सामान्य ज्ञान

कोसल
13-Sep-2020 12:25 PM
कोसल

कोसल एक महाजनपद था। कोसल उत्तरी भारत का प्रसिद्ध जनपद था जिसकी राजधानी विश्वविश्रुत नगरी अयोध्या थी। उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जि़ला, गोंडा और बहराइच के क्षेत्र शामिल थे। वाल्मीकि रामायण  में इसका उल्लेख है।
 यह जनपद सरयू (गंगा नदी की सहायक नदी) के तटवर्ती प्रदेश में बसा हुआ था। सरयू के किनारे बसी हुई बस्ती का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में  हो सकता है यही बस्ती आगे चलकर अयोध्या के रूप में विकसित हो गयी। इस उद्धरण में चित्ररथ को इस बस्ती का प्रमुख बताया गया है। शायद इसी व्यक्ति का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी है।
 रामायण-काल में कोसल राज्य की दक्षिणी सीमा पर वेदश्रुति नदी बहती थी। श्री रामचंद्रजी ने अयोध्या से वन के लिए जाते समय गोमती नदी को पार करने के पहले ही कोसल की सीमा को पार कर लिया था । वेदश्रुति तथा गोमती पार करने का उल्लेख अयोध्याकाण्ड में है और तत्पश्चात स्यंदिका या सई नदी को पार करने के पश्चात  श्री राम ने पीछे छूटे हुए अनेक जनपदों वाले तथा मनु द्वारा इक्ष्वाकु को दिए गए समृद्धिशाली (कोसल) राज्य की भूमि सीता को दिखाई।  
राजा दशरथ की रानी कौशल्या संभवत: दक्षिण कोसल (रायपुर-बिलासपुर के जि़ले, मध्य प्रदेश) की राजकन्या थी। कालिदास ने रघुवंश  में अयोध्या को उत्तर कोसल की राजधानी कहा है। रामायण-काल में अयोध्या बहुत ही समृद्धिशाली नगरी थी।
 महाभारत  में भीमसेन की दिग्विजय-यात्रा में कोसल-नरेश बृहद्बल की पराजय का उल्लेख है। अंगुत्तरनिकाय के अनुसार बुद्धकाल से पहले कोसल की गणना उत्तर भारत के सोलह जनपदों में थी। इस समय विदेह और कोसल की सीमा पर सदानीरा (गंडकी) नदी बहती थी। बुद्ध के समय कोसल का राजा प्रसेनजित् था जिसने अपनी पुत्री कोसला का विवाह मगध-नरेश बिंबिसार के साथ किया था। काशी का राज्य जो इस समय कोसल के अंतर्गत था, राजकुमारी को दहेज में उसकी प्रसाधन सामग्री के व्यय के लिए दिया गया था। इस समय कोसल की राजधानी श्रावस्ती में थी। अयोध्या का निकटवर्ती उपनगर साकेत बौद्धकाल का प्रसिद्ध नगर था। जातकों में कोसल के एक अन्य नगर सेतव्या का भी उल्लेख है। छठी और पांचवीं शती ईर्पू में कोसल मगध के समान ही शक्तिशाली राज्य था किन्तु धीरे-धीरे मगध का महत्व बढ़ता गया और मौर्य-साम्राज्य की स्थापना के साथ कोसल मगध-साम्राज्य ही का एक भाग बन गया। इसके पश्चात इतिहास में कोसल की जनपद के रूप में अधिक महत्ता नहीं दिखाई देती यद्यपि इसका नाम गुप्तकाल तक साहित्य में प्रचलित था।
 विष्णु पुराण  के इस उद्धरण में सम्भवत: गुप्तकाल के पूर्ववर्ती काल में कोसल का अन्य जनपदों के साथ ही देवरक्षित नामक राजा द्वारा शासित होने का वर्णन है। यह दक्षिण कोसल भी हो सकता है। गुप्तसम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में ‘कोसलक महेंद्र’ या कोसल (दक्षिण कोसल) के महेन्द्र का उल्लेख है जिस पर समुद्रगुप्त ने विजय प्राप्त की थी। कुछ 

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