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मनोज पाठक
पटना, 28 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक बार फि र से राजनीतिक दलों द्वारा 'दोस्तों' की खोज प्राारंभ हो गई है। इस बीच विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच जहां एक ओर नाराजगी की बातें सामने आ रही हैं, वहीं वामपंथी दलों की राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन से नजदीकियां बढ रही हैं।
राजग को टक्कर देने के लिए वामपंथी पार्टियां महागठबंधन के नेताओं के संपर्क में हैं और इसे लेकर बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है।
वामपंथी दलों के नेताओं ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से बुधवार को मुलाकात की और इस मामले को लेकर चर्चा की। बैठक में सभी दलों में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने पर सहमति बनी है, हालांकि अभी सीट बंटवारे को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का एक संयुक्त शिष्टमंडल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से मिला और इस बारे में चर्चा की।
भाकपा के प्रदेश सचिव रामनरेश पांडे ने बताया कि दलों में इस बात पर सहमति बनी कि राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, अन्य वामपंथी दल एवं अन्य पार्टियां मिलकर सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि सभी दलों के बीच सम्मानजनक तरीके से सीटों के बंटवारे पर जल्द ही सहमति बना ली जाएगी।
उन्होंने कहा, "किसी भी परिस्थिति में व्यापक गठबंधन के बीच किसी प्रकार की अड़चन नहीं आने दी जाएगी। सभी पक्ष आपसी समझदारी और व्यापक राजनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे।"
उल्लेखनीय है कि अन्य पार्टियों से समझौता के लिए राजद ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को अधिकृत किया है।
वैसे इससे पहले भी भाकपा और माकपा, राजद या जनता दल के साथ गठबंधन में रह चुकी है, लेकिन यह पहली बार होगा जब भाकपा (माले) भी राजद के इस गठबंधन में होगी।
भाकपा (माले) के फि लहाल तीन विधायक हैं।
भाकपा (माले) के कार्यालय सचिव कुमार परवेज कहते हैं कि हमलोग राजद के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही तीन सीटें हैं और भोजपुर, पटना, अरवल और सीवान जिले में एक दर्जन से अधिक सीटों पर हमारी अच्छी पकड़ है।
उन्होंने कहा, "यह एक अच्छे संकेत की तरह दिखता है कि तीनों वामपंथी दल बिहार में महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि वामपंथी दलों की इच्छा विपक्ष मजबूत और एकता के साथ चुनाव में उतरने की है और नीतीश कुमार के गठबंधन को शिकस्त देने की।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में भी वामपंथी दलों को कुछ सीटों पर समझौता हुआ था, लेकन बेगूसराय सीट पर जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार के प्रत्याशी बनने के बाद वहां समझौता नहीं हो सका था।
बहरहाल, राजद और वामपंथी दलों के इस चुनाव में समझौता होने के बाद चुनाव प्रचार में तेजस्वी और कन्हैया मंच साझा करेंगे या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा।