अंतरराष्ट्रीय
आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद रविवार को एक बार फिर भड़क उठा.
आर्मीनिया और अज़रबैजान विवादित नागोर्नो-काराबाख को लेकर एक बार फिर लड़ाई के मैदान में हैं, वहाँ हेलिकॉप्टर और टैंकों को मार गिराने की रिपोर्ट मिली है.
दोनों ही तरफ सैनिक और नागरिक हताहत हुए हैं. अब तक 23 लोगों के मारे जाने की ख़बर है.
रविवार को नियंत्रण रेखा पर जिस तरह से भारी हथियारों का इस्तेमाल हुआ है वो पिछले कुछ वर्षों में हुई सबसे बड़ी झड़प मानी जा रही है.
अर्दोआन का समर्थन, ईरान की मध्यस्थता की पेशकश
दोनों देशों के बीच छिड़े इस ताज़ा विवाद पर दुनिया भर से देशों से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने अज़रबैजान का समर्थन करने की घोषणा की वहीं रूस ने आर्मीनिया और अज़रबैजान से तत्काल संघर्षविराम करने, दोनों पक्षों को संयम बरतने और बातचीत से मसले को सुलझाने को कहा है.
Azerbaycan'a yönelik saldırılarına bir yenisini ekleyen Ermenistan, bölgede barışın ve huzurun önündeki en büyük tehdit olduğunu bir kere daha göstermiştir. Türk Milleti her zaman olduğu gibi bugün de tüm imkanlarıyla Azerbaycanlı kardeşlerinin yanındadır.
— Recep Tayyip Erdoğan (@RTErdogan) September 27, 2020
दूसरी ओर अमरीका ने कहा कि उसने दोनों देशों से तुरंत लड़ाई बंद करने के साथ ही विवादित बयानों, कार्रवाइयों से बचने का आग्रह किया है.
वहीं फ़्रांस ने दोनों देशों से संघर्षविराम और बातचीत का आग्रह किया है. फ़्रांस में बड़ी संख्या में आर्मीनियाई समुदाय रहता है.
ईरान ने, जिसकी सीमा अज़रबैजान और आर्मीनिया दोनों से ही सटी है, दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश भी की है.
इधर अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने रविवार को कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि वो इस इलाक़े पर फिर से अपना नियंत्रण स्थापित करने में कामयाब होंगे.
क्या कहते हैं कॉकेशस में बीबीसी संवाददाता रेहन दिमित्री?
दशकों से चले आ रहे दोनों देशों के विवाद में किसने पहले गोली चलाई, इस तरह के आरोप एक दूसरे पर मढ़ना आम बात है.
वो कहते हैं कि यह केवल सैन्य कार्रवाई नहीं है बल्कि सूचना युद्ध भी है, क्योंकि स्वतंत्र रूप से ख़बरों की पुष्टि करना मुश्किल है.
अज़रबैजान का दावा है कि उसने आर्मीनियाई नियंत्रण वाले इलाके को मुक्त करवा दिया है, तो आर्मीनियाई अधिकारी इसे ख़ारिज करते हैं.
इसी तरह आर्मीनिया दावा करता है कि अज़रबैजान को काफी नुकसान पहुंचा है तो अज़रबैजान की तरफ से इसका खंडन किया जाता है.
इसके अलावा अज़रबैजान ने देश में इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है, ख़ास कर सोशल मीडिया पर.
रूस पारंपरिक रूप से आर्मीनिया का मित्र राष्ट्र रहा है, लिहाज़ा तुर्की का समर्थन अज़रबैजान को साहस दे सकता है क्योंकि अगस्त में ही अज़रबैजान के रक्षा मंत्री ने कहा था कि तुर्की की सेना की मदद से अज़रबैजान अपने 'पवित्र धर्म' को पूरा करेगा- दूसरे शब्दों में वो अपने गंवाए हुए क्षेत्रों को वापस ले सकेगा.
इस बार कैसे शुरू हुई लड़ाई?
आर्मीनिया के रक्षा मंत्री ने रविवार की सुबह 8.10 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 9.40 बजे) ने कहा कि नागोर्नो-काराबाख में वहाँ की राजधानी स्टेपनेकर्ट समेत कई बस्तियों पर हमला हुआ है.
इसके बाद अधिकारियों ने बताया कि एक महिला और एक बच्चे की मौत हो गई है. नागोर्नो-काराबाख में अलगाववादी समूहों ने कहा कि उनके क़रीब 16 लोग मारे गए और सौ के क़रीब घायल हैं.
आर्मीनिया ने कहा कि उसने दो हेलिकॉप्टर और तीन ड्रोन मार गिराए हैं, साथ ही तीन टैंकों को भी नष्ट कर दिया.
इसके बाद आर्मीनिया की सरकार ने नागोर्नो-काराबाख में मार्शल लॉ लगाने की घोषणा के बाद पूरे देश में ही मार्शल लॉ की घोषणा कर दी और सैनिकों को तैनात कर दिया.
आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनियन ने अज़रबैजान पर सुनियोजित हमले का आरोप लगाते हुए लोगों से कहा कि 'अपनी पवित्र मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार हो जाओ'.
उन्होंने चेतावनी दी कि यह इलाक़ा एक बड़े युद्ध के कगार पर है, उन्होंने तुर्की पर आक्रामक व्यवहार का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदायों से इलाक़े में आगे किसी भी अस्थिरता को रोकने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया.
अज़रबैजान के रक्षा मंत्री ने एक हेलिकॉप्टर के नुकसान की पुष्टि की है लेकिन बताया कि चालक बच गया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आर्मीनिया को 12 एयर डिफेंस सिस्टम का नुकसान हुआ है. हालांकि आर्मीनिया ने और जिस नुक़सान का दावा किया उसका अज़रबैजान के रक्षा मंत्री ने खंडन किया है.
राष्ट्रपति अलीयेव ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने आर्मीनियाई सेना के हमलों के जवाब में बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई का आदेश दिया है.
टीवी पर प्रसारित संबोधन में उन्होंने बताया, "जवाबी कार्रवाई में आर्मीनिया के कब्ज़े वाला अज़रबैजान का रिहाइशी इलाका अब मुक्त हो गया है."
उन्होंने कहा, "मुझे पूरा यकीन है कि हमारी जवाबी कार्रवाई, 30 सालों से जो अन्याय हो रखा है, उसे हमेशा के लिए ख़त्म कर देगी."
आर्मीनियाई सेना के शुरुआती इनकार के बाद नागोर्नो-काराबाख के राष्ट्रपति अराइक हरतुन्यान ने इस बात की पुष्टि की कि वो कुछ इलाके अज़रबैजान के हाथों हार चुके हैं.
नागोर्नो-काराबाख
नागोर्नो-काराबाख 4,400 वर्ग किलोमीटर में फैला इलाक़ा है जहां आर्मीनियाई ईसाई और मुस्लिम तुर्क रहते हैं.
सोवियत संघ के अस्तित्व के दौरान यह अज़रबैजान के भीतर ही एक स्वायत्त क्षेत्र बन गया था.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे अज़रबैजान के हिस्से के तौर पर ही जाना जाता है लेकिन यहां अधिकतर आबादी आर्मीनियाई है.
1980 के दशक से अंत में शुरू होकर 1990 के दशक तक चले युद्ध के दौरान 30 हज़ार से अधिक लोगों को मार दिया गया और 10 लाख से अधिक लोग यहां से विस्थापित हुए.
उस दौरान अलगावादी ताक़तों ने नागोर्नो-काराबाख के कुछ इलाक़ों पर कब्ज़ा जमा लिया, हालांकि 1994 में युद्धविराम के बाद भी यहां गतिरोध जारी है.(BBCNEWS)