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अमरीका में अगले 48 घंटे में बैन हो जाएंगे चीनी ऐप टिक टॉक और वीचैट
19-Sep-2020 10:48 AM
अमरीका में अगले 48 घंटे में बैन हो जाएंगे चीनी ऐप टिक टॉक और वीचैट

अमरीका में टिक टॉक और वीचैट पर अगले 48 घंटों में रोक लगा दी जाएगी.

देश के वाणिज्य मंत्रालय ने बताया है कि अगले 48 घंटों में ये दोनों ऐप यूएस ऐप स्टोर से हटा दिए जाएंगे और अमरीकी लोग इन्हें डाउनलोड नहीं कर पाएंगे.

अब ये पाबंदियाँ तभी रुक सकती हैं अगर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आख़िरी पलों में किसी समझौते के लिए राज़ी हो जाएँ.

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि चीनी ऐप अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा बन सकते हैं क्योंकि ये कंपनियाँ अमरीकी यूज़र्स का निजी डेटा चीन को दे सकती हैं. हालाँकि चीन और चीनी कंपनियाँ लगातार इन आरोपों को ख़ारिज करती आई हैं.

चैटिंग, वीडियो शेयरिंग और मोबाइल पेमेंट जैसे कामों में इस्तेमाल होने वाला मल्टीपर्पज़ ऐप वीचैट रविवार से अमरीका में आधिकारिक रूप से बंद हो जाएगा.

वहीं, शॉर्ट वीडियो प्लैटफ़ॉर्म टिक-टॉक का इस्तेमाल लोग 12 नवंबर तक कर सकेंगे. 12 नवंबर के बाद टिक टॉक पर भी पूरी तरह पाबंदी लगा दी जाएगी.

चीनी कंपनियाँ बोलीं, रुकेंगे नहीं

टिक टॉक ने कहा कि वो वाणिज्य मंत्रालय के आदेश से 'निराश' और असहमत है. कंपनी ने कहा कि वो पहले ही ट्रंप प्रशासन की चिंताओं के मद्देनज़र 'अभूतपूर्व और अतिरिक्त पारदर्शिता' के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर कर चुकी थी.

टिक टॉक ने कहा, "हम अन्यायपूर्ण एक्ज़िक्युटिव ऑर्डर को चुनौती देते रहेंगे. यह आदेश बिना सही प्रक्रिया का पालन किए जारी किया गया है. इससे अमरीकी लोगों और छोटे कारोबारों के भविष्य पर संकट पैदा हो जाएगा. टिक टॉक अमरीका के नागरिकों के लिए अपनी आवाज़ उठाने और रोज़ी-रोटी, दोनों का ही ज़रिया था."

वीचैट के स्वामित्व वाली कंपनी टेंसेंट ने कहा ये पाबंदियाँ 'दुर्भाग्यपूर्ण' हैं लेकिन वो अमरीकी सरकार से अपनी बातचीत जारी रखेगी ताकि मसले का कोई दूरगामी हल निकाला जा सके.

वाणिज्य मंत्रालय की ओर से पाबंदी का यह आदेश आने से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगस्त में ही एक एग्ज़िक्युटिव आदेश पर हस्ताक्षर कर चुके थे. इस आदेश में अमरीकी कारोबारियों को इन चीनी कंपनियों के साथ काम रोकने के लिए 45 दिन दिए गए थे.

लेकिन अगर अमरीकी टेक कंपनी ओरैकल और टिक टॉक के स्वामित्व वाली कंपनी बाइट डांस के बीच करार हो जाता है और इसे राष्ट्रपति ट्रंप की मंज़ूरी मिल जाती है, तो यह बैन निष्प्रभावी हो जाएगा.

बीबीसी के नॉर्थ अमरीका टेक्नॉलजी रिपोर्टर जेम्स क्लेटन का विश्लेषण

अब इस लड़ाई का फ़ैसला सिर्फ़ और सिर्फ़ राष्ट्रपति ट्रंप के हाथों में है. इस बैन को रोकने के लिए टिक टॉक के स्वामित्व वाली कंपनी बाइट डांस को ट्रंप के लिए बेहतरीन समझौते का प्रस्ताव देना होगा, जो मुश्किल हो सकता है.

पहले से ऐसी रिपोर्ट्स आती रही हैं कि चीन अमरीका के हाथों टिक टॉक बेचने की बजाय इसे अमरीका में बंद करना ज़्यादा पसंद करेगा. हालाँकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन सबके पीछे ट्रंप की मंशा क्या है.

ये ज़रूर है कि वो चीनी ऐप पर रोक लगाकर चीन पर दबाव डालना चाहते हैं, और टिक टॉक जैसे मशहूर ऐप पर रोक लगाना तो वाक़ई बड़ा फ़ैसला है. लेकिन ट्रंप के सामने एक समझौते का प्रस्ताव भी है. टिक टॉक और वीचैट को बैन होने में अभी 48 घंटे बाकी हैं और इन 48 घंटों में नेगोसिएशन के लिए पर्याप्त समय है.

क्या ट्रंप टिक टॉक के साथ किसी संभावित समझौते में अमरीकी कंपनियों के लिए बेहतर मौके तलाशना चाहते हैं? क्योंकि असल में टिक टॉक के डाउनलोड करने पर रोक भले 48 घंटे में लग जाए, लोगों के फ़ोन में यह 12 नवंबर तक रहेगा. यानी अब भी इस मामले में बहुत कुछ हो सकता है.

भारत ने भी बैन किए हैं सैकड़ों चीनी ऐप

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव के बीच भारत भी सैकड़ों चीपी ऐप पर रोक लगा चुका है.

पहले यहां जून में चीन से जुड़े 59 ऐप पर पाबंदी लगाई गई, जिनमें टिक टॉक भी शामिल था. इसके बाद सितंबर में लोकप्रिय मोबाइल गेमिंग ऐप पब्जी समेत 118 ऐप पर बैन लगा दिया गया. यानी भारत में अब तक चीन से जुड़े 224 ऐप्स पर रोक लगाई जा चुकी है.

भारत सरकार का कहना था कि उसे इन ऐप्स के बारे में विभिन्न स्रोतों से शिकायतें मिल रही थीं, जिनमें ऐसी रिपोर्टें भी थीं कि एंड्रॉयड और आइओएस पर उपलब्ध कुछ मोबाइल ऐप्स से यूज़र्स के डेटा अनाधिकृत तौर पर चोरी कर भारत से बाहर स्थित सर्वर में भेजे जा रहे थे.

इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि इन ऐप्स को इसलिए बैन किया गया है क्योंकि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता, देश की रक्षा और लोक व्यवस्था के विरूद्ध गतिविधियों में लिप्त थे.(bbc)

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