विचार / लेख
hong kong photo credit AP
-हेलियर चेउंग
अब तक ये माना जाता रहा है कि हॉन्ग कॉन्ग कोरोना महामारी से लड़ने में कामयाब रहा है.
चीन के साथ सीमा साझा करने वाला हॉन्ग कॉन्ग अपने यहां संक्रमितों के मामले कम रखने में कामयाब रहा था. यहां के लोगों पर अमरीका, यूरोप और ब्रिटेन की तरह लॉकडाउन के कड़े नियम भी लागू नहीं किए गए. लेकिन अब हॉन्ग कॉन्ग में संक्रमण की दूसरी नहीं, बल्कि तीसरी लहर के कारण चिंता बढ़ रही है.
सरकार ने चेतावनी दी है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण यहां अस्पतालों पर काफ़ी दवाब पड़ सकता है.
हॉन्ग कॉन्ग में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला इस साल जनवरी में सामने आया था, लेकिन दूसरे देशों की तरह यहां संक्रमण के मामले तेज़ी से बढ़े नहीं.
मार्च में यहां संक्रमण का दूसरा दौर तब आया जब विदेश से छात्र और नागरिक लौटने लगे. संक्रमण पर काबू पाने के लिए हॉन्ग कॉन्ग ने सीमा पर नियंत्रण सख्त किया और किसी भी रास्ते दूसरे देशों के नागरिकों के आने पर पाबंदी लगा दी. साथ ही जो लोग बाहरी मुल्कों से लौटे उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटीन में रहने की हिदायत दी.
संक्रमितों के बारे में जानकारी लेने के लिए हॉन्ग कॉन्ग में तकनीक की भी इस्तेमाल किया गया. लोगों को तकनीकी रूप से उन्नत ब्रेसलेट पहनने के लिए दिए गए ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि लोग घरों से बाहर न निकलें.
साथ ही प्रशासन ने लोगों के लिए मास्क पहनना और फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों का पालन करना अनिवार्य बना दिया. कई सप्ताह तक यहां संक्रमण के नए मामले कम ही रहे, जिसके बाद लगने लगा कि जनजीवन पटरी पर लौट रहा है. लेकिन हाल में हॉन्ग कॉन्ग में लगातार नौ दिनों तक रोज़ाना संक्रमण के सौ से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
इसके बाद यहां कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर चिंता बढ़ गई है.
तीसरी लहर के लिए ज़िम्मेदार कौन?
यूनिवर्सिटी ऑफ़ हॉन्ग कॉन्ग में वायरोलॉजी के विशेषज्ञ मलिक पेयरिस कहते हैं, "हॉन्ग कॉन्ग में स्थिति काबू में आ गई थी, ऐसे में ये पूरी तरह दुर्भाग्यपूर्ण है और परेशान करने वाला है."
वो मानते हैं कि इसके लिए व्यवस्था में दो ख़ास कमियां ज़िम्मेदार हैं.
उन्होंने कहा, "इस व्यवस्था में ये खामी है कि परिवार के दूसरे सदस्यों पर किसी तरह की कोई रोक नहीं होती और वो कहीं भी आ-जा सकते हैं. पहला तो ये कि जो लोग बाहर से आए उन्हें 14 दिनों के लिए घरों में क्वारंटीन किया गया, न कि क्वारंटीन कैंप में.''
हालांकि मलिक मानते हैं कि मौजूदा स्थिति के लिए कई लोगों को टेस्टिंग और क्वारंटीन में राहत देने का सरकार का फ़ैसला था.
हॉन्ग कॉन्ग ने समुद्र में काम करने वाले, विमान उद्योग में काम करने वाले और स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनी के कर्मचारियों समेत के करीब दो लाख लोगों को हॉन्ग कॉन्ग आने पर टेस्टिंग और क्वारंटीन में राहत देने का फ़ैसला किया था.
प्रशासन का कहना था कि सामान्य काम चालू रखने और शहर की अर्थव्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए ये बेहद ज़रूरी था.
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जोसेफ़ सांग कहते हैं यही राहत सबसे बड़ी खामी रही क्योंकि इससे संक्रमण का ख़तरा बढ़ा.
वो कहते हैं कि समुद्र और बंदरगाहों में काम करने वालों के लिए दूसरे देश से आए लोगों से मिलना-जुलना सामान्य था, वहीं विमान उद्योग में लगे लोगों ने सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल किया जिससे संक्रमण का ख़तरा बढ़ा.
पहले तो सरकार से मानने से इनकार करती रही कि संक्रमण के मामलों में आई बढ़ोतरी का नाता कुछ काम में लगे लोगों को दी गई राहत से है.
हालांकि बाद में इसने स्वीकार किया कि इस बात के सबूत हैं कि लोगों का टेस्ट न करने और क्वारंटीन में राहत देने के कारण फिर से संक्रमण के मामले बढ़े.
शहर प्रशासन ने इसके बाद विमान उद्योग और समुद्र में काम करने वालों पर पाबंदियां बढ़ा दी हैं, लेकिन नियमों को लागू करना मुश्किल बना हुआ है.
इसी सप्ताह एक विदेशी पायलट शहर में घूमते हुए पाए गए थे. वो अपने कोरोना टेस्ट के नतीजे का इंतज़ार कर रहे थे.
क्वारंटीन के नियम कड़े न करने से हुई मुश्किल?
यूनिवर्सिटी ऑफ़ हॉन्ग कॉन्ग में संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर बेन्जामिन काउलिंग कहते हैं कि हॉन्ग कॉन्ग जिस मुश्किल से गुज़र रहा है वो मुश्किल परिस्थिति दूसरे देशों के सामने भी आ सकती है.
उन्होंने कहा , "ब्रिटेन में 14 दिनों के होम क्वारंटीन की व्यवस्था है और यहां पर भी संक्रमण का ख़तरा बढ़ने की संभावना हो सकती है. वहीं ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में 14 दिनों क व्यक्ति को होटल में क्वारंटीन किया जाता है जो बेहतर व्यवस्था है. हालांकि इस पूरे वक्त का खर्च कौन उठाता है, ये चर्चा का मुद्दा है."
हॉन्ग कॉन्ग में क्वारंटीन को लेकर नियम कई महीनों से ही लागू हैं तो फिर जुलाई से पहले यहां संक्रमण की तीसरी लहर क्यों नहीं आई?
इस बारे में वायरोलॉजी एक्सपर्ट मलिक पेयरिस कहते हैं कि जून में प्रशासन ने फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों में ढील दे दी थी.
वो कहते हैं, "जब तक फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियम लागू रहते हैं व्यवस्था हालात से जूझ सकती है लेकिन एक बार जब इसमें ढील दे दी गई तो बाहर से आए लोगों से संक्रमण तेज़ी से बढ़ा. ये सभी लोगों के लिए एक सीख है. "
डॉक्टर सांग कहते हैं कि जून के आख़िर तक सरकार ने सामूहिक कार्यक्रमों में 50 लोगों के शामिल होने को अनुमति दे दी. इसी दौरान फ़ादर्स डे और हॉन्ग कॉन्ग के हस्तांतरण की सालगिरह भी थी.
वो कहते हैं, ''महीनों से फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों का पालन कर रहे लोग थक चुके थे. जब सरकार ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सब कुछ सामान्य हो रहा है तो लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मुलाक़ातें करने लगे. मुझे लगता है ये दुर्भाग्यपूर्ण था. यहां कई चीजें एक साथ हो रही थीं."
पेयरिस कहते हैं कि हॉन्ग कॉन्ग के लोगों ने फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों का पूरी तरह पालन किया है और कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान स्वच्छता का भी पालन किया है. सरकार के मास्क पहनने को अनिवार्य बनाने से पहले ही लोग मास्क पहनना शुरू कर चुके थे.
वो कहते हैं, ''एक बार फिर शहर में फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों को लागू कर दिया गया है और असर भी दिख रहा है. उन्हें उम्मीद है कि चार से छह सप्ताह में हॉन्ग कॉन्ग में संक्रमण के मामले न के बराबर हो जाएंगे.''
हालांकि वो कहते हैं कि अभी भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती विदेश से आने वाले लोगों के ज़रिए संक्रमण फैसले नी संभावना को रोकना है. ख़ासकर तब जब फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों को फिर से हटा लिया जाएगा.
वो कहते हैं कि ये केवल हॉन्ग कॉन्ग की मुश्किल नहीं बल्कि सभी देश आज नहीं तो कल इस मुश्किल का सामना करेंगे.
जब देश अपनी सीमा के भीतर संक्रमण के मामलों पर पूरी तरह काबू पा लेंगे तो "उनके लिए बाहर आ रहे लोगों का स्थानीय समुदाय से घुलना-मिलना मुश्किल पैदा कर सकता है."
विरोध प्रदर्शनों के कारण बढ़े मामले?
ये माना जा सकता है कि कोरोना महामारी से हॉन्ग कॉन्ग की जंग दूसरों पर भी लागू हो सकती है लेकिन ये शहर बीते एक साल से लगातार संघर्ष देख रहा है जो अन्य मुल्कों में नहीं है.
जुलाई की एक तारीख़ को लोकतंत्र समर्थकों ने एक प्रदर्शन का आयोजन किया जिसमें हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया. प्रशासन की अनुमति के बिना ये रैली हुई और इसमें फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों का उल्लंघन हुआ.
जुलाई के मध्य में यहां विपक्ष के चुनाव थे जिसमें हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया.
हॉन्ग कॉन्ग में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के लिए चीनी सरकारी मीडिया ने इन दो घटनाओं को ज़िम्मेदार ठहराया है.हालांकि जानकार मानते हैं कि संक्रमण के मामलों में आई तेज़ी का यही कारण है ऐसे कोई सबूत अब तक नहीं मिले हैं.
प्रोफ़ेसर काउलिंग कहते हैं, "वैज्ञानिक चेन ऑफ़ ट्रांसमिशन का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और इन दो घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों के मिलने-जुलने से मामले बढ़े हों एसे सबूत नहीं मिले हैं."
वहीं डॉक्टर पियरिस कहते हैं कि, "इन घटनाओं में संक्रमण के कुछ मामले अधिक आए होंगे लेकिन मुझे नहीं लगता कि इससे बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला हो."
डॉक्टर सांग का कहना है, "शोध से पता चला है कि संक्रमण की तीसरी लहर के लिए वायरस की जो स्ट्रेन ज़िम्मेदार है वो पहले के संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार स्ट्रेन से अलग है."
वो कहते हैं कि वायरस की ये स्ट्रेन विदेश से आई है और विमान उद्योग से जुड़े और फ़िलिपीन्स और कज़ाकस्तान में समुद्र में काम करने वालों में पाए गए वायरस का जैसा है
संक्रमण का असर हॉन्ग कॉन्ग के चुनावों पर पड़ेगा?
कयास लगाए जा रहे हैं कि हॉन्ग कॉन्ग की संसद और विधायिका के लिए होने वाले चुनावों को सरकार सितंबर के लिए आगे बढ़ा सकती है.
स्थानीय मीडिया में सूत्रों के हवाले से इस तरह की ख़बरें छप भी रही हैं. लेकिन इस बीच विपक्ष का कहना है कि सरकार चुनाव से बचने के लिए कोरोना महामारी के बहाने का इस्तेमाल कर रही है.
हाल में हुए स्थानीय चुनावों में विपक्ष ने शानदार प्रदर्शन किया था. हालांकि लेजिस्लेटिव काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष जैस्पर सांग का कहना है कि अगर मतदान केंद्र कोरोना संक्रमण का केंद्र बन गए तो सरकार इस ज़िम्मेदारी से पीछा नहीं छुड़ा सकेगी.
प्रोफ़ेसर काउलिंग कहते हैं कि सरकार के फिर से फ़िज़िकल डिस्टेन्सिंग के नियमों को लगाने के कारण संक्रमण के मामलों में कमी आई है.
वो कहते हैं, "मुझे नहीं पता कि चुनाव बाद में कराने चाहिए या नहीं, साल भर के लिए चुनाव टाले नहीं जा सकते. स्थिति पर पूरी तरह काबू पाने तक इसे टाला जा सकता है."
वो कहते हैं कि मतदान केंद्र का सैनिटाइज़ेशन, लोगों को इकट्ठा न होने देने की कोशिश और मतदान से दो दिन पहले चुनाव में लगे सभी कर्मचारियों की कोरोना टेस्टिंग जैसे सुरक्षा उपायों के साथ भी चुनाव करवाने पर विचार किया जा सकता है.(bbc)