सामान्य ज्ञान
मीर तक़ी मीर फ़ारसी तथा उर्दू महान कवि थे। उनका पूरा नाम मुहम्मद तक़ी था और उनको ख़ुदाए सुखऩ की उपाधि दी गई थी। मीर की गज़लों के कुल 6 दीवान हैं । इनमें से कई शेर ऐसे भी हैं जो मीर के हैं या नहीं इस पर विवाद है । इसके अतिरिक्त कई शेर या कसीदे ऐसे हैं जो किसी और के संकलन में हैं किन्तु बहुत से लोगों का मानना है कि वे मीर के हैं। उनके शेरों की संख्या 15 हजार है । इसके अलावा कुल्लियात-ए-मीर में दर्जनोंमसनवियॉं, क़सीदे, और मर्सिये संकलित हैं ।
मीर का जन्म 1723 ई. में आगरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके पितामह का नाम रशीद था, जो अकबराबाद आगरा में फ़ौजदार हुआ करते थे। मीर ने लम्बी जि़न्दगी पाई और सारी जि़न्दगी काव्य साधना के अतिरिक्त और कुछ भी न किया। फलस्वरुप उनकी रचनाओं की संख्या और मात्रा बहुत अधिक है। नीचे इनका कुछ परिचय दिया जाता है-
मीर के कुल्लियात में 6 बड़े - बड़े दीवान गज़़लों के हैं। इनमें कुल मिलाकर 1839 गज़़ल और 83 फुटकर शेर हैं। इनके अलावा आठ क़सीदे, 31 मसनवियां, कई हजवें , 103 रुबाइयां, तीन शिकारनामें आदि बहुत सी कविताएं हैं। कुछ वासोख़्त भी हैं। इस कुल्लियात का आकार बहुत बड़ा है।
इसके अतिरिक्त एक दीवान फ़ारसी का है जो दुर्भाग्यवश अभी अप्रकाशित है। कई मर्सिए भी लिखे हैं जो अपने ढंग के अनूठे हैं।
एक पुस्तक फ़ारसी में फ़ैज़े-मीर के नाम से लिखी है। इसमें अंत में कुछ हास्य-प्रसंग और कहानियां हैं। इनमें कुछ काफ़ी अश्लील हैं। इनसे तत्कालीन समाज की रुचि का अनुमान किया जा सकता है। फ़ारसी ही में उर्दू शायरों की एक परिचय पुस्तक नुकातुश्शोअपा है जिसमें अपने पूर्ववर्ती और समकालीन कवियों का उल्लेख किया है।
आत्म-चरित जिक़्र-ए-मीर' फ़ारसी में लिखा है। इस में अपने साहित्य पर प्रकाश नहीं डाला है बल्कि अपने निजी जीवन की घटनाओं के साथ ही तत्कालीन राजनीतिक उथल-पुथल और लड़ाइयों का उल्लेख है। यह पुस्तक इतिहास के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। फ़ारसी दीवान को छोडक़र उपर्युक्त सभी पुस्तकें प्रकाशित हो गई हैं।