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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 16 सितंबर। जैव रासायनिक अध्ययन और अनुसंधान में विश्लेषणात्मक उपकरण पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन गल्फ बायो एनालिटिकल ग्रुप ऑफ कंपनीज दुबई के सहयोग से सेंट थॉमस कॉलेज भिलाई के लाइफ साइंसेज एंड केमिकल साइंस विभाग द्वारा किया गया था।
पहले दिन का सत्र रेव जॉर्ज मैथ्यू रमबान का आशीर्वाद वचन के साथ शुरू हुआ। प्राचार्य डॉ. एम जी रॉईमोन ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि डॉ. अरुणा पलटा कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग वेबीनार का उद्घाटन किया। डॉ. पलटा ने अपने संबोधन में जीवन के लगभग हर क्षेत्र में सटीक परिणामों के लिए माप पर निर्भरता के महत्व पर जोर दिया।
मुख्य भाषण चेअरमेन हीस ग्रेस डॉ. जोसेफ मार डियोनिसियस द्वारा दिया गया था। बिशप ने जैव रसायन चिकित्सा और फोरेंसिक विज्ञान अध्ययन में कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों की भूमिका को बताया। उन्होंने यह भी कहा कि सभी समस्याओं को हल करने के लिए सटीक और वैध जानकारी प्राप्त करने और विधि विकसित करने के लिए विश्लेषणात्मक इंस्टू्रमेंटेशन में अंशांकन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके बाद पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के रसायन शास्त्र में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कमलेश श्रीवास की प्रस्तुति हुई। उन्होंने संक्षेप में यूवी और विजिबल स्पेक्ट्रोस्कोपी की मूल बातें और इसके फाइटोकेमिकल एनालिसिस में अनुप्रयोग को प्रस्तुत किया। डॉ. जयश्री बालासुब्रमणियम विभागाध्यक्ष जूलॉजी विभाग द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। सत्र का संचालन रसायन विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. चंदा वर्मा ने किया।
दूसरे दिन के सत्र की शुरुआत अकादमिक के डीन डॉ. विनीता थॉमस के स्वागत भाषण से हुई। तीनों विषय विशेषज्ञों ने कंपनी का प्रतिनिधित्व किया। डॉ. प्रवीण सरोजम निदेशक उपभोग्य बिक्री जिथ परमेस्वरन उत्पाद प्रबंधक और अजय शर्मा वरिष्ठ अनुप्रयोग वैज्ञानिक ने प्रतिभागियों को एक कैरियर विकल्प के रूप में विश्लेषणात्मक इंस्टू्रमेंटेशन शिक्षाविदों में इंस्ट्रूमेंटेशन की भूमिका और अनुसंधान और युक्तियां अंशांकन और विश्लेषणात्मक उपकरण के रखरखाव जैसे विभिन्न पहलुओं के साथ प्रबुद्ध किया। प्रत्येक सत्र के बाद प्रतिभागियों के साथ संक्षिप्त चर्चा की गई। सत्र का समापन वेबिनार के संयोजक डॉ. उज्जवला सुपे जैव प्रौद्योगिकी विभाग के धन्यवाद प्रस्ताव से किया गया। सत्र का संचालन वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ. ज्योति बक्शी द्वारा किया गया।