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आपने खूंटा पकड़ रखा है, खूंटे ने आपको नहीं
13-Jul-2020 7:57 PM
आपने खूंटा पकड़ रखा है, खूंटे ने आपको नहीं

संजय श्रमण

दलित या ओबीसी युवा एक बहुत बड़ा और निर्णायक काम कर सकते हैं। और यह काम भारत की दिशा बदल सकता है।

आप पिछली पीढ़ी को भूल जाइए, आप अपने जीवन में अपनी दिनचर्या में अगर अन्धविश्वासी धर्म और भेदभाव भरी व्यवस्था से दूरी बना लेते हैं तो आधे से अधिक काम अपने आप हो जाएगा।

आपको इस सड़ी-गली व्यवस्था में जीने के लिए कोई मजबूर नहीं कर रहा है।

आपके अपने परिवार में आप पूजा पाठ भजन कीर्तन करेंगे या नहीं करेंगे ये आपका अपना निर्णय है। कोई आपके सर पर बंदूक रखकर नहीं मजबूर कर रहा है।

आपके बच्चे और स्त्रियां धार्मिक सीरियल कार्टून और प्रवचन देखेंगे या नहीं-ये आपका निर्णय है।

आपके घर में अनपढ़ और धूर्त धर्मगुरु या पंडित आकर कर्मकांड करेगा या नहीं-ये आपका निर्णय है। आपके बच्चे आसमान की तरफ मुंह उठाकर भगवान या देवता से मदद की भीख मांगेंगे या अपनी मेहनत और बुद्धि से अपना भविष्य बनायेंगे-ये आपका निर्णय है।

आपके बच्चे आपस में एक दूसरे से इंसानों की तरह पेश आयेंगे या एकदूसरे को छोटी बड़ी जाति का समझकर लड़ेंगे-ये आपका निर्णय है।

ऐसे और बहुत से छोटे-छोटे कदम हैं जो पूरी तरह आपके हाथ में हैं। आप सामूहिक या संगठित क्रान्ति का इंतजार मत कीजिये। अभी आज से ही अपना व्यवहार बदल दीजिये।

अगर आप ये कर पाते हैं तो दुनिया की कोई ताकत आपको और आपके समाज को ज्यादा समय तक पिछड़ा बनाकर नहीं रख सकती।

आप दलित हैं, दमित हैं और पिछड़े हैं क्योंकि आपने दलन दमन और पिछड़ापन पैदा करने वाला धर्म, कर्मकांड, व्यवहार और मानसिकता खुद अपने हाथ से पकड़ रखी है।

आप जब चाहें इन चीजों को छोडक़र आजाद हो सकते हैं।

आपने खूंटा पकड़ रखा है, खूंटे ने आपको नहीं पकड़ा है।

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