विचार / लेख

मालदीव में क्यों चलाया जा रहा भारत के खिलाफ इंडिया आउट कैंपेन
17-Sep-2020 4:13 PM
मालदीव में क्यों चलाया जा रहा भारत  के खिलाफ इंडिया आउट कैंपेन

मालदीव की संसद के स्पीकर और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद ने कहा है कि इंडिया आउट कैंपेन आईएसआईएस सेल का है। नाशीद ने कहा कि इस कैंपेन के तहत मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग की जा रही है। 

मालदीव में इंडिया आउट कैंपेन हाल के हफ्तों में जोर पकड़ा रहा है और इसे वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी हवा दे रही है। मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी का कहना है कि भारतीय सैनिकों की मौजूदगी संप्रभुता और स्वतंत्रता के खलिाफ है।

मालदीव में विपक्षी पार्टी की भारत-विरोधी बातों के जवाब में वहां के विदेश मंत्री अब्दुल्ला ने कहा है कि जो लोग मजबूत होते द्विपक्षीय रिश्तों को पचा नहीं पा रहे हैं, वो इस तरह की आलोचना का सहारा ले रहे हैं।

भारत समर्थित एक स्ट्रीट लाइटिंग योजना के उदघाटन के मौके पर विदेश मंत्री ने कहा, ये दोनों देशों के बीच का संबंध है। ये दिलों से दिलों को जोडऩे वाला रिश्ता है। हम इसका आभार प्रकट करते हैं। उनका ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब जेल में कैद पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के नेतृत्व वाली प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव्स-पीपल्स नेशनल कांग्रेस (पीपीएम-पीएनसी) मालदीव की धरती पर विदेशी सेना की मौजदूगी का विरोध कर रही है।

युवाओं के एक समूह की ओर से हाल में किए गए एक विरोध-प्रदर्शन के बाद पीपीएम-पीएनसी ने कहा कि वो पुलिस की कार्रवाई से हैरान हैं और शांतिपूर्ण मोटरबाइक रैली में भेदभावपूर्ण रूप से बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुईं।

दरअसल, ऐसी अकटलें लगाई जा रही हैं कि हा ढालू द्वीप के हनीमाधू पर भारतीय सेना पहुंच सकती है। इसके अलावा इससे पहले ही मालदीव में अतिरिक्त भारतीय अफसर मौजूद हैं, जो भारतीय सेना की ओर से मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स को उपहार में दिए गए हेलिकॉप्टर ऑपरेट कर रहे हैं।

लेकिन डिफेंस फोर्स के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल ने जोर देकर कहा है कि मालदीव में कोई विदेशी सुरक्षाबल मौजूद नहीं हैं। पिछले कुछ हफ्तों में मालदीव के कुछ लोगों ने ट्वीटर पर ट्वीट किए और कुछ देर के लिए इस हैशटैग को ट्रेंड भी करवाया।

सत्तारूढ़ पार्टी ने राजनीतिक विपक्षी पर सोशल मीडिया अभियान चलवाने का आरोप लगाया। ये आरोप इस आधार पर भी लगाया है कि यामीन के कार्यकाल के वक्त माले और नई दिल्ली के रिश्तों में खटास आई थी। साथ ही उनकी सरकार पर चीन की तरफ स्पष्ट झुकाव के आरोप भी लगे थे।

चीन एक यहां एक करीबी डिवेलपमेंट पार्टनर और लीडर रहा है। मालदीव चीन से लिए कर्ज के 1.4 अरब डॉलर के लिए फिर से मोलभाव भी कर रहा है। दूसरी ओर राष्ट्रपति सोलेह के सत्ता में आने के बाद से भारत के साथ खासकर डिवलपमेंट पार्टनरशीप महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी है।

पिछले महीने भारत ने 50 करोड़ डॉलर के पैकेज की घोषणा की, जिसमें 10 करोड़ डॉलर का अनुदान भी शामिल है। इससे पहले भारत ने 2018 में मालदीव के लिए 80 करोड़ डॉलर की घोषणा की थी।

हालांकि राष्ट्रपति सोलेह की सरकार कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें हाल में खास तौर पर राजनीतिक प्रतिद्वंदी की ओर से की जा रही भारत-विरोधी बातें शामिल है, जिसका वो जवाब दे रहे हैं।

दो साल के कार्यकाल वाला सोलेह प्रशासन बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। पर्यटन पर काफी हद तक निर्भर मालदीव की अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी से बड़ा झटका लगा है।

मालदीव कोविड-19 से बिगड़े हालात को संभालने की कोशिश कर रहा है और भारत ने उनकी मदद के लिए 25 करोड़ डॉलर की विशेष आर्थिक सहायता की घोषणा की है। यूएनडीपी के मुताबिक, मालदीव एशिया क्षेत्र और संभावित रूप से दुनिया भर में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभाव होने वाले देशों में शामिल है।
अपने ताजा अनुमान में एशियन डिवेलपमेंट बैंक ने कहा कि मालदीव का आउटपुट 2020 में एक चौथाई से ज्यादा सिकुड़ सकता है। जीडीपी आंकड़ों को लेकर ये सबसे चिंताजनक अनुमान है। मालदीव में अब तक 9,000 से ज़्यादा मामले और 33 मौतें दर्ज की गई हैं।

इस बीच कुछ लोगों को डर है कि सत्ताधारी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के भीतर भी तनाव पनप रहा है। ये तनाव राष्ट्रपति सोलेह और स्पीकर और पूर्व राष्ट्रपति नशीद के बीच होने की बात कही जा रही है, जो एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है। खासकर जब स्पीकर नशीद ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कुछ मंत्रियों को हटाए जाने की मांग की है। माले में मौजूद एक सरकार के सांसद ने द हिंदू अखबार से पहचान छिपाने की शर्त पर बात की और कहा, स्पीकर एक संसदीय व्यवस्था पर भी जोर दे रहे हैं।

सरकार के भीतर ऐसी चिंताएं है कि उनका ये कदम राष्ट्रपति को चुनौती दे सकता है, जो गठबंधन सरकार के साथ मिलकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं।

सांसद ने ये भी कहा, अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर हो या लोकतंत्र के मोर्चे पर, हमारी सरकार अब तक बहुत कुछ नहीं कर पाई है और महामारी ने इस स्थिति को और बदतर कर दिया है। इस हालात में अंदरूनी तनाव और नुकसान करेगा। (bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news