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बच्चों की गोद में बाप नहीं, भारत की मरी हुई आत्मा और जनता है
16-Jul-2020 11:51 AM
बच्चों की गोद में बाप नहीं, भारत की मरी हुई आत्मा और जनता है

-रवीश कुमार

गुना के कलेक्टर और एस एस पी को डिसमिस कर देना चाहिए। ये बीमारी ऐसे ठीक नहीं होगी। सदियों से घुसी हुई है और आज़ादी के बाद भी बढ़ती जा रही है। ये अफ़सर कुर्सी पर जाकर करते क्या हैं? क्यों नहीं तंत्र को सत्ता के ग़ुरूर से मुक्त करते हैं, वहाँ पहुँच कर भी इसकी सेवा उठाने लगते हैं। इसलिए इन दोनों अफ़सरों को नौकरी से निकालने की माँग करनी चाहिए। कोई तबादला नहीं कोई निलंबन नहीं। सीधे बर्खास्त करना चाहिए दोनों को। वैसे भी लोगों को फ़र्ज़ी केस में फँसाने के अलावा इनका कोई काम तो होता नहीं। तबादला धोखा है। इन्हें बर्खास्त करना चाहिए। इन अफ़सरों को शर्म भी नहीं आती होगी। न आएगी।

गुना का यह वीडियो और अपने मृत पिता को गोद में लेकर चीखते बच्चों से आपकी आत्मा नहीं परेशान होती है तो आप इस लोकतंत्र के मरे हुए नागरिक हैं। आप एक लाश है। वैसे मुर्दा कहने और कहलाने से भी आपको फर्क नहीं पड़ता।

दलित राम कुमार अहिरवार और सावित्री देवी ने तीन लाख का लोन लेकर एक खेत में फसल उगाई। जब फसल बोई गई और उगाई गई तब क्या किसी ने नहीं देखा? इनके साथ किसी ने सरकारी ज़मीन बताकर धोखा किया तो कार्रवाई उस पर होनी थी या इन गरीब पर?

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खड़ी फसल पर जे सी बी मशीन चलाई गई। राम कुमार ने रोका तो नहीं माने। कीटनाशक ज़हर पी ली। बचाने के लिए राम के भाई आगे आए तो पुलिस लाठियाँ मारने लगी। राम कुमार मर गए। उनके बच्चे अपने पिता को गोद में लेकर बिलख रहे हैं।

आप कैसा सिस्टम चाहते हैं? ऐसा कि किसी को फँसा दो, किसी के साथ ये इंसाफ़ करो ? क्या भारत इस तरह का विश्व गुरु बनेगा? और ये विश्व गुरु होता क्या है? एक थाना इस देश में बेहतर तरीक़े से नहीं चलता है। शर्म आनी चाहिए कि आप ख़ुद को जनता कहते हैं। शर्म आनी चाहिए। शर्म आनी चाहिए।

एक ही माँग होनी चाहिए। कलेक्टर और एस एस पी को नौकरी से निकालो। नहीं तो आप ख़ुद को जनता कहलाना छोड़ दें। 

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