ताजा खबर

हर साल करीब 13 लाख उइघुरों को श्रम शिविरों में भेजता है चीन
20-Sep-2020 6:52 PM
हर साल करीब 13 लाख उइघुरों को श्रम शिविरों में भेजता है चीन

चीन , 20 सितंबर | चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने शिनजियांग में उइघुर और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों के लिए अपनी आंतरिक शिविर की प्रणाली का बचाव करते हुए गुरुवार को एक श्वेत पत्र जारी किया। फिर भी बढ़ते वैश्विक दबाव में मजबूरी में जारी एक श्वेत पत्र में उसने अपने जबरिया श्रम कार्यक्रम के पैमाने का कुछ विवरण सामने रखा है। उससे शिनजियांग से उइघुरों के जबरिया श्रम शिविरों में भेजे जाने की विशाल संख्या का थोड़ा अंदाजा लगा है।

बीजिंग की रिपोर्ट में शामिल आंकड़े इस कार्यक्रम के दायरे की विशालता का संकेत करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 और 2019 के बीच दक्षिणी शिनजियांग के 415,400 लोगों सहित हर साल औसतन 12.9 लाख कर्मचारी व्यावसायिक प्रशिक्षण से गुजरे थे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं था कि लोगों को कितनी बार इन शिविरों में भेजा गया है।

गुरुवार को प्रकाशित दस्तावेज में बीजिंग ने अपने कठोर श्रम शिविरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र कहा है। जिनके द्वारा सक्रिय श्रम और रोजगार नीतियों के माध्यम से शिनजियांग के लोगों के भौतिक और सांस्कृतिक जीवन में लगातार सुधार आया है। इसने हर क्षेत्र में उनके मानवाधिकारों की गारंटी और विकास किया है। जानकारों का साफ कहना है कि चीन के श्वेत पत्र से हमें ग्रामीण अधिशेष मजदूरों को केंद्रीकृत, सैन्यीकृत प्रशिक्षण के माध्यम से बंधुआ मजदूरों में बदलने की संख्या का एक संभावित अंदाजा मिलता है।

चीन को लगातार इन आरोपों का सामना करना पड़ रहा है कि वह रोजगार प्रशिक्षण के नाम शिनजियांग क्षेत्र में अल्पसंख्यकों को बड़े पैमाने पर नजरबंदी के साथ-साथ निगरानी केंद्रों में भेज रहा है। इसके साथ ही वह धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं पर प्रतिबंध लागू कर रहा है और महिलाओं की जबरन नसबंदी को बढ़ावा दे रहा है। ये सभी कार्य सांस्कृतिक नरसंहार की श्रेणी में आते हैं।

बीजिंग हालांकि इन आरोपों का सख्ती से खंडन करता है और दावा करता है कि इसकी नीतियां आतंकवाद का मुकाबला करने और गरीबी को कम करने के लिए हैं। इसके बावजूद पत्रकारों और मानवाधिकार समूहों को इन अत्यधिक गुप्त रखे गये शिविरों का निरीक्षण करने से प्रतिबंधित किया गया है। शिनजियांग क्षेत्र में अल्पसंख्यक मुसलमानों की प्रथाओं को खत्म करने को लेकर चीन पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है। कई देशों ने इसको लेकर चीन पर प्रतिबंध लगाये हैं। अमेरिका ने शिनजियांग क्षेत्र से आयात पर प्रतिबंध लगाया है और कपड़े की दिग्गज कंपनी एचएंडएम ने शिनजियांग क्षेत्र के उत्पादकों के साथ आयात समझौतों पर रोक लगा दिया है।

चीन ने इस संवेदनशील मुद्दे पर बढ़ती वैश्विक रिपोटिर्ंग से खतरा महसूस करने के बाद यह श्वेत पत्र जारी किया है। श्वेत पत्र ने कहा कि औसत वार्षिक 'अधिशेष ग्रामीण श्रम का स्थानांतरण' 27.6 लाख से अधिक लोगों का था, जिनमें से 60 फीसदी से अधिक दक्षिणी शिनजियांग के निवासी थे। श्वेत पत्र के अनुसार 2018 से 2019 तक दक्षिणी शिनजियांग और आस-पास के इलाकों में पंजीकृत गरीब परिवारों के 155,000 लोग थे, जिन्होंने अपने घरेलू शहरों के बाहर रोजगार पाया और बाद में गरीबी से उबरने में सफल हो सके।

ग्रामीण दक्षिण शिनजियांग गरीब घरों के लोग इस नजरबंदी अभियान का मुख्य लक्ष्य हैं। उनको शुरू में नजरबंदी शिविरों के पास नौकरियों में रखा जाता है,अक्सर यह औद्योगिक पार्कों के भीतर किया जाता है। केवल कुछ खुशनसीब ही घर लौटने में सफल हो पाते हैं। इस वर्ष की शुरूआत में कई ऐसी खबरें अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में प्रकाशित हुईं जिनमें बताया गया कि लाखों लोगों को शिनजियांग से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है। कुछ को नजरबंदी शिविरों से सीधे पूरे चीन भर के कारखानों में ले जाया गया था, जहां स्थितियां साफ तौर पर बंधुआ मजदूरी का संकेत देती हैं।

जबकि वल्र्ड उइघुर कांग्रेस ने कहा कि यह श्वेत पत्र चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा झूठ बोलने और अपने अत्याचारों को जायज ठहराने का एक और प्रयास है, जैसा कि शिनजियांग के अपने नजरबंदी शिविरों के अस्तित्व के बारे में उसने कुछ साल पहले झूठ बोला था। श्वेत पत्र क्षेत्र में गरीबी और रोजगारहीनता का हवाला दिया गया है। लेकिन सीसीपी इस इलाके में रोजगार देने के मामले में बहुत भेदभाव करती है। इलाके में बसने वाले हान चीनियों को सभी बड़ी कंपनियों में सभी हाई-प्रोफाइल नौकरियों से नवाजा जाता है, जबकि उइघुरों को कम या बिना वेतन के बंधुआ नौकरियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।

यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि इस श्वेत पत्र का कम से कम 5 भाषाओं में अनुवाद किया गया है। जिसका तात्पर्य है कि यह न केवल आंतरिक प्रचार उद्देश्यों के लिए है, बल्कि उइघुर जबरिया श्रम के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग करने के लिए चीन की सरकार की एक बड़ी चाल है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तेजी से शिनजियांग में चीन की कार्रवाई पर जोरदार आपत्ति जता रहा है।

जुलाई में मानवाधिकार समूहों के एक गठबंधन ने कहा था कि दुनिया भर में बिकने वाले पांच कपास उत्पादों में से एक शिनजियांग के जबरिया श्रमिक कार्यक्रमों से जुड़ा हुआ है। मंगलवार को स्वीडिश कपड़ों की दिग्गज कंपनी एचएंडएम ने कहा कि जब तक हमें जबरन श्रम के आरोपों के बारे में अधिक स्पष्टता नहीं मिलती है, वह शिनजियांग के उत्पादकों के साथ अपने व्यापार सौदों को खत्म कर रही है।

(यह लेख इंडियानैरेटिवडॉटकॉम से विशेष व्यवस्था के तहत लिया गया है।)

--आईएएनएस

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news