एक फिल्म में पाकिस्तान का हैंडपंप उखाड़ डाला था। मोदी जी कल तक जिस जिनपिंग से गले मिल रहे थे आज वहीं गले पड़ रहा है। मोदी जी को नेहरू जी को कोसने से फुर्सत मिले तो वे जिनपिंग के पिंग-पिंग पर ध्यान दें। प्रधानसेवक इतिहास में उलझे रहे, चीनी राष्ट्रपति ने भूगोल में हेरफेर कर दी। मोदी जी चीनी राष्ट्रपति से कोई अठारह बार मिल चुके हैं। इतना तो इंसान पूरी जिंदगी खुद से नहीं मिल पाता।

चीन पैदाइशी धूर्त देश है। जिसने डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखने वाले नेता को धोखा दे दिया, वह डिस्कवरी चैनल के अभिनेता को क्या समझता? गर्व की बात ये है कि हमारे मुकाबले चीन का पलड़ा बेहद कमजोर है। हमारे पास न्यूज एंकर और वीर रस के कवि भी तो हैं। जहां न पहुंचे तुलसीदास गोस्वामी वहां पहुंचे अर्णब गोस्वामी। अकेले अर्णब गोस्वामी की ही जंजीर खोल दी जाए तो चीन भाग छूटेगा। कितना भी बड़ा सूरमा हो बकवास से तो घबराता है।

मेरे हिसाब से चीन के बौखलाहट का बड़ा कारण ट्रंप यात्रा की दौरान अहमदाबाद में बनाई गई वो दीवार है जिसके पीछे गरीबी को ढाकी गई थी। एक ही मास्टर स्ट्रोक में मोदी जी ने चीन की कमर तोड़ कर रख दी। अब तक लाखों पर्यटक चीन की दीवार देखने जाते थे वो सब अहमदाबाद की दीवार देखने आएंगे।

संग्राम शत्रु से हो या जीवन का, बल से नहीं आत्मबल से जीता जाता है। आत्मबल आता है सच्चाई से। दान गुप्त और खर्च ओपन तो सुना था, लेकिन दान ओपन और खर्च गुप्त, ये पीएम-केयर्स फंड से ही पता लगा है। (फेसबुक)

(संपत सरल का कविता पाठ )

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