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अयोध्या में 05 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन है. ये एक बड़ा आयोजन होगा. इसके बाद भव्य राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हो जाएगा. लंबे समय से इस मामले में अदालत में केस चला फिर पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुना दिया.
आइए अब हम 10 प्वाइंट्स में जानते हैं उस फैसले के बारे में, जिससे हमें इस पूरे मामले को समझने में मदद मिल सकती है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया. ये मंदिर-मस्जिद विवाद 134 साल पुराना था. 40 दिनों तक चली सुनवाई के बाद शनिवार को इस दशकों पुराने मामले में पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से अपना फ़ैसला दिया.
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राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है, जबकि भगवान राम न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं. ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है. विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला विराजमान को दी जाए. इसका स्वामित्व केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा. 3 महीने के भीतर ट्रस्ट का गठन कर मंदिर निर्माण की योजना बनाई जाए.