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Editor's Choice : टिड्डे: दुनिया भर में फ़सल चट कर रहे झुंडों की बारीक़ी से पड़ताल
17-Jul-2020 1:12 PM
Editor's Choice : टिड्डे: दुनिया भर में फ़सल चट कर रहे झुंडों की बारीक़ी से पड़ताल

रेगिस्तानी टिड्डों के विशाल हुजूम पूर्वी अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में क़हर बरपा रहे हैं. टिड्डों के विशाल झुंड से फ़सलों को ख़तरा है, लोगों की रोज़ी रोटी को ख़तरा है और खाने पीने की आपूर्ति को नुक़सान पहुंचने का डर है. दुनिया के एक बड़े हिस्से पर टिड्डों का ये हमला पिछले कई दशकों में सबसे बड़ा बताया जा रहा है. लेकिन, जानकारों ने चेतावनी दी है कि अगर कुछ जगहों पर टिड्डों के क़हर को नहीं रोका गया, तो आने वाले बारिश के सीज़न के दौरान कई देशों में टिड्डों के झुंड की तादाद बीस गुना तक बढ़ सकती है. (https://www.bbc.co.uk/news/resources/idt-8f45ee5d-04ab-4089-9e3a-a5f06b84fbe5)

टिड्डे हैं क्या और वो इतनी बड़ी तादाद में अचानक कहां से आ गए?

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इंटरएक्टिव एक अकेला रेगिस्तानी टिड्डा
एआर इस्तेमाल करने के निर्देश 

इस टिड्डी की ही तरह रेगिस्तानी टिड्डे सूखे इलाक़ों में रहते हैं. ये पश्चिम अफ़्रीका और भारत के बीच के क़रीब तीस देशों में पाए जाते हैं. ये पूरा क्षेत्र लगभग एक करोड़ साठ लाख वर्ग किलोमीटर या 62 लाख वर्ग मील का है

ये टिड्डों के ही रिश्तेदार हैं. शर्मीले होने के कारण ये आम तौर पर अकेले ही रहते हैं

और वो बिना किसी की नज़र में आए ऐसे ही अकेले बरसों बरस जीते हैं

लेकिन कभी कभार ये शर्मीली रेगिस्तानी टिड्डियां किसी अचानक से राक्षसी रूप धर लेती हैं.

और जब किसी हरे भरे इलाक़े में अचानक बारिश बंद हो जाती है और सूखा पड़ जाता है, तो ये मामूली टिड्डे अपना एकांतवास त्याग कर छोटे छोटे राक्षसों के भयानक झुंड में तब्दील हो जाते हैं

इंटरएक्टिव अकेले रहने वाले टिड्डों में परिवर्तन कैसे होता है?

जब ये रेगिस्तानी टिड्डियां इकट्ठा हो जाती हैं, तो इनके दिमाग़ से एक केमिकल निकलता है, जिसका नाम है सेरोटोनिन. ये केमिकल इनके शरीर में रिसता है, जिसके कारण इन मामूली टिड्डों के शरीर और बर्ताव में क्रांतिकारी बदलाव आ जाता है.

इन कीड़ों का न केवल रंग बदलकर चटख हो जाता है. बल्कि ये तेज़ तर्रार भी हो जाते हैं. इनकी भूख जाग जाती है और ये बड़े सामाजिक हो जाते हैं. यानी इनके बीच आपस में मेल-जोल बढ़ जाता है

जब ये टिड्डे अपना रंग रूप और मिज़ाज बदल लेते हैं और भुक्खड़ हो जाते हैं, तो ये अपने जैसे साथी टिड्डों को तलाशते हैं. इनकी जनसंख्या में विस्फोट हो जाता है. और ये धीरे धीरे ऐसे झुंड बना लेते हैं, जो देखते ही देखते सब कुछ तहस नहस कर डालने वाले टिड्डी दल में परिवर्तित हो जाते हैं

इंटरएक्टिव टिड्डों के ये दल उड़ कर फ़सलों को तबाह करने लगते हैं

जब एक बार ये टिड्डे झुंड बनाने लगते हैं, तो उनके दल बेहद विशाल हो सकते हैं. टिड्डों के एक दल में दस अरब तक टिड्डे हो सकते हैं. और ये टिड्डी दल सैकड़ों किलोमीटर में फैल सकता है

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, टिड्डियों के एक औसत आकार का दल भी इतनी फ़सलें तबाह करने की क्षमता रखता है, जिनसे ढाई हज़ार लोगों को पूरे साल भर खाना खिलाया जा सकता है.

टिड्डियों के ऐसे ही तबाही मचाने वाले दल पूर्वी अफ्रीका, यमन, ईरान, पाकिस्तान और भारत में बन रहे हैं. और विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन ने इन टिड्डियों वाले इलाक़ों को हाई अलर्ट पर रहने की चेतावनी जारी की है

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का कहना है कि टिड्डियों के इन ख़तरनाक झुंडों ने पहले ही कीनिया, इथियोपिया और सोमालिया जैसे कई देशों में ऐसी तबाही मचाई है, जैसी इन देशों ने कई दशकों में नहीं देखी. और अभी भी इनसे अभूतपूर्व ख़तरा बना हुआ है. इस बात का डर भी है कि राक्षसी टिड्डियों का ये दल पश्चिम अफ़्रीका पर भी धावा बोल सकता है

लेकिन, तेज़ी से बढ़ते टिड्डियों के ये दल अब मध्य पूर्व और पाकिस्तान में हरियाली पर हमला बोल रहे हैं. और टिड्डियों के इन झुंडों से भारत में भी फ़सलों पर ख़तरा मंडरा रहा है

पूर्वी अफ़्रीका, मध्य पूर्व, भारत और पाकिस्तान में सक्रिय टिड्डियों के दल को दिखाने वाला नक़्शा
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का कहना है कि अगर इन राक्षसी कीड़ों से बचने के लिए अतिरिक्त उपाय नहीं किए जाते हैं, तो बारिश के मौसम में टिड्डियों के इन ख़तरनाक झुंडों के आकार में बीस गुना तक इज़ाफ़ा हो सकता है

चिंता वाली बात ये है कि टिड्डियों के दल के हमले झेल रहे ये देश, पहले से ही कई संकटों, जैसे कि बाढ़, संघर्ष और कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहे हैं

उत्तरी कीनिया के चरवाहे और टिड्डियों के झुंड का पता लगाने वाले अलबर्ट लेमासुलानी कहते हैं कि, 'कोविड-19 के बाद अब टिड्डी दलों के हमले से हमारे ऊपर मानो दो दो महामारियों की मार पड़ रही है. टिड्डियों के ये झुंड जहां भी ज़मीन पर उतरते हैं, वो लगभग सब कुछ चट कर जाते हैं. उनका हमला बेहद डरावने ख़्वाब जैसा है.'

टिड्डों के दलों के इस हमले का कारण 2018-19 के दौर में आए समुद्री तूफ़ान और बारिश हैं

दो साल पहले दक्षिणी अरब प्रायद्वीप में तेज़ बारिश से पैदा हुई नमी और उचित माहौल के कारण टिड्डियों की तीन पीढ़ियां मज़े में पली बढ़ीं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि टिड्डियों की आबादी में आए इस ज़बरदस्त उछाल पर किसी की नज़र ही नहीं पड़ी

अल्बर्ट लेमासुलानी, उत्तरी कीनिया के चरवाहे और टिड्डी दलों पर निगाह रखने वाले
उत्तरी कीनिया में जानवर पालने वाले अल्बर्ट लेमासुलानी टिड्डियों के दल का पता लगाने में मदद करते हैं
कई देशों में टिड्डों पर क़ाबू पाने के अभियान चलाए जाने के बावजूद, हाल में हुई भारी बारिश ने टिड्डियों की आबादी बढ़ाने के लिए बिल्कुल सही माहौल तैयार कर दिया है

इस समय टिड्डियों की अगली पीढ़ी के अंडे फूट रहे हैं. और ठीक इसी समय पूरे क्षेत्र में किसान फ़सलों के नए सीज़न की बुवाई कर रहे हैं. कृषि एवं खाद्य संगठन का कहना है कि टिड्डियों के हमले से पहले ही खाद्य संकट से जूझ रहे कई देशों की चुनौतियां और बढ़ जाएंगी. ख़ास तौर से पूर्वी अफ्रीका के देशों में.

इस समय खाद्य एवं कृषि संगठन टिड्डियों के दलों को क़ाबू करने के लिए फंड जुटा रहा है. लेकिन, कई देशों के लिए कीटनाशकों का छिड़काव बहुत देर से उठाया गया क़दम साबित हुआ है

उत्तरी कीनिया और उसके आगे के किसानों ने तो टिड्डी दलों के हमले में अपना सब कुछ पहले ही गंवा दिया है

अल्बर्ट लेमासुलानी कहते हैं कि, 'हर रोज़ पांच, छह, सात या दस टिड्डी दल हमला करते हैं.' लेमासुलानी टिड्डी दल से निपटने के संयुक्त राष्ट्र और कीनिया सरकार के अभियान में मदद देने के लिए स्वयंसेवकों की एक टीम की अगुवाई करते हैं. अल्बर्ट कहते हैं कि, 'अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे. हमारी ज़िंदगी ख़त्म हो जाएगी.'

क्रेडिट
टिड्डों के मॉडल और एनिमेशन-जैस्मिन बोनशोर, डिज़ाइन-गेरी फ्लेचर, स्टोरी डेवेलपमेंट-कैट्रिओना मॉरिसन, स्टीवेन कॉनर और एडम एलेन. लेखन-लूसी रोजर्स. फील्ड रिपोर्टिंग-जो वुड . (bbc.com/hindi)

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